इस्लाम के जिहादियों के समूल विनाश के बिना सम्पूर्ण मानवता की रक्षा असंभव : महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी

Without the total destruction of Islamic Jihadis, it is impossible to protect the entire humanity: Mahamandleshwar Yeti Narsinghanand Giri Ji

रविवार दिल्ली नेटवर्क

हरिद्वार : शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने अपने शिष्यों और जूना अखाड़े के संतों के साथ हरिद्वार स्थित श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के भैरव घाट पर बांग्लादेश, पाकिस्तान,भारत सहित सम्पूर्ण विश्व के इस्लामिक जिहादियों के विनाश के लिए विजय और शत्रुविनाश की देवी मां बगलामुखी का महायज्ञ का शुभारंभ किया।

यह मां बगलामुखी महायज्ञ 12 दिसंबर से आरंभ होकर 21 दिसंबर तक चलेगा।

आज के महायज्ञ के उपरांत महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने मां बगलामुखी और महादेव की प्रार्थना करते हुए कहा कि जो इस्लाम के जिहादी बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में निर्दोष हिंदुओं का नरसंहार कर रहे हैं, उनके सम्पूर्ण विनाश के बिना मानवता की रक्षा संभव नहीं है।

उनका कहना है कि हम हिंदुओ में तो अब इतना दम बचा ही नहीं है कि हम इस्लाम के जिहादियों से अपने परिवार और अपने अस्तित्व की रक्षा कर सकें।अब हम सम्पूर्ण रूप से धर्मविहीन होकर कायर,अकर्मण्य और कमीने हो चुके हैं।इसी कारण आज हर जगह हमारी दुर्गति हो रही है। हमारे बूते पर आजाद हुआ बांग्लादेश आज अरब,ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कश्मीर की तरह हमारे लिए कसाईखाना बन गया है।वहां हमारी बच्चियां की दुर्गति और हमारे लोगों का भीषण नरसंहार हो रहा है। हम अपने लोगों को बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं।अब मां और महादेव ही कुछ कर सकते हैं।अब हम उन्हीं से प्रार्थना कर रहे हैं।अब यदि मां और महादेव ही चाहे तो वो हम हिंदुओ को सद्बुद्धि दे कर सर्वनाश से बचा सकते हैं अन्यथा तो अब बस विनाश ही विनाश दिखाई दे रहा है।

उन्होंने महायज्ञ स्थल से सम्पूर्ण सनातन धर्मियों का आह्वान करते हुए महायज्ञ के लिए आमंत्रित किया।

महायज्ञ में मुख्य यजमान सहदेव भगत जी और विश्व धर्म संसद की मुख्य संयोजक डॉ उदिता त्यागी जी के साथ ही श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के कोठारी श्रीमहंत महाकाल गिरी जी महाराज,यति रामस्वरूपानंद, यति सत्यदेवानंद, यति नित्यानंद,यति निर्भयानंद,यति रणसिंहानंद, यति परमात्मानंद, यति अभयानंद के साथ बड़ी संख्या में साधु संत भी उपस्थित थे।