डा.अखिलेश कुमार भट्ट
आज बाबू जी की पुण्यतिथि है। बाबूजी के बारे में कुछ कहना जैसे सूरज को दीपक दिखाने जैसा है। जीवन की तीन अवस्थाएं हैं.. कथनी.. करनी.. और रहनी।
बाबूजी कथनी, करनी से ऊपर उठकर ‘ रहनी ‘ मैं विश्वास करने वाले वाले महामानव थे।
उन्होंने जी कर दिखाया.. व्यक्ति का कहना, करना जब जीने में उतरता है… तो वह रहनी संपन्न होता है। ऐसे लोग विरले ही होते हैं …. उन्हीं में से एक थे बाबूजी। सहजता, सरलता, स्वाभाविकता ,निश्छलता, सेवा परायणता एवं विनम्रता कि वो विभूति थे। कठिन परिस्थितियों में भी निर्णय संपन्न होकर प्रजातांत्रिक मूल्यों के साथ सहज होकर जीना उन्हें आता था। ” सर्वे भवंतु सुखिनः ” की लोक कल्याणकारी भावना को उन्होंने स्वयं में आत्मसात किया था। परिवार के मुखिया के रूप में, अपने समय के एक अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, शाहाबाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के रूप में, रोहतास क्वायरीज लेबर यूनियन के लगभग 35000 कर्मचारियों के मजदूर नेता के रूप में, तत्कालीन शाहाबाद कोर्ट के जूरी (जज के साथ बैठने वाले कानूनविद) के रूप में, क्षेत्र के विभिन्न संस्थाओं के साथ जुड़े सदस्य के रूप में, शाहपुर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भोजपुर( बिहार) के संस्थापक सदस्य के रूप में…. और जन जन के हृदय में अपनी सच्चाई, निष्ठा, लगन एवं प्रेम से एक विशिष्ट स्थान बनाने वाले अजातशत्रु शख्सियत के रूप में… उनकी पहचान परिवार और समाज से ऊपर उठकर जन-जन के हृदय में आज भी विद्यमान है।
राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों के समर्थक, गांधीवादी विचारधारा के पोशक, सर्वहारा के समर्थक, नारी शिक्षा के हिमायती तथा सबको साथ लेकर चलने की उनकी उनकी पावन मानसिकता उन्हें पद -पोस्ट से मुक्त रहने के बावजूद इंसानियत का अग्रदूत सिद्ध करती है।
मार्केट में सबसे सस्ता उपलब्ध खादी की धोती, कुर्ता ,जैकेट और कंधे पर एक गमछा उद्दीप्त ललाट, चमकती आंखें, अध्ययन और अध्यापन में गहरी अभिरुचि, बड़े से बड़े और छोटे से छोटे के साथ घुल- मिल जाने की अद्भुत कला बाबूजी को अति विशिष्ट बनाती है….. बाबूजी अनुपम थे.. अप्रतिम थे।
प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ यशपाल भारती ने बाबूजी के बारे में लिखा है… “एक जमींदार परिवार में जन्म लेने के बावजूद बाबूजी शोषितों, दलितों ,मजदूरों, किसानों एवं तत्कालीन परिस्थितियों में एक अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखते थे। उनकी सोच और समझ अपने समय से बहुत आगे की थी।”
बाबूजी का तत्कालीन शीर्ष नेताओं के साथ निकट का संबंध था ..पंडित हरगोविंद मिश्र, बाबू जगजीवन राम,श्री बाबू, अनुग्रह बाबू, अनंत प्रसाद शर्मा, पंडित बिंदेश्वरी दूबे, केदारनाथ सिंह, चंद्रशेखर चौबे, रामानंद तिवारी तारकेश्वर त्रिपाठी..सी. पी. शर्मा, पुरुषोत्तम राय, इंद्रदेव शर्मा ,राजेंद्र शर्मा, प्रो.परमहंस राय ,केशव शर्मा.. इत्यादि अग्रणी राष्ट्र भक्त /नेता उनके करीबी मित्रों में से थे।
सबसे बड़ी बात यह कि राजनीत में रहने के बावजूद उन्होंने कभी कोई राजनीतिक फायदा नहीं उठाया।स्वतंत्रता सेनानी होने के बावजूद उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी पेंशन तक लेना स्वीकार नहीं किया। उन्होंने बिना रुके.. बिना थके.. जीवन भर कार्य किया… किंतु कभी किसी कार्य का श्रेय (क्रेडिट) नहीं लिया। वो हर कार्य का क्रेडिट सामने वाले को देते थे। उन्होंने जो भी किया ईश्वर को नाजिर,- हाजिर मानकर किया।
आज बाबू जी हमारे बीच नहीं हैं किंतु उनके आदर्श, उनकी सीख, उनका व्यक्तित्व और कृतित्व उनको जानने समझने वालों के हृदय में विद्यमान है।बाबूजी दिखावा- प्रदर्शन से कोसों दूर थे। वो निराभिमानी थे ।
हमने उन्हें कभी भी क्रोधित होते हुए नहीं देखा । वो क्षमाशील थे.. अत्यंत विनम्र थे.. वो सबके थे।” सादा जीवन उच्च विचार ” की कहावत उन पर पूरी तरह से चरितार्थ थी।बहुत कम लोगों को मालूम है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों (विशेष रुप से खान मजदूर- माइंस में काम करने वाले मजदूरों) के लिए ” न्यूनतम वेतन अधिनियम” को लागू करवाने में बाबूजी की अग्रणी भूमिका रही है। बाबू जी को युवा पीढ़ी पर अतिशय विश्वास था। वो युवाओं के मार्गदर्शन एवं शक्ति संवर्धन के हिमायती थे.. युवाओं के शक्ति संवर्धन का आधार वो शिक्षा और संस्कार को मानते थे। इस पर उन्होंने जीवन भर कार्य भी किया। यही वजह है कि उनके संपर्क में आने वाले एवं उनकी विचारधारा को जीने वाले परिवार और समाज के बहुतायत लोग आज समाज का कुशलतापूर्वक नेतृत्व कर रहे हैं।
बाबूजी के व्यक्तित्व – कृतित्व और विचारधारा को अक्षुण्ण रखने हेतु एक संस्था “पंडित भैरवनाथ भट्ट मेमोरियल फाउंडेशन ” (रजिस्टर्ड) गठित है।संस्था का मूल मंत्र है.. “संगच्छध्वम् “…. साथ साथ चलने से रास्ता सुगम हो जाता है। मुश्किलें आसान हो जाती हैं। जिंदगी और अधिक सुगंधित हो जाती है।…. और हम लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होते हैं।बाबू जी की पुण्यतिथि पर पूरे परिवार की तरफ से, पंडित भैरवनाथ भट्ट मेमोरियल फाउंडेशन की तरफ से, हवेली परिवार ग्रुप की तरफ से, ‘डीह डीहवार : हमार गउडाढ’ ग्रुप की तरफ से, अपने गांव तिलौली (देवरिया) तथा गउडाढ ,भोजपुर (बिहार) के समस्त आदरणीय लोगों की तरफ से तथा बाबूजी को प्यार करने वाले/ उनके आदर्शों को अपनाने वाले समस्त जानने /पहचानने वाले सुहृद जन की तरफ से… मैं प्रातः स्मरणीय बाबूजी की पुण्य स्मृति को शत शत नमन करता हूं। स्मरण करता हूं /वंदन करता हूं।
- उप निदेशक, शिक्षा निदेशालय, दिल्ली।