अपने ही जाल में उलझ गए नक्सली, उनकी स्ट्रैटजी सरकार और सुरक्षा बलों को समझ आ गई

Naxalites got entangled in their own web, the government and security forces understood their strategy

रमेश शर्मा

पहले इस तरह की खबरें आती थी कि नक्सलियों ने घात लगाकर पुलिस के एक बड़े दल पर हमला किया जिससे कई जवान शहीद हो गए। अब खबरों का ट्रेंड बदल चुका है। अब खबरों में है कि पुलिस ने एक बड़े ऑपरेशन में नक्सलियों की एक बड़ी कंपनी को ढेर कर दिया। तक 31 शव बरामद हुए हैं और बड़ी मात्रा में ए के 47 जैसे हथियार मिले। नक्सलियों के खिलाफ बड़ी सफलता मिलने पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पुलिस जवानों को बधाई दी।

खबरों का यह ट्रेंड बस्तर की शांत वादियों में घुले हुए बारूद की तस्दीक करता है और बताता है कि एक पुराना नियम है कि जो गड्ढा खोदता है वही उसमें गिर जाता है। नक्सली अब अपने ही गड्ढे में गिर गए हैं। अपने जाल में उलझ गए हैं और जंगल में मंगल के उनके दिन लद चुके हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि नक्सलवाद के खात्मे के लिए शुरू हुई हमारी लड़ाई अब अपने अंजाम तक पहुंचकर ही दम लेगी, इसके लिए हमारी डबल इंजन की सरकार दृढ़ संकल्पित है। नक्सलवाद के खात्मे तक हमारी यह लड़ाई जारी रहेगी।
गौरतलब है बीते हफ्ते नारायणपुर-दंतेवाड़ा की सीमा में स्थित अबूझमाड़ क्षेत्र में हमारे सुरक्षा बलों के जवानों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई है, सर्चिंग में अभी तक 31 नक्सलियों के मारे जाने की जानकारी प्राप्त हुई । सर्चिंग में एके-47 सहित कई हथियार मिले। छत्तीसगढ़ में यह अब तक का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन हुआ है।

दरअसल फोकस अब छत्तीसगढ़ पर है। केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह विगत 9 महीने में नक्सलवाद की समीक्षा हेतु दो बार छत्तीसगढ़ आ चुके हैं और कहा है कि मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा। आदिवासी भी हिंसा से तंग आ चुके।

बीते दिनों मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में माओवादी हिंसा से पीड़ित बस्तर के 55 नागरिकों ने अपनी आपबीती व्यथा मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती कौशल्या देवी साय को सुना कर दिल हल्का किया। उन सभी नक्सली आतंक पीड़ितों को सीएम हाउस में आमंत्रित किया गया, जो हाल ही में अपनी व्यथा और समस्याओं को व्यक्त करने दिल्ली गए थे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मौसम खराब होने के कारण उड़ान बाधित होने से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अनुपस्थिति में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या देवी साय ने माओवादी हिंसा पीड़ित बस्तरवासियों का स्वागत किया।

रायपुर आ कर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि देश भर में 2026 तक वामपंथी उग्रवाद अर्थात नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।

नक्सल समस्या के उन्मूलन के लिए प्रभावित सात राज्यों की तीन दिवसीय आपसी समन्वय बैठक में व्यापक स्तर पर रणनीति को कार्य योजना का रूप देने का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने रायपुर पहुंचे गृहमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश के कई राज्यों से नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त हो गया है जिनमे बिहार झारखंड उड़ीसा आंध्र प्रदेश तेलंगाना मध्य प्रदेश और एक जिले को छोड़कर महाराष्ट्र भी नक्सलवाद से पूरी तरह अब लगभग मुक्त है।

पीड़ित राज्य
कुल नक्सलवाद का नब्बे प्रतिशत छत्तीसगढ़ प्रभावित है जिसमें राज्य सरकार एक तरफ सड़कों का जाल बिछाकर मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ा कर और विकास कार्य के साथ-साथ रोजगारपरक योजनाओं को तेजी से अमली जामा पहना कर तेजी से वामपंथी उग्रवाद पर काबू पा रही है। यहां नक्सलियों के 14 बड़े नेता धराशाई कर दिए गए हैं और नक्सली घटनाओं में मरने वालों की संख्या में भी काफी कमी आई है। मसलन 2014 तक 6 617 मौतें होती थी। यह आंकड़ा सन 2024 में सिर्फ 2004 तक सीमित रह गया है। सन 2010 तक 106 जिले नक्सल प्रभावित थे। अब सिर्फ 42 जिलों में यह समस्या सिमट कर रह गई है। सरकार का यह मानना है कि नक्सलवाद पर अब निर्णायक प्रहार करने का वक्त आ चुका है और सरकार नक्सलियों से अपील भी करती है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई जनहितकारी योजनाओं में शामिल होकर विकास में आगे बढ़ें अन्यथा जो हथियार के साथ आज भी सक्रिय हैं हम पाताल में भी ढूंढ कर उनको निकालेंगे।

पिछले 3 दशकों से बस्तर की खूनी धरती पर नक्सली वारदात होती आई है। इस तरह की खबरें ने उन रक्तरंजित सवालों का मुंह नोच लेती हैं जो साल वनों की आदिम युगीन शांत वादी में हालिया वर्षों में लगातार सुलग रहे हैं। हर बार सड़क नक्सली हमले का निशाना बनती है और सुरक्षाबलों से चूक यह होती है कि वह नक्सलियों द्वारा लगातार बिछाए जा रहे एक जैसे तरीके से परंपरागत जाल में फंस जाते हैं। लेकिन सुरक्षा बल अब अबूझ माड़ को बूझ चुके है। बस्तर में नक्सलियों की कमर टूट गई है। बारूद उगलती उनकी बंदूकों को पुलिस फोर्स ने भोथरा कर दिया है और नक्सली न सिर्फ मारे जा रहे हैं बल्कि उनका एक बहुत बड़ा कैडर आत्मसमर्पण भी कर रहा है। पिछले कई सालों से इस वजह से बौखलाए हुए नक्सलियों ने बीते दिनों शातिराना तरीके से एक बार फिर कायराना हमला कर दिया जिसमें एक ड्राइवर सहित 11 जवान शहीद हो गए। डिस्टिक रिजर्व गार्ड के यह सभी जवान बस्तर से ताल्लुक रखते थे और गौर करने वाली बात यह है कि नक्सलवादियों का यह घोषित वाक्य रहा है कि वह बस्तर के आदिवासियों को शोषण से बचाने आए हैं। यह अलग बात है कि अब वे लगातार बस्तर के बेकसूर आदिवासियों को ही निशाना बनाते रहे हैं। नक्सली वारदातों में कई बार यक ब यक आई तेजी के लिए कई कारण गिनाए जा रहे हैं जिसमे पहला कारण स्ट्रैटेजिक है। नक्सली कतई नहीं चाहते हैं कि जंगल में उनके महफूज ठिकानो तक सड़के बने। हमला अरनपुर मार्ग पर मार्ग पर हुआ। सड़क पर रणनीतिक तौर पर नक्सली शुरू से काबिज थे। अरनपुर-जगरगुंडा सड़क 15 साल तक नक्सलियों के कब्जे में रही। अब यह सड़क मुक्त है। सरकार भी नक्सलियों के इस गणित को समझ चुकी है। इसीलिए सड़कों का जाल बिछ रहा है।