धर्म और सत्ता की नापाक और अपवित्र गठबंधन !

निर्मल कुमार शर्मा

इस दुनिया भर में धर्म और सत्ता की नापाक,हिंसक,क्रूर अमानवीय,अशिष्ट,असहिष्णु और फासिस्ट जुगलबंदी सदियों से होती चली आ रही है ! यूरोप में कई सदियों तक ईसाई धर्म के धर्माध्यक्ष मतलब पोप वहां के सम्राटों को भगवान द्वारा भेजा गयि देवदूत बताने के कुकृत्य करते रहे हैं ! लेकिन सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी विचारों के प्रणेता, शिक्षाशास्त्री,आदर्शवादी,मानवतावादी,युग निर्माता,उच्च कोटि के साहित्यकार और सुप्रसिद्ध दार्शनिक जीन जैक्स रूसो ने इस मिथ्या को तोड़ दिया ! उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से तत्कालीन समय की करोड़ों आम जनता को बताया और जागरूक किया कि ‘ऐसा कुछ भी नहीं है,राजा या सम्राट भी हम साधारण लोगों जैसे ही होता है ! वह कथित धर्म शातिर और धूर्त ठेकेदारों के माध्यम से समाज के साधारण और मूर्ख लोगों का बर्बर शोषण और दमन करके जबरन धन इकट्ठा करके और अपनी बनाई सेना, पुलिस तथा न्यायपालिका के जजों आदि की एक ऐसी व्यवस्था बना लिया है जो सभी राजा या सम्राट रूपी बड़े शोषक व जालिम को सुरक्षा दे सकें और करोड़ों गरीबों, वंचितों,बहुजनों, दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्ग के लोगों को इनकी उक्त वर्णित कथित व्यवस्था क्रूर दमन और शोषण में अपना अकथनीय योगदान दे सकें और इन वंचित तबकों से अपने स्वयं की रक्षा कर सकें !’

सामाजिक अनुबन्ध के विचारकों में रूसो का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है रूसो हमेशा यही कहते थे कि “मनुष्य स्वतन्त्र पैदा होता है लेकिन वह सर्वत्र जंजीरों में जकड़ा हुआ मरता है ! “दुनिया भर में हजारों वर्षों से फैले विषमता मूलक और विकृत समाज पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने अपने लेखों में लिखा कि “विषमता का मूल कारण निजी सम्पत्ति है,जो कि नितान्त अस्वाभाविक और अनौचित्यपूर्ण है ! ” रूसो ने लिखा कि ,” इस दुनिया का सबसे बड़ा और प्रथम अपराधी व्यक्ति वह था,जिसने एक जमीन के टुकड़े पर अधिकार जमाकर यह कहना प्रारम्भ किया कि ”यह मेरी भूमि है !” और उसकी इस बात को तत्कालीन करोड़ों मूर्खों ने स्वीकार भी कर लिया ! और वही व्यक्ति राज्य का संस्थापक बन गया बाद में राजा बन गया और अंततः सम्राट बन गया ! ”

विश्वमानवता को विश्वप्रसिद्ध दार्शनिक रूसो का महान योगदान !

दुनिया के अन्य सुप्रसिद्ध दार्शनिकों और मानवीय विचारकों मसलन हाब्स और लाक की तरह रूसो भी सामाजिक समझौते के सिद्धान्त केप्रबलतम् समर्थक और प्रतिपादक थे । रूसो तत्कालीन समय में ऐसे क्रान्तिकारी विचारक के रूप में सामने आते हैं,जिन्होंने उस समय की दूषित शासन पद्धति,आर्थिक विषमता, सामाजिक कुव्यवस्था के भीषण दुष्परिणामों का नग्न चित्रण करते हुए जनता में जनजागृति लाए । फ्रांस की महान की क्रान्ति,उससे प्रेरित होकर कालजयी सोवियत क्रांति और लैटिन अमेरिकी देशों में अनेक क्रांतियों के सूत्रधार रूसो के ही विचारों और लेखों से आई जनजागृति और जागरण ही थी ! उसी के फलस्वरूप युरोपियन साम्राज्यवादियों के बूटों तले रौंदे जाने वाले दुनिया के लगभग आधे भूभाग पर बसे उनके औपनिवेशिक देश की जनता उन शोषकों को मार भगाई,जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप के भारत, नेपाल और श्रीलंका भी हैं !

