पिंक सिटी जयपुर में पिंक एसेंबली करेंगी नए साल में राज्यपाल का अभिवादन
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
अपने नवाचारों के लिए पूरे देश में एक अलग ही पहचान बनाने वाले राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर नए वर्ष में विधानसभा का सदन एकदम नए क्लेवर गुलाबी रंग से सुसज्जित हो गया हैं। गुलाबी नगरी जयपुर की तर्ज पर राजस्थान विधानसभा में यह गुलाबी आभा हर किसी को आकर्षित कर रहा हैं। इस महीने के अन्त में शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में जब राज्य के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी के साथ एक परेड के रुप में प्रदेश के विधायकों को संबोधित करने विधानसभा के सदन में प्रवेश करेंगे और उनके चरण सदन में पड़ेंगे तो उनकी अगवानी सदन में नए लगे गुलाबी रंग के गलीचे और कार्पेट करेंगे।
जयपुर के इतिहास पर नजर डालें तो इस खूबसूरत शहर को गुलाबी रंग से रंगवाने की वजह यह थी कि गुलाबी रंग को आतिथ्य का प्रतीक माना जाता है।जयपुर के महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय ने साल 1876 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया के बेटे प्रिंस अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगवाया था। प्रिंस अल्बर्ट को यह शहर इतना पसंद आया कि उन्होंने जयपुर को ‘गुलाबी शहर’ का नाम दे दिया। इस प्रकार जयपुर को गुलाबी मय बनाने की यह परम्परा बदस्तुर जारी है और विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी विधानसभा के सदन को गुलाबी आवरण में तैयार करा अपना नाम भी इतिहास में दर्ज करा दिया हैं।
विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अपने नवाचारों की श्रृंखला में एक और पहल करते हुए राजस्थान की राजधानी पिंक सिटी जयपुर में राजस्थान विधानसभा के सदन के पूरे हॉल को भी पिंक आवरण में तब्दील करा दिया हैं। पहले विधानसभा का यह हॉल हरे रंग से सुसज्जित था लेकिन वर्ष 2001 में राज्य विधानसभा के जयपुर के ऐतिहासिक हवामहल के जलेब चौक से ज्योति नगर में जनपथ पर स्थित वर्तमान भवन में स्थानांतरित होने के बाद से पिछले करीब 24 वर्षों बाद सदन में बिछे हरे कालीन को बदल गुलाबी नगरी के वैभव के अनुरूप गुलाबी रंग में बदला गया हैं। इस परिवर्तन से सदन और अधिक निखर गया है। राजस्थान के गुलाबी पत्थर से ही निर्मित राज्य विधानसभा का भव्य एवं सुन्दर भवन राजस्थान की बेजोड़ स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं।
विधानसभा का अंदरुनी कलेवर को गुलाबीमय बनाने के साथ ही विधानसभाध्यक्ष देवनानी ने विधानसभा में एक और नवाचार किया हैं और सदन में राज्य के सभी 200 विधायकों की सीटों पर आईपेड लगवाये है। इस प्रकार राजस्थान विधानसभा अब हाईटेक और पेपरलेस होने की एक और उपलब्धि से जुड़ रही हैं। इसके लिए वन नेशन-वन एप्लीकेशन के तहत राज्य विधानसभा में तकनीक के समावेश का नया प्रयास किया जा रहा है और विधानसभा का सदन सूचना तकनीक के साथ नये कलेवर में तैयार हो गया है तथा अब सदन में राज्य के सभी 200 विधायक इन आईपेड के माध्यम से सदन में ऑनलाईन पद्धति से विधान कार्यों का सम्पादन कर सकेगें।विधायकाें को एक लैपटाॅप मय प्रिन्टर उनके आवास के लिए भी उपलब्ध कराया जायेगा। इस प्रकार 16वीं विधानसभा का तृतीय सत्र डिजिटल पद्धति से संचालित होगा।
राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी बताते है कि सूचना एवं तकनीकी युग में डिजिटल पद्धति से कार्य किया जाना आज के युग की आवश्यकता है। राजस्थान विधानसभा भी इस दिशा में निरंतर आगे बढ रही हैं तथा अब विधायक ऑफलाइन के साथ-साथ नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन के माध्यम से ऑनलाइन पद्धति से भी विधाई कार्य सम्पादित कर सकेगे। वन नेशन- वन एप्लीकेशन नेवा के तहत अब राजस्थान विधान सभा में भी लोक सभा एवं राज्य सभा की तर्ज पर विधायी कार्य होगें।
