राज्य विधानसभा में सभी 200 विधायकों के एक साथ नहीं बैठ पाने का सस्पेंस !!
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
अपने नवाचारों के लिए में पूरे देश में विख्यात राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का अपने विधानसभाध्यक्ष के रुप में एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करने पर राज्य विधानसभा के सदन को पिंक आवरण से सुसज्जित कराने तथा विधानसभा के हर सदस्य के टेबल पर टेबलेट्स लगाने के साथ ही एक और नवाचार सामने आया है। विधानसभा भवन के शुद्धिकरण का उनका यह अघोषित नवाचार अपने आपमें अनूठा कहा जा सकता है क्योंकि अब से पहले प्रदेश की किसी सरकार ने विधानसभा के शुद्धिकरण के लिए ऐसी कोई पहल नहीं की थी।
पिछले कई वर्षों से राजस्थान विधानसभा के वर्तमान भवन के अभिशप्त होने तथा विधानसभा के इस भवन के निर्माण के बाद से अब तक राज्य विधानसभा के सभी 200 सदस्यों के एक साथ नहीं बैठ पाने की अनहोनी के चलते राजस्थान विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी की इस पहल को सभी ओर से सराहा जा रहा हैं। स्पीकर वासुदेव देवनानी ने वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा स्वस्ति वाचन को अपना कर पिछले दिनों इसे अपने कक्ष में आहूत कराया। पहली बार स्पीकर के कक्ष में यज्ञोपवित्र पहने बटुकों ने सस्वर स्वस्ति वाचन किया। शास्त्रों के अनुसार वैदिक मंत्रोच्चार से शुद्धिकरण की परंपरा रही है। विधानसभा में वेद और संस्कृत विद्यालयों के 51 छात्रों ने जन कल्याण के लिए स्वस्ति वाचन किया। इन बटुकों ने समवेत स्वरों में स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः. स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ का पाठ किया। यानी महती कीर्ति वाले ऐश्वर्यशाली इन्द्र हमारा कल्याण करें, जिसको संसार का विज्ञान और जिसका सब पदार्थों में स्मरण है, सबके पोषणकर्ता वे पूषा (सूर्य) हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें।
वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें।वैदिक परम्परा में मान्यता है कि स्वस्ति वाचन में सभी देवी-देवताओं की उपासना की जाती है और सभी बुरे ग्रहों का शमन किया जाता है।स्वस्तिवाचन करने से हृदय और मन मिल जाते हैं और स्वस्तिवाचन करने से सभी देवी-देवता जागृत होते हैं। साथ ही स्वस्तिवाचन करने से नकारात्मक ऊर्जा भी खत्म होती है । कुछ ने इसे शुद्धिकरण से भी जोड़ा,कहा जाता है इससे सभी देवी-देवताओं की उपासना की जाती है और सभी बुरे ग्रहों का शमन किया जाता है।
राज्य की नई विधानसभा में कभी भी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे! विधायकों के फोटो सेशन में शायद कभी ऐसा हुआ हो जब पूरे विधायक एक साथ नजर आय़े हो । साफ है सदन में कुर्सियां 200 है मगर कभी भी इसमें 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाते हैं। राजस्थान विधानसभा में होनी है या अनहोनी की यह कहानी अपने आपमें बहुत विचित्र और सस्पेंस भरी है कि यहां कभी भी सभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाए है।
इस कारण कुछ वर्तमान और पूर्व विधायकों ने विधानसभा में विशेष पूजा अर्चना की मांग की थी। विधानसभा के पूर्व मुख्य सचेतक कालू लाल गुर्जर और पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान ने विधानसभा में इस बारे में कतिपय सवाल खड़े किए थे। कुछ माननीयों ने विधानसभा का नया भवन बनने से पहले यहां श्मशान और कब्रिस्तान भूमि होने का दावा भी किया था और विधानसभा की इमारत के बुरी आत्माओं के साए में होने की बात भी कही गई थी। हालांकि अभी भी विधानसभा भवन से सटा एक मोक्षधाम है जहां अन्तिम संस्कार होते हैं।