प्रो. नीलम महाजन सिंह
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फरवरी 2025 में ‘व्हाइट हाउस’ आने की संभावना है,” अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने फ्लोरिडा से ज्वाइंट बेस एंड्रयूज़ से लौटते समय एयर फोर्स वन (Air Force One) में संवाददाताओं को यह जानकारी दी। “मैंनें आज सुबह पीएम नरेंद्र मोदी से लंबी बातचीत की है। वे अगले महीने, संभवत: फरवरी में व्हाइट हाउस आने वाले हैं। भारत के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं।” राष्ट्रपति ट्रंप व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। दोनों ने सितंबर 2019 में ह्यूस्टन में व फरवरी 2020 में अहमदाबाद में दो रैलियों में हजारों लोगों को संबोधित किया था। नवंबर 2024 में अपनी शानदार चुनावी जीत के बाद पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से बात करने वाले शीर्ष तीन विश्व नेताओं में शामिल है। इस यात्रा का उद्देश्य भारत-अमेरिका व्यापक, वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करना होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच महत्वपूर्ण निर्णय लिए जायेेंगें। जब से रिपब्लिकन नेता ट्रम्प ने दूसरे कार्यकाल के लिए पद संभाला है, उनका कहना है कि वे लोगों के कल्याण व वैश्विक शांति, समृद्धि व सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगें। व्यापार, सुरक्षा और आव्रजन पर बातचीत हुई। डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, ने भारत का प्रतिनिधित्व किया व उन्हें पीएम मोदी का पत्र सौंपा। ट्रम्प ने 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। यह ऐतिहासिक समारोह 40 वर्षों में पहली बार ठंड के कारण बंद कमरे में आयोजित किया गया। भारत-अमेरिका साझेदारी पर फोकस, ‘क्वाड बैठक’ (QUAD) के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिकी सचिव रुबियो और एन.एस.ए. (National Security Adviser) वाल्ट्ज़ से मुलाकात की। मोदी ने 7 नवंबर को ट्रंप से उनकी दोबारा जीत के बाद मुबारक दी थी। उस बातचीत के दौरान ट्रंप ने कथित तौर पर मोदी की एक “शानदार व्यक्ति” के रूप में प्रशंसा की और कहा कि दुनिया उनका बहुत सम्मान करती है। उन्होंने भारत को एक ‘शानदार देश’ बताया व पीएम मोदी और भारत दोनों के साथ अपनी दोस्ती की पुष्टि की। दोनों नेता वैश्विक शांति प्रयासों पर सहयोग करने के लिए सहमत हैं। “दोनों नेताओं ने सहयोग बढ़ाने और उसे गहरा करने पर चर्चा की। उन्होंने इंडो-पैसिफिक, मध्य पूर्व और यूरोप में सुरक्षा सहित कई क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। राष्ट्रपति ने अमेरिका निर्मित सुरक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाने और निष्पक्ष द्विपक्षीय व्यापार संबंधों की ओर बढ़ने के महत्व पर जोर दिया,” व्हाइट हाउस के ब्यान में कहा गया। “हम बाहरी देशों व लोगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं जो वास्तव में हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। वे मूल रूप से अपने देश को मज़बूत बनाना चाहते हैं। चीन भारत, ब्राजील व कई अन्य देशों की तरह, भारत एक ज़बरदस्त टैरिफ निर्माता है। हम अब ऐसा नहीं होने देंगें, क्योंकि हम अमेरिका को प्राथमिकता देंगें,” ट्रम्प ने घोषणा की। उन्होंने क्वाड समूह के नेतृत्व शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले महीनों में यह शिखर सम्मेलन भारत में होने की उम्मीद है। ट्रम्प प्रशासन ने आव्रजन, एच-1बी वीज़ा (H-1B) व टैरिफ पर ध्यान केंद्रित किया है जो वाशिंगटन डीसी के साथ अपने संबंधों में भारत के हित के लिए प्रासंगिक हैं। कीर्तिवर्धन सिंह, पबित्रा मार्गेरिटा (विदेश मंत्रालय के राज्य मंत्री) व विक्रम मिस्री, विदेश सचिव, सभी पीएम मोदी की अमरीकी यात्रा के मुख्य मुद्दों का खाके तैयार कर रहे