सड़क हादसों में पहले स्थान पर कायम होना दुखद : गडकरी

It is sad that India ranks first in road accidents: Gadkari

रविवार दिल्ली नेटवर्क

नई दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सड़क हादसों में भारत का पहले स्थान पर आना गर्व का नहीं चिंता का विषय है। वह द्वारिका में आईआईएसएसएम के ग्लोबल काॅन्क्लेव के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हर साल लाखों लोग सड़क हादसों की भेंट चढ़ जाते हैं। हम कई प्रतिभाशाली डाॅक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी खो देते हैं। गडकरी ने आश्चर्य जताया कि मानव व्यवहार को बदलना बहुत कठिन है। बड़े पैमाने पर लोगों को प्रशिक्षण देने की जरूरत है। लोग वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना नहीं छोड़ते। वे हेलमेट नहीं पहनना चाहते और हादसों को आमंत्रित करते हैं।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुरक्षा कई क्षेत्रों से जुड़ी है, लेकिन हमें सड़क सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए। हमें देश को आत्मनिर्भर बनाना है, कौशल इंजीनियरों को तैयार करना है।

उन्होंने कहा कि प्रबंधन, प्रशिक्षण और अनुसंधान कभी रुकना नहीं चाहिए।

श्री गडकरी ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी समस्या बढ़ती जनसंख्या है हमें शिक्षा के माध्यम से लोगों को जागरूक बनाना है। सुरक्षा के लिहाज से आंतरिक Lmao बाह्य दोनों की महत्ता है। साथ ही हमें संरक्षा के लिए भी नियमों का पालन करना होगा।

केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए पूर्व सांसद, आईआईएसएसएम के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ आर के सिन्हा की सराहना की। उन्होंने कहा कि सिन्हा ने काम करने का जो तरीका अपनाया वह अन्य के लिए अनुकरणीय है।

इस अवसर पर डॉ आर के सिन्हा ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनके इंडियन पब्लिक स्कूल में स्कूली स्तर से छात्रों को सड़क नियमों का प्रशिक्षण देकर जागरूक किया जाएगा और यह अगले सत्र से ही शुरू किया जाएगा।

कान्क्लेव में उल्लेखनीय कार्यों के लिए कई लोगों को सम्मानित किया गया। इनमें लाइफ टाइम अवार्ड से जी एम श्रीवास्तव, डी सी पाठक और एस के शर्मा शामिल रहे।

फेलोशिप से जनरल प्रेम सागर, जीबी सिंह, मनजीत, जीएस चौहान, प्रो क्रिस पिल्लई, रेणु मट्टू, पूर्व आईपीएस मंजरी जरूहार, एके पाठक, कर्नल एम पी सेन शामिल थे।

आईआईएसएसएम के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ आर के सिन्हा ने चिंता जताते हुए कहा कि रसायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल से हमारे स्वास्थ्य को क्षति पहुँच रही है।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन गंभीर होता गया तो हम भोजन की परंपरागत विधियों की ओर नहीं लौट पाएंगे। डॉ सिन्हा ने कुछ फसलों को तैयार करने में पानी की खपत का मुद्दा भी उठाया।

आज के काॅन्क्लेव में मनीषियों ने आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, महिला सुरक्षा आदि जनमानस से जुड़े मुद्दों पर गंभीर चर्चा की। कार्यक्रम में देश के अलग- अलग हिस्सों के अलावा काफी संख्या में विदेशी विशेषज्ञ भी मौजूद रहे।