पिछले बुधवार को विधानसभाध्यक्ष देवनानी की अध्यक्षता विधानसभा के गुलाबी रंग से नव सुसज्जित सदन में ही राज्य के एक सौ दस विधायकाें को आइपेड के माध्यम से कार्य करने का एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। लोकसभा सचिवालय और एनआईसी के अधिकारियों ने उन्हें नेवा प्रोजेक्ट के तहत तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया। भारत सरकार के संसदीय कार्य मंत्रालय के नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) के तहत विधानसभा की डिजिटलाईज परियोजना के तहत इस परियोजना में 12.61 करोड़ रुपये की राशि व्यय की है। इस राशि में 60 प्रतिशत केन्द्र सरकार एवं 40 प्रतिशत भागीदारी राज्य सरकार की है। विधानसभा में नेवा सेवा केन्द्र (ई लर्निंग कम ई-फैसिलेशन सेन्टर) की भी स्थापना की जा रही है। इस केन्द्र के तकनीकी अधिकारी विधायकाें, अधिकारियों व कर्मचारियों को नेवा मॉडूयल्स की जानकारी उपलब्ध करायेगें। केन्द्र द्वारा प्रशिक्षण सामग्री अंग्रेजी और हिन्दी में उपलब्ध कराई जायेगी। सत्र के दौरान विधायकों जिस भी विधायक को ऑनलाईन कार्य करने में असुविधा होगी उसके लिए मौके पर ही तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जायेगी। विधानसभा में विधायकों को ऑनलाईन कार्य करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिये सात दिन का व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किया जा रहा है। इसके तहत विधान सभा समितियों की बैठकों में ही विधायकाें को आईपेड पर व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। विधायकाें के लिये यह प्रशिक्षण निरंतर जारी रखें जायेगें ताकि यह कार्य पद्धति उनके स्वभाव में आ सके और विधानसभा की कार्यवाही पेपरलैस हो सकें।
तीर्थराज पुष्कर और अजमेर दरगाह के लिए विश्व प्रसिद्ध अजमेर निवासी 76 वर्षीय वासुदेव देवनानी सनातन भारतीय संस्कृति के प्रतीक है।उनकी कर्मभूमि कई वर्षों तक उदयपुर रही। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर वे तकनीकी शिक्षाविद् रहें । आरएसएस की विचारधारा में पले बढ़ें और भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रह कर राजनीति में आये देवनानी एक प्रखर और गंभीर राजनेता है। देवनानी ने राजस्थान विधानसभा के सदस्य की शपथ संस्कृ्त भाषा में ली थी। संसदीय कार्य प्रणाली का लंबा अनुभव रखने वाले देवनानी हिन्दी, संस्कृत, सिन्धी और अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड रखते है। वे अजमेर उत्तर से विधायक हैं और पाँचवी बार विधायक का चुनाव जीत चुके है। वसुन्धरा राजे के मुख्यमंत्रित्वकाल में प्रदेश के शिक्षा मंत्री रहते हुए भी उन्होंने कई नवाचार किए और पाठ्य पुस्तकों में महाराणा प्रताप महान जैसे कई परिवर्तन करा पूरे देश में चर्चित हो चुके है।
वासुदेव देवनानी का विधानसभाध्यक्ष के रूप में पिछलें एक वर्ष का कार्यकाल कई नवाचारों और उपलब्धियों से भरपूर रहा हैं। विधानसभाध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल का पिछले 21 दिसम्बर को एक वर्ष पूरा हुआ हैं। राजस्थान विधानसभा के 18 वें अध्यक्ष के तौर से देवनानी ने एक वर्ष के अपने कार्यकाल में कई नवाचार कर उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की है। नए साल 2025 में उनकी लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला के हाथों राजस्थान कांस्टीट्यूशन क्लब का शुभारम्भ करा विधायकों को नया तोहफा देने की योजना है। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली की तर्ज पर जयपुर में राजस्थान कांस्टीट्यूशन क्लब बनाने में भी राजस्थान अग्रणी प्रदेश बन रहा है।