हैं। “नमस्ते ट्रंप” कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरें वायरल हुईं थीं। ट्रंप की यात्रा का उद्देश्य संबंधों को पुख्ता करना था व भारत के शानदार स्वागत ने चुनावी वर्ष में राष्ट्रपति के लिए रंगीन दृश्य प्रदान किए। पीएम नरेंद्र मोदी व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शैली और नारों में उल्लेखनीय समानता है, खासकर जिस तरह से उन्होंने अपने देशों को फिर से महान बनाने की बयानबाज़ी पर ध्यान केंद्रित किया गया। राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘मरणासन्न क्वाड’ को पुनर्जीवित किया। ‘यूएस पैसिफिक कमांड’ का नाम बदलकर ‘यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड’ कर दिया गया। ट्रंप की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति ने इस बात पर ज़ोर दिया कि “इंडो-पैसिफिक” भारत के पश्चिमी तट से लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तटों तक फैला हुआ है। भारत के एक अग्रणी वैश्विक शक्ति व मज़बूत रणनीतिक, रक्षा साझेदार के रूप में उभरने का स्वागत करते हुए, ट्रम्प ने कहा, “हिंद महासागर की सुरक्षा और पूरे व्यापक क्षेत्र में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका का हम समर्थन करेगा”। यह सत्य है कि अगले चार वर्षों में स्थिति अलग होगी। भारत-अमेरिका के बीच जटिल संबंध रहे हैं। जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दोनों देशों को “स्वाभाविक सहयोगी” बताया, तो उन्होंने मूल्यों व भू-राजनीतिक हितों के बीच व्यापक सामंजस्य का सुझाव दिया। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत-अमेरिका संबंधों को “21वीं सदी की एक परिभाषित साझेदारी” के रूप में वर्णित किया। मोदी ने 2016 में अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि रिश्तों ने इतिहास की झिझक को दूर कर दिया है, जो दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी बनाने में संकोच को दूर करने का सुझाव देते हैं। कई मुद्दों पर भिन्न हैं, लेकिन दोनों देशों की संगति असहमतियों से कहीं अधिक है। पिछले साल, दोनों देशों ने अपने सात लंबित ‘डब्ल्यू.टी.ओ.’ (WTO) विवादों को सुलझाया । 2022 में भारत में अमेरिकी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का स्टॉक 51.6 बिलियन डॉलर था। दोनों देश कृषि, ब्लॉकचेन, स्वच्छ ऊर्जा, साइबर विज्ञान, भविष्य की पीढ़ी के दूरसंचार, स्वास्थ्य सुरक्षा और अंतरिक्ष सहित प्रौद्योगिकी और नवाचार के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग करते हैं। 2018 में रणनीतिक व्यापार प्राधिकरण ‘टियर-1’ की स्थिति में अपनी उन्नति के माध्यम से, भारत को अमेरिकी वाणिज्य और राज्य विभागों द्वारा विनियमित प्रौद्योगिकियों की एक विस्तृत श्रृंखला तक लाइसेंस-मुक्त रूप प्राप्त हुआ। भारत-अमेरिका ने खनिज सुरक्षा भागीदारी, आर्टेमिस समझौते, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल पर हाथ मिलाया है, और सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला और नवाचार भागीदारी पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। रक्षा सहयोग भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाता है रणनीतिक संबंधों का चालक है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ (स्व-निर्भर भारत) और घरेलू हथियार निर्माण को बढ़ावा देने की बात के बावजूद, भारत सबसे बड़ा वैश्विक हथियार आयातक बना हुआ है, जो 2019 और 2023 के बीच अंतरराष्ट्रीय हथियार व्यापार का 9.8 प्रतिशत हिस्सा है। हालाँकि इस अवधि में रूस प्रमुख आपूर्तिकर्ता बना रहा, जो भारत के एक तिहाई से अधिक हथियारों के आयात के लिए जिम्मेदार है, अमेरिका ने अपना हिस्सा काफी बढ़ा दिया (2019-2023 के लिए भारत के आयात का 13 प्रतिशत), जिसमें आंशिक रूप से ट्रम्प का