पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की तरह राजस्थान के आदिवासी इलाकों को रेल्वे लाइन से जोड़ने का कदम राजस्थान के लिए नए वर्ष का एक नायाब तोहफा होगा साबित
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की भजन लाल सरकार को आगामी 15 दिसंबर को एक साल पूरा हो जाएगा। संयोग से इस दिन मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा का जन्म दिवस भी है। भाजपा द्वारा सरकारी और संगठन स्तर पर भजन लाल सरकार के सालाना जलसे को भव्य रुप से मनाने के लिए व्यापक तैयारियां की जा रही हैं और इस मौके पर कई नई योजनाओं के शुभारंभ की घोषणा होने की संभावनाएं भी बताई जा रही है।
भजन लाल सरकार के एक वर्ष पूरा होने से पहले भाजपा की राज्य सरकार के समक्ष कई चुनौतियां भी है, जिसमें सबसे पहली चुनौती प्रदेश के सात विधानसभा उप चुनाव के परिणाम आने के बाद सत्ता और संगठन में अपेक्षित बदलाव करना है। भजन लाल मंत्रिपरिषद में अभी 25 मंत्री है और विधानसभा की कुल 200 सीटों के 15 प्रतिशत के हिसाब से मंत्रिपरिषद में नियमानुसार अधिकतम 30 मंत्री हो सकते है। इस हिसाब से भान लाल मंत्रिपरिषद में अभी 5 पद रिक्त है। उप चुनाव में यदि भाजपा को अपेक्षाओं के अनुरूप विजय मिलती है तो नव निर्वाचित विधायकों में से कुछ विधायकों को मंत्रिपरिषद में स्थान दिया जा सकता है। इसी प्रकार भाजपा सरकार को प्रदेश के सभी जिलों, क्षेत्रीय अंचलों और जातिगत समीकरणों के असंतुलन को दूर करने की कसरत भी करनी होगी। इसके अलावा मंत्रिपरिषद के सबसे वरिष्ठ मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफे तथा उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेम चन्द बैरवा तथा अन्य विवादास्पद मंत्रियों के संबंध में भी निर्णय करने है। साथ ही विधानसभा उपाध्यक्ष तथा संसदीय सचिवों की नियुक्ति आदि भी की जानी है। प्रदेश संगठन को भी और दुरस्त और चाक चौबंद करने के लिए नए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ के पसंद के पदाधिकारियों की नियुक्ति की जानी है ।
भजन लाल सरकार के सामने दूसरी बड़ी चुनौती प्रदेश के नए जिलों के सम्बन्ध में गठित मंत्रिमंडलीय समिति की अनुशंसाओं के अनुरूप कतिपय छोटे जिलों को समाप्त कर कुछ नए जिलों के गठन की घोषणा करना है। पिछली अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश के 33 जिलों को बढ़ा कर इनकी संख्या 50 कर दी थी जिसे लेकर कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अंतर्विरोध सामने आए थे। भजन लाल सरकार ने सेवानिवृत आईं ए एस ललित के पंवार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन कर इसकी समीक्षा कराई है।
नए जिलों के पुनर्गठन के अलावा भजन लाल सरकार को विधानसभा उप चुनावों के दौरान पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) और प्रदेश के शेखावाटी इलाकों में यमुना जल पहुंचाने संबंधी वायदों को पूरा करने की अग्नि परीक्षा को भी पूरा करना है। बताया जा रहा है कि भजन लाल सरकार के सालाना जलसे के दौरान भारत सरकार और मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के मध्य हुए एमओयू के अनुसार संशोधित पीकेसी ईआरसीपी परियोजना और हरियाणा के साथ हुए यमुना जल समझौता परियोजना का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों शुभारंभ कराया जा सकता हैं।
फिलहाल भजन लाल सरकार की पहली प्राथमिकता आगामी 9 से 11 दिसम्बर तक जयपुर में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट- 2024 को सफलता पूर्वक पूरा करने की है और पूरी राज्य सरकार और सारा सरकारी अमला इसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारियों में जुटा हुआ है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और उनके मंत्रिपरिषद के मंत्रियों तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने देश विदेश में आयोजित रोड शो में निवेशकों तथा प्रवासी भारतीयों एवं राजस्थानियों को इस समिट के लिए राजस्थान आने का निमंत्रण दिया है। अब तक 18 लाख करोड़ से अधिक एमओयू भी किए जा चुके है।
उधर भारतीय रेलवे ने यात्रियों की परेशानियों को देखते हुए एक महत्वपूर्ण पहल की है तथा कुछ अहम ट्रेनों में सामान्य कोचों की संख्या में बढ़ोत्तरी की है। इसके तहत राजस्थान की आम जनता को सफर में राहत प्रदान करने और राज्य में आवागमन को सुगम बनाने के लिए भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने सामान्य श्रेणी के यात्रियों को सहूलियत प्रदान करने के उद्देश्य से कुछ महत्वपूर्ण गाड़ियों के कोचों की संख्या में विस्तार करते हुए सामान्य श्रेणी के अतिरिक्त कोच जोड़ने की भी पहल की है। रेल्वे मंत्रालय द्वारा देश के सबसे बड़े भौगोलिक प्रदेश राजस्थान में सामान्य श्रेणी के डिब्बे बढ़ाने का यह फैसला महत्वपूर्ण हैं। इस क्रम में रेलवे को दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए अलग से एक कोच भी लगाना चाहिए। साथ ही वरिष्ठ नागरिकों और पत्रकारों के लिए रियायती यात्रा की सुविधा को भी बहाल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही राजस्थान सरकार को भारत सरकार से प्रदेश के आदिवासी इलाकों में रेलवे का जाल बिछाने के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की भांति अहम फैसला करने का आग्रह करना चाहिए ताकि देश की आजादी के बाद से अब तक रेल लाईन से नहीं जुड़ पाए बांसवाड़ा जैसे प्रदेश के आदिवासी जिले स्वतंत्रता के अमृत वर्ष में रेल सुविधा से जुड़ सके। संयोग से केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का राजस्थान मूल का होना प्रदेश के हक में हैं। वैष्णव की पहल पर ही वर्षों से बंद पड़ी डूंगरपुर बांसवाड़ा रतलाम ब्रॉड गेज रेल लाईन की महत्वाकांशी परियोजना के काम को फिर से शुरू कराया गया है और खंडवा अलीराजपुर मन्दसौर घाटोल बांसवाड़ा की 370 किमी लंबी नई रेल लाइन का कार्य प्रस्तावित है।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की भांति प्रदेश के आदिवासी इलाकों में रेलवे का जाल बिछा कर जोड़ने का कदम न केवल प्रदेश के लिए दूरगामी लाभ का एक क्रांतिकारी फैसला सिद्ध हो सकेगा वरन राजस्थान के लिए भी नए वर्ष का एक नायाब तोहफा साबित होगा। देखना है भजन लाल सरकार के कार्यकाल के एक वर्ष पूरा होने पर राजस्थान को क्या क्या नए उपहार मिलेंगे?