प्रो. नीलम महाजन सिंह
श्री शहज़ाद मुहम्मद खान (एस.एम. खान, आई.आई.एस.), भारतीय सूचना सेवा के सौम्य, मिलनसार व सक्षम अधिकारी थे, जिन्होंने दूरदर्शन समाचार के महानिदेशक, भारत के राष्ट्रपति, भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, के प्रेस सचिव, भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार आदि सहित विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। नई दिल्ली के एक निजी अस्पताल में घातक कैंसर से जूझने के बाद अचानक वे इस दुनिया को छोड़ गए। एस. एम. खान मात्र एक नौकरशाह नहीं थे। वे अपनी योग्यता व क्षमता के कारण आगे बढ़े, बल्कि वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिनके पास नवीन विचारों की प्रतिभा थी, जिसने उन्हें अपने सहकर्मियों व सरकार के उन लोगों के बीच विशेष सम्मान दिलाने में मदद की, जिनके साथ उन्होंने कामकाज किया। वे बहुत कम बोलते थे, लेकिन उनके पास प्रभावशाली लेखन कौशल था जिसका उपयोग उन्होंने पद छोड़ने के बाद भी विभिन्न संगठनों में कार्य वातावरण को बेहतर बनाने के लिए किया। डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, जो राष्ट्रपति भवन में उनके बॉस थे, खान साहब के प्रेस सचिव के रूप में कार्यकाल के दौरान बैठकों और अन्य अनौपचारिक बातचीत में उनकी बहुत प्रशंसा करते सुने जाते थे। ऑल इंडिया रेडियो के पूर्व महानिदेशक और प्रसार भारती के बोर्ड सदस्य, फैयाज़ शेहरेयार कहते हैं “मैंने दूरदर्शन समाचार में अपने कार्यकाल के दौरान एस.एम. खान को बहुत करीबी से देखा है। मैंने बहुत कम ऐसे अधिकारी देखे हैं जिनका कोई दुश्मन नहीं है, खान साहब निश्चित रूप से उनमें से एक हैं। उत्कृष्टता की हमारी खोज में, हम आमतौर पर सिस्टम में निहित विभिन्न कारकों से बाधित होते हैं व हम उदास होकर अपने स्वास्थ्य का त्याग करने लगते हैं। एस. एम. खान साहब के पास अपने तरीके थे कि किसी भी चीज़ से उनकी शैली पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े”। खान का जन्म 15 जून 1957 को उत्तर प्रदेश के खुर्जा में हुआ था। वे वकीलों के परिवार से थे। उन्होंने स्नातक के लिए कानून की पढ़ाई की व अलीगढ़ विश्वविद्यालय से एल.एल.एम. किया। विश्वविद्यालय में शीर्ष स्थान प्राप्त करने के लिए उन्हें ‘चांसलर’ज़ गोल्ड मेडल’ से सम्मानित किया गया। बाद में अर्थशास्त्र में डिग्री के लिए वे यूनिवर्सिटी ऑफ वेल्स गए। सोशल मीडिया पर कभी न खत्म होने वाली श्रद्धांजलियां, एस. एम. खान के दिव्य व्यक्तित्व की गवाही देती हैं। चूंकि उनकी खराब सेहत की खबर गोपनीय रखी गई थी, इसलिए पिछले कुछ महीनों से उनसे जुड़े लोग कई तरह के अनुमान लगा रहे थे। परंतु किसी ने यह नहीं सोचा था कि वे 67 साल की उम्र में दुनिया से अलविदा कह देंगें! एस.एम. खान ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) में पी.आई.बी. अधिकारी के रूप में काम किया। 1989 से 2002 तक उन्होंने एजेंसी के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सूचना अधिकारी के रूप में कार्य किया। सी.बी.आई. में अपने कार्यकाल के दौरान, वे एजेंसी का अग्रिम चेहरा बने, और बोफोर्स तोप घोटाला, स्टॉक एक्सचेंज घोटाले व कई अन्य सफेदपोश अपराधों जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों के दौरान नियमित रूप से मीडियाकर्मियों को संबोधित करते रहे। सी.बी.आई. के साथ अपनी व्यापक सेवा के बाद, खान को राष्ट्रपति डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के प्रेस सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। इस भूमिका में उन्होंने सार्वजनिक संचार में अपनी प्रतिष्ठा को और मज़बूत किया। राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ अपने कार्यकाल के बाद, एस. एम. खान दूरदर्शन समाचार के महानिदेशक के प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत रहे। यहीं पर मैं उनसे सीधे संपर्क में आयी थी। हम यह भी जानते थे कि सार्वजनिक प्रसारक दूरदर्शन पर क्या प्रसारित किया जा सकता है? एस. एम. खान मेरे प्रति विशेष सम्मान रखते थे व मुझे हमेशा मुस्कुराते रहने वाली, कड़ी मेहनत करने वाली व्यक्तित्व मानते थे। सार्वजनिक सेवा में अपने उल्लेखनीय कैरियर के अलावा, एस. एम. खान ने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर ‘पीपुल्स प्रेसिडेंट’ नामक पुस्तक लिखी, जिसका विमोचन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया। उनके शब्दों ने भारत के महान दूरदर्शी लोगों में से एक के मूल्यों को अमर कर दिया। एस.एम. खान प्रतिष्ठित इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, नई दिल्ली के कामकाज में गहनता से शामिल थे। उन्होंने उपाध्यक्ष का पद संभाला और वर्तमान में वे आईआईसीसी के न्यासी मंडल में शामिल थे (Board of Trustees)। यह एस.