हॉकी की ’रानी‘ रानी रामपाल ने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहा

Hockey's 'queen' Rani Rampal bids goodbye to international hockey

  • रानी बोली, यह हॉकी को अलविदा कहने का सही वक्त
  • हॉकी इंडिया ने रानी की ’28‘ नंबर की जर्सी को रिटायर करने की घोषणा कर दी

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : भारतीय महिला हॉकी की ’रानी‘ रानी रामपाल ने यहां मेजर ध्यानचंद नैशनल हॉकी स्टेडियम में अपने करीब डेढ़ दशक लंबे अंतर्राष्ट्रीय हॉकी करियर को अलविदा कहने की घोषणा कर दी। भारत के लिए सबसे कम मात्र 14 बरस की उम्र में कजान, रूस में ओलंपिक हॉकी क्वॉलिफायर से अप्रैल 2008 में अपने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी करियर का आगाज करने वाली रानी रामपाल ने भारत के लिए 254 अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैच खेले और 205 गोल किए। रानी रामपाल भारत के लिए लगातार दो ओलंपिक -2016 (रियो ओलंपिक) औा 2020 में टोक्यो ओलंपिक में खेली। रानी रामपाल ने भारत को भुवनेश्वर में अमेरिका के खिलाफ जीत दिला 2020 में टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कराया और उनकी कप्तानी में भारत बहुत करीब से कांसा जीतने से चूक चौथे स्थान पर रहा है। हॉकी इंडिया ने रानी रामपाल के अंतराष्ट्रीय को अलविदा कहने पर उन्हें दस लाख रुपये देने की घोषणा की और साथ ही उनकी 28 नंबर की जर्सी को रिटायर करने की घोषणा की । इस मौके पर उनके बचपन के कोच बलदेव सिंह , उनके पिता रामपाल और मां भी मंच पर मौजूद थे।

रानी रामपाल ने कहा, ’बेशक किसी भी हॉकी खिलाड़ी के लिए हॉकी ही नहीं किसी भी खेल को अलविदा कहने का फैसला मुश्किल होता है। मेरे लिए भी यह हॉकी टांगने का फैसला मुश्किल था,। मैं 16 -17 बरस अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खेली और मुझे कोई मलाल नहीं है। मैंने अब महसूस किया कि अब यह अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने का सही वक्त है। मैंने अब हॉकी इंडिया की महिला हॉकी इंडिया में सूरमा हॉकी क्लब की मेंटोर की जिम्मेदारी संभाली है। मैं अपने कोच बलदेव सिंह और अपने माता -पिता की बहुत आभारी हूं। मेरे पिता रेहड़ा चला कर सामान भर कर पहुंचाने का काम करते थे और मेरी मां लोगों के घरों में काम करती तब हम बच्चों को दो वक्त का खाना मयस्सर नहीं होता। सुबह का खाना मिल गया तो मालूम नहीं शाम का खाना मिलेगा या नहीं। मेरे माता पिता ने मुझे रानी का नाम ही नहीं दिया रानी की तरह रखा भी। जब मुझे 2020 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया तो तब हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब मेरे पिता की इस बात के सराहना करते कहा था कि मुझे खुशी है कि आपने अपनी बेटी हॉकी खिलाई।`

हरियाणा के छोटे से कस्बे शाहबाद मरकंडा से आकर हॉकी में 14 बरस तक हॉकी में नई बुलंदिया चूमने वाली रानी रामपाल अब भारत के लिए हॉकी नई रानियां तैयार करेंगे। रानी रामपाल की कहानी अभाव पर पारपाकर अपने हुए भारत के लिए कामयाबी की नए दास्तान लिखने की कहानी है। रानी ने कहा, ’ भारत के लिए करीब 15 बरस खेलना गर्व की बात है और अब मैं एचआईएल महिला लीग में सूरमा हॉकी क्लब के लिए नई पारी शुरू कर रही हूं। हॉकी मेरा जुनून है और मेरी जिंदगी है। बहुत गरीब पृष्ठभूमि से आकर भारत के लिए शीर्ष स्तर पर खेलना मेरे लिए गर्व की बात है। भारतीय हॉकी टीम के साथ अभ्यास करना हमेशा याद रहेगा। मेरा विश्वास है कि भारतीय महिला हॉकी टीम में कामयाबियों के नई बुलंदियां चूमेगी। मैं हमेशा अपने सभी हॉकी उसतादों, टीम की साथियों , साई, हरियाणा और ओडिशा सरकार के सहयोग के लिए उनकी आभारी रहूगी। मुझे हॉकी ने बतौर खिलाड़ी जो कुछ दिया मैं बतौर मेंटोर हॉकी की नई रानियां तैयार कर लौटाने की कोशिश करुंगी। रानी रामपाल हॉकी खिलाड़ी के रूप में अपनी शानदार विरासत के कारण हमेशा भारतीय हॉकी की रानी रहेंगी।