रविवार दिल्ली नेटवर्क
बीकानेर : राजस्थान के महापुरुषों पर स्मारक एवं पैनोरमा निर्माण कार्य लगातार जारी है: राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत बीकानेर। राजस्थानी साहित्य और संस्कृति को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बीकानेर में राजस्थानी साहित्यकारों का सम्मान समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकारों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री ओंकार सिंह लखावत रहे, जिन्होंने साहित्यकारों को उनके अद्वितीय कार्यों के लिए पुरस्कृत किया। लखावत ने राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाने की बात करते हुए कहा कि इसी क्रम में राजस्थान की विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों तथा संस्कृति को संरक्षित करने के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं ।
इसी क्रम में बीकानेर में भी जल्दी ही कपिल मुनि के पैनोरमा के साथ ही बीकानेर शहर में राव बीकाजी स्मारक का भी निर्माण किया जाएगा। उन्होंने राजस्थान के विभिन्न इतिहास पुरुषों के स्मारकों के निर्माण के बारे में भी जानकारी दी। 2024 के लिए प्रतिष्ठित ‘कला डूंगर कल्याणी’ राजस्थानी शिखर पुरस्कार, जो इक्यावन हजार रुपए की राशि के साथ प्रदान किया जाता है, बीकानेर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मदन केवलिया को प्रदान किया गया। डॉ. केवलिया ने राजस्थानी साहित्य को नए आयाम दिए हैं, और उनकी रचनाओं में स्थानीय संस्कृति एवं परंपरा का अद्भुत संयोजन देखने को मिलता है।
इसके साथ ही ‘खींवराज मुन्नीलाल सोनी’ राजस्थानी गद्य पुरस्कार, जिसकी राशि इक्कीस हजार रुपए है, रामगढ़, नोहर के साहित्यकार पूर्ण शर्मा ‘पूरण’ को दिया गया। उनके गद्य साहित्य में राजस्थानी समाज की तस्वीरें जीवंत हो उठती हैं, जो पाठकों को ग्रामीण जीवन के विविध रंगों से रूबरू कराती हैं। ‘बृज उर्मी अग्रवाल’ राजस्थानी पद्य पुरस्कार, जिसकी राशि ग्यारह हजार रुपए है, भीलवाड़ा के साहित्यकार कैलाश मण्डेला को दिया गया। उनकी कविताओं में राजस्थानी लोकधुनों की मिठास और जीवन का सादगीपूर्ण चित्रण है।
इसी क्रम में, ‘राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार’, जिसकी राशि पाँच हजार रुपए है, लक्ष्मणगढ़, सीकर की साहित्यकार विमला महरिया ‘मौज’ को प्रदान किया गया। विमला महरिया ने अपने बाल साहित्य से बच्चों के बीच राजस्थानी भाषा और मूल्यों का प्रभावी प्रचार-प्रसार किया है। समारोह में राजस्थानी साहित्य प्रेमी और संस्कृति प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इस अवसर पर राजस्थान की धरोहर और सांस्कृतिक संपदा को संजोने एवं बढ़ावा देने के लिए विभिन्न साहित्यकारों के योगदान को सराहा गया।