दुनिया भर में करोड़ों लोगों में सामाजिक विषयों और जनजागरण लाने में रूसो का अत्यंत सराहनीय और अकथनीय योगदान है ! मानवीय इतिहास में रूसो तत्कालीन समय और समाज में ऐसे क्रान्तिकारी विचारक के रूप में सामने आते हैं,जिन्होंने अपने समय की दूषित शासन पद्धति,आर्थिक विषमता,सामाजिक व्यवस्था के भीषण दुष्परिणामों का नग्न चित्रण करते हुए दुनिया भर की जनता में अभूतपूर्व जागृति लाए !

सुप्रसिद्ध दार्शनिक जीन जैक्स रूसो के अत्यंत जनहितकारी, मानवीय क्रांतिकारी विचारों के फलस्वरूप ही फ्रांस की सुप्रसिद्ध और महान क्रांति हुई जिसमें वहां के अत्यंत विलासी,बर्बर, असहिष्णु और क्रूर राजा लुई सोलहवां और उसकी पत्नी को किसान क्रांतिकारियों द्वारा मृत्युदंड दिया गया ! आज प्रगति के मामले में यूरोप के देश कितने समुन्नत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कितने आगे हैं और ये कथित विश्वगुरु, आध्यात्मिक गुरु भारत महान कहां खड़ा है ? इसीलिए यहां फासिस्ट,दंगाई, हजारों बेगुनाह लोगों का हत्यारा श्रीयुत् श्रीमान नरेंद्र दास दामोदरदास मोदीजी और गुजरात दंगों में सीधा संलिप्त अपराधी, माफिया राज अमित शाह जैसे लोग आज इस देश की बागडोर तक इस देश की अधिसंख्यक जनता की इसी धार्मिक बेवकूफी और कूपमण्डूकता की वजह से ही सत्ता तक पहुंचने में कामयाब हो गए हैं !

भारत में भी अब क्रांति के बहुत जरूरत है !

इतिहास गवाह है कि इन कथित दकियानूसी धर्मों और पुष्यमित्र जैसे इतिहास प्रसिद्ध सत्ता के खलनायक राजाओं के अमानवीय,अपवित्र और नापाक गठजोड़ ने इस विश्वमानवता, दलितों, पिछड़ों और औरतों की सबसे ज्यादे हत्या किये हैं,इसमें सभी धर्म सम्मिलित हैं,यथा सनातन मतलब हिंदू धर्म, इस्लाम धर्म,ईसाई धर्म और यहूदी धर्म आदि सभी हैं !

इस देश में भी बगैर जातिवादी भेदभाव के,सशक्त और संगठित होकर यहां की जनता को इन कथित धर्मों और अशिष्ट तथि धूर्त राजनीतिक कर्णधारों के कथित धार्मिक गुरू, बाबा तथा योगगुरु बने गुंडों,असामाजिक तत्वों आदि के नापाक और अपवित्र गठबंधन की असलियत बताने का और इन रामनामी चादर ओढ़े इन कथित धार्मिक और राजनीतिक भेड़ियों को जो असल में इतिहास में कुख्यात और बदनाम पुष्प मित्र शुंग,फासिस्ट बेनिटो मुसोलिनी और नात्सी एडोल्फ हिटलर के जारज औलाद हैं,की असली भयावह और क्रूर चेहरे को अनावृत्त करने का अब सही समय आ गया है ! इस देश में भी इन शातिर मानवरूपी शातिर भेड़ियों को सत्ता से जबरन बेदखल करने के लिए इस देश के असली महानायकों और शहीदों मसलन शहीद-ए-आजम भगतसिंह,सुखदेव,अशफाक उल्लाह खान, आजाद,बिस्मिल आदि क्रांतिकारियों की शहादत का घोर अपमान करनेवाले इन भेड़ियों और समाज को प्रदूषित करनेवाले इन अत्याचारियों को समाप्त करने के लिए एक सशस्त्र क्रांति की अब निहायत जरूरत है ! गांधी बाबा के कथित अहिंसा के बल पर भारतीय सत्ता पर अजगर की तरह कुंडली मारकर बैठे इन बिषधरों को सत्ता से कतई हटाया ही नहीं जा सकता ! यह कटुसच्चाई है !