देवनानी ने विधानसभा भवन और इससे सटे नव निर्मित विधायक निवास में बिजली के खर्च की बचत के लिए सोलर पेनल लगाने की दिशा में प्रयास किए हैं। देवनानी ने संसद की तरह राजस्थान विधानसभा में भी सर्वदलीय बैठक की ऐतिहासिक पहल की है तथा सदन में लंच ब्रेक की शुरुआत भी कराई हैं। उन्होंने राज्य सरकार के अधिकारियों से विधानसभा प्रश्नों के उत्तर समय सीमा में मंगाने के साथ ही विधानसभा की विभिन्न समितियों की रिपोर्ट भी समय पर मंगाना और उनकी आवश्यक रूप से सदन में चर्चा करना भी सुनिश्चित कराया है। देवनानी ने सदन में स्थगन के साथ पूर्व की भांति पर्ची के माध्यम से लोक महत्व के विषयों को उठाये जाने की व्यवस्था को पुनः लागू करने के साथ ही इन मामलों के अविलम्ब जवाब दिलाना भी शुरू कराया है। वे सदन को अधिक से अधिक समय तक चलाने और सार्थक चर्चा पर विशेष ध्यान दे रहें हैं। डिजिटल व्यवस्था को सुदृढ़ कराने से विधानसभा के विधेयक, रिपोर्टस, वीडियो आदि मीडिया अनुसंधानकर्ता और आम नागरिकों को अब सरलता से ऑन लाईन उपलब्ध हो रहे है। देवनानी अगले वर्ष से संसद की तरह विधानसभा के भी तीन सत्र चला कर सदन के कार्य दिवस बढ़ाने का विचार कर रहे है।
देवनानी ने परम्परा से हट कर राजस्थान विधानसभा के द्वार आमजन के लिए खोल दिए है। जिससे अब विधानसभा के डिजिटल संग्रहालय को काफ़ी संख्या में लोग विद्यार्थी देखने आ रहे है। संग्रहालय में संविधान दीर्घा का शुभारम्भ भी देवनानी की ऐतिहासिक एवं शोधपरक दृष्टि का परिचायक है। इस दीर्घा में मूल संविधान के बाईस भागों को खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया है। विशेष कर संविधान के बाईस भागों के मुख पृष्ठ पर भारत की संस्कृति और स्वाभिमान को दिखाती तस्वीरों में भारत की प्राचीन सभ्यता मोहेंजोदडो से लेकर महाभारत में कुरुक्षेत्र और कृष्ण द्वारा दिए गए गीता के ज्ञान, भगवान श्री राम की लंका विजय, भगवान बुद्ध का जीवन चरित्र, महान सम्राट अशोक, उज्जैन के न्यायप्रिय महाराज विक्रमादित्य के राजदरबार, प्राचीन वैदिक गुरुकुल, नालंदा विश्वविद्यालय, भगवान नटराज, रामभक्त हनुमान के साथ ही झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, छत्रपति वीर शिवाजी और गुरु गोविन्द सिंह आदि को प्रदर्शित किया गया है।उन्होंने विधानसभा म्यूजियम को देश के पर्यटन नक्शे से भी जुडवाया है। इससे देश विदेश के पर्यटक भी विधानसभा संग्रहालय और विधान सभा बेजोड़ भवन को निकट से देख पा रहें है।
देवनानी के ऐतिहासिक नवाचारों में विधानसभा द्वारा प्रकाशित कैलेण्डर और डायरी भी शामिल है। इनका प्रकाशन भारतीय वर्ष के अनुसार नवसंवत्सर के माह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के आधार पर कराया गया है। साथ ही इनमें वीर वीरांगनाओं और महापुरूषों के चित्रों को भी शामिल किया गया है। देवनानी के मार्गदर्शन में राष्ट्र मण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा को विधानसभा में सक्रिय मंच के रूप में परिवर्तित किया गया है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के 67वें सम्मेलन को सम्बोधित किया। साथ ही ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर और जापान आदि देशों की हाल ही की यात्रा के दौरान भारतवंशियों और प्रवासी राजस्थानियों को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित को भारत राष्ट्र बनाने के विजन को मूर्त रुप देने के लिए भारत तथा राजस्थान के सर्वांगीण विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया हैं।
इस प्रकार विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अपने नवाचारों से राजस्थान विधानसभा को देश की सर्वश्रेष्ठ विधानसभा बनने के लिए सतत प्रयत्नशील है। देखना है आने वाले वर्षों में वे और कौन से नवाचार करेंगे?