एम. खान का ही श्रेय है कि इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर द्वारा ‘डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मेमोरियल लेक्चर’ का आयोजन किया जाता है। यह एक वार्षिक समारोह है जिसमें भारत के राष्ट्रपति व अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा मुख्य संबोधन दिया जाता है। वे आईआईसीसी में सांस्कृतिक संवाद व सामुदायिक विकास के लिए ज़म्मेदार थे। एस. एम खान का निधन भारतीय सार्वजनिक सेवा व ‘मीडिया संबंधों’ के एक युग का अंत है, जो अपने काम के प्रति ईमानदारी और समर्पण की विरासत को पीछे छोड़ गये हैं। उनका अंतिम संस्कार उत्तर प्रदेश में उनके गृहनगर खुरजा में किया गया। पूर्व विदेश मंत्री व इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के सदर, सलमान खुर्शीद ने संवेदना प्रकट करते हुए कहा, “एस.एम. खान साहब की असामयिक मृत्यु ने हमारे दिलों में एक स्थायी शून्य छोड़ दिया है। उनका व्यवहार मिलनसार था। वे हमें समझदारी भरी सलाह देते थे। हम एस.एम. खान साहब को हमेशा याद करेंगें।” उद्यमी व इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के पूर्व अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी ने कहा, “हमारा दिल टूट गया है और मैंने एक अच्छा दोस्त खो दिया है, जो कई सालों से मेरी टीम का हिस्सा था। एस.एम. खान ने मुस्लिम समुदाय और इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के सदस्यों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ी है। अल्लाह उन्हें जन्नत-उल-फिरदौस दे!” मोहम्मद फुरकान, उपाध्यक्ष, कॅमर अहमद, आईपीएस, सिकंदर हयात ने एस.एम. खान के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया है। फासडर्मा (कॉस्मेटोलोजी) इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीएमडी, इमरान खान व आईआईसीसी के सक्रिय सदस्य ने कहा, “एस.एम. खान साहब हमारे परिवार के सदस्य थे। उनके व्यक्तित्व में कई ऐसे गुण थे जिन्हें शब्दों में बयां करना मुश्किल है। अब हम बिना किसी मार्गदर्शक के रह गए हैं”! एस.एम. खान ने उत्कृष्टता और ईमानदारी की विरासत छोड़ी है। उनके उल्लेखनीय जीवन व योगदान ने भारत के इतिहास और उसके संस्थानों पर एक अमिट छाप है। दूरदर्शन समाचार के महानिदेशक के रूप में उनका कार्यकाल भारतीय मीडिया में पत्रकारिता की ईमानदारी व व्यावसायिकता को बनाए रखने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुदस्सर हयात, अध्यक्ष एएमयूओबीए ने कहा, “एस.एम. खान ने मुस्लिम समुदाय के लिए अथक काम किया, सांस्कृतिक सद्भाव और बौद्धिक विकास को बढ़ावा दिया। उनके निधन से भारत ने एक सच्चे व दयालु नेता और ज्ञान की आवाज़ खो दी है।” सेवा, विनम्रता और समर्पण की उनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। अबुज़र हुसैन खान, मोइन खान, अब्दुल्ला चौधरी और अखलाक अहमद खान, उद्यमियों और युवा समुदाय के नेताओं ने कहा है कि वे एस.एम. खान के सपनों को साकार करने का प्रयास करेंगें। आलमी टीवी के प्रधान संपादक व आलमी उर्दू फाउंडेशन के अध्यक्ष, डॉ. कबीर सिद्दीकी ने कहा, “एस.एम. खान का निधन एक युग का अंत है, लेकिन सभी के लिए उन मूल्यों और भावना का अनुसरण करने की शुरुआत है जो उनकी उपलब्धियों की एक विशिष्ट पंक्ति थी।” मीडिया में एक सहयोगी के रूप में, मैं शहज़ाद मुहम्मद खान के लिए ‘कुरान’ की एक प्रार्थना उद्धृत करती हूँ:
‘अल्लाहुम्मा मन अहियताहु मिन्ना फा अहिहि अला अल-इस्लाम, वा मन तवाफयताहु मिन्ना फतवाफाहु ‘अला अल-ईमान। अल्लाहुम्मा ला तहरीमना अजरहू, वा ला टुडिल्लाना ब’दाहु’। (हे अल्लाह, हमारे जीवित और मृत, उपस्थित और अनुपस्थित, हमारे जवान और बूढ़े, हमारे पुरुष और हमारी महिलाएँ सभी को क्षमा करो)
इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैहि राजिउन
إِنَّا ِلِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ,
वे सिर्फ़ एक लीडर ही नहीं थे बल्कि, कई लोगों के लिए मार्गदर्शक प्रकाश थे, जिन्होंने अपना ज्ञान, विनम्रता और दयालुता से अपने आस-पास के लोगों को प्रेरित किया। उनका जाना आईआईसीसी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय व बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के लिए एक घातक क्षति है। अल्लाह उन्हें माफ़ करें और जन्नत का सर्वोच्च स्तर; ‘जन्नत-उल-फिरदौस’ व शाश्वत शांति प्रदान करें। खान साहब आप का देश के प्रति समर्पण सदेव अमर रहेगा।
(वरिष्ठ पत्रकार, दूरदर्शन समाचार व्यक्तित्व, मानवाधिकार के लिए सॉलिसिटर और परोपकारी)