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी लंबे समय से विधायक रहे हैं और विधानसभा के सदस्य रहने के नाते वो भी जानते है कि विधानसभा भवन में दुर्भाग्य से कभी भी सभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे और ना ही एक साथ सभी 200 विधायकों ने सदन की सदस्यता की शपथ ग्रहण की। हाल ही में दो विधानसभा उप चुनाव इसलिए हुए कि अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक जुबेर खान और सलूंबर से भाजपा विधायक अमृत लाल मीणा का असामयिक निधन हो गया। इसके साथ ही फिर पुरानी धारणाओं को बल मिल गया हैं कि इस भवन के अभिशप्त होने के कारण राजस्थान विधानसभा के मौजूदा भवन में कभी भी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाते। पिछली अशोक गहलोत सरकार में भी उप चुनावो का ऐसा ही इतिहास रहा था जब विधानसभा के कार्यकाल के दौरान ही पंडित भंवर लाल शर्मा,किरण माहेश्वरी, मास्टर भंवरलाल मेघवाल,कैलाश त्रिवेदी का निधन हो गया था।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पिछले इतिहास को खंगाले तो नए विधानसभा भवन को लेकर और भी कई बातें कही जा सकती हैं जिनमें फरवरी 2001 के दौरान जब 11वीं विधानसभा का सत्र था विधानसभा हवामहल के जलेब चौक के पुराने भवन से इस नए भवन में शिफ्ट हुई थी।
तब 25 फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन इसका उद्घाटन करने आने वाले थे जो अनायास बीमार होने की वजह से नहीं आ सके।
आखिरकार बिना उद्घाटन के ही इस नए भवन में विधानसभा शुरु हुई। इसके बाद नवंबर 2001 में इसका उद्घाटन हुआ तब से अब तक किसी ना किसी विधायक का निधन होता रहा है।
शुरुआती दौर में विधायक किशन मोटवानी,जगत सिंह दायमा, भीखा भाई ,भीमसेन चौधरी, रामसिंह विश्नोई, अरुण सिंह ,नाथूराम अहारी चल बसे थे। वसुंधरा राजे के शासन के दौरान कल्याण सिंह चौहान, कीर्ति कुमारी, धर्मपाल चौधरी का विधायक पद पर रहते हुये निधन हो गया । इस कारण मौजूदा विधानसभा की इमारत का विधानसभा उप चुनावों से लगातार सामना होता रहा है। फरवरी 2002 में किशन मोटवानी के निधन के बाद अजमेर पश्चिम में उपचुनाव हुए।दिसंबर 2002 में बानसूर विधायक जगत सिंह दायमा के निधन के बाद चुनाव हुआ।
सागवाड़ा विधायक दिग्गज आदिवासी नेता भीखा भाई भील के निधन बाद उपचुनाव हुआ।
जनवरी 2005 में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद उपचुनाव हुआ। मई 2006 में डीग विधायक अरुण सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुआ। दिसंबर 2006 में डूंगरपुर विधायक नाथूराम अहारी के निधन के बाद उपचुनाव हुआ। वर्ष 2017 में धौलपुर विधायक बीएल कुशवाह के जेल जाने के बाद वहां भी उपचुनाव हुए। सितंबर 2017 में बीजेपी विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के बाद मांडलगढ़ में उपचुनाव हुआ। 21 फरवरी 2018 को बीजेपी के नाथद्वारा विधायक कल्याण सिंह का भी निधन हो गया उसके बाद मुंडावर विधायक धर्मपाल चौधरी भी इस दुनिया में नहीं रहे।
पिछली गहलोत सरकार के समय सहाड़ा, सुजानगढ़ ,वल्लभनगर और राजसमंद के विधानसभा उप चुनाव भी हुए थे और मौजूदा भजनलाल सरकार के समय हाल ही में हुए उप चुनावों में सात नए विधायक निर्वाचित होकर आए है। विधानसभा के यह उप चुनाव खींवसर,चौरासी, देवली उनियारा, दौसा और झुंझुनूं के विधायकों के सांसद बनने के कारण और सलूंबर और रामगढ़ में स्थानीय विधायकों के निधन के कारण हुए है।
राजस्थान की पुरानी विधानसभा जयपुर के चारदीवारी में विश्व प्रसिद्ध हवा महल से सटे जलेब चौक के सवाई मानसिंह टाउन हॉल में चला करती थी, करीब 25 वर्ष पहले नई विधानसभा आधुनिक परिवेश के साथ नए जयपुर में ज्योति नगर में सचिवालय और अन्य भवनों के निकट स्टैच्यू सर्किल के ठीक सामने जनपथ पर बनाई गई,लेकिन विधानसभा में विधायकों की उपस्थिति हमेशा किसी अनजानी शंकाओं से घिरी रही। कुछ विधायकों द्वारा खुलकर अपनी बात रखने के अलावा अन्य विधायक भले ही अंधविश्वासों के बारे में बात नहीं करें लेकिन अंदरूनी तौर पर कानाफूसी के जरिए यह कहते रहते हैं कि विधानसभा के भवन को शुद्धिकरण की जरूरत है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार विधानसभा पर कथित रूप से किसी अपशकुन का छाया होने की इन अशुभ बातों के मद्देनजर स्पीकर वासुदेव देवनानी ने अपने कार्यकाल की प्रथम वर्षगांठ पर अघोषित तौर पर विधानसभा का शुद्धिकरण एवं वैदिक मंत्रों का जो स्वस्तिवाचन कराया है वह राज्य विधानसभा और प्रदेश के नागरिकों के लिए मंगलकारी साबित होगा,ऐसी उम्मीद हैं।