पहला राष्ट्रपतित्व भी शामिल है। वीज़ा व अवैध प्रवासियों के मुद्दे ने हाल ही में ध्यान खींचा है, जिसमें ‘मागा’ (MAGA) परिवार से ट्रम्प के साथियों के एक वर्ग ने भारतीय अमेरिकियों पर हमला बोला है। भारत-अमेरिका रक्षा व्यापार व प्रौद्योगिकी पहल के लॉन्च होने के एक दर्जन साल बाद भी कुछ खास नहीं हुआ है। उम्मीद है कि 2023 भारत-अमेरिका रक्षा त्वरण पारिस्थितिकी तंत्र (INDUS-X) भारतीय रक्षा स्टार्टअप की क्षमता निर्माण को बढ़ावा देगा, रक्षा नवाचारों के लिए फंडिंग के अवसरों को बढ़ाएगा और रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करेगा। प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में, भारत को अभी भी अमेरिकी सहयोगियों व नाटो सदस्यों के बराबर नहीं माना जाता है, जबकि उसने आधारभूत समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जो एक करीबी रक्षा संबंध के लिए एक शर्त है, जिसमें ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ शामिल हैं। ‘फॉरवर्ड-तैनात अमेरिकी नौसैनिक संपत्तियों के रखरखाव के लिए’ मदद प्रदान करने की अभूतपूर्व भारतीय प्रतिबद्धता के बावजूद, दोनों देशों ने ‘भारत में विमानों और जहाजों के लिए रसद, मरम्मत और रखरखाव के बुनियादी ढांचे” के लिए एक साथ काम करने पर भी सहमति व्यक्त की है। भारत, अमेरिकी शस्त्र निर्यात नियंत्रण अधिनियम के तहत विदेशी सैन्य बिक्री और निर्यात की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए जून 2023 में पेश किए जाने वाले सक्षम कानून के लिए अमेरिकी प्रशासन और द्विदलीय कांग्रेस के समर्थन की प्रतीक्षा कर रहा है। 2022 में, चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा $421.85 बिलियन था। भारत के साथ इसका घाटा $43.66 बिलियन था, जो साढ़े नौ गुना कम है। हालाँकि कई कारक भारत के पक्ष में हैं, लेकिन अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता मुश्किल हो सकती है। भारत अमेरिका के साथ असंतुलित व्यापार में सबसे आगे नहीं है; सेवा व्यापार में इसका अधिशेष केवल $7.4 बिलियन है और लगातार कम हो रहा है। अमेरिकी संस्थानों में 3,20,260 भारतीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सालाना $7.7 बिलियन का योगदान करते हैं। भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है; 2023 में, भारत में अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने 1.4 मिलियन वीज़ा जारी किए। भारत एक लचीली प्रतिक्रिया के लिए तैयार है, जिसमें एक दूसरे के निर्यात हित के उत्पादों के लिए पारस्परिक पहुँच को सुविधाजनक बनाने के लिए एक इष्टतम सौदा शामिल है। भारत और अमेरिका ने ट्रम्प के पहले राष्ट्रपति काल में एक सहज संबंध का आनंद लिया व यह मानने का कोई कारण नहीं है कि डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल के दौरान स्थिति अलग होगी। जबकि अमेरिका भारत के लिए माल व सेवाओं के व्यापार का सबसे बड़ा बाजार है, रक्षा सहयोग भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों का चालक है और भारत एक प्रमुख हथियार आयातक बना हुआ है। अमेरिका को एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बनाने में भारत की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में प्रशिक्षित भारतीय श्रमिकों को दिए जाने वाले H-1B वीजा अमेरिकी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं। 2023 में, अमेरिका में 3.5 मिलियन STEM कर्मचारियों में से एक चौथाई से ज़्यादा भारतीय पेशेवर होंगे। ट्रंप की कई टिप्पणियाँ बातचीत के लिए बेबाकी से बयान देने और अस्थिर करने वाले बयान देने की उनकी आदत के कारण हैं। ट्रम्प ने ब्रिक्स देशों को धमकी दी है कि अगर वे नई मुद्रा बनाने की कोशिश करेंगे तो उन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा, क्योंकि ब्रिक्स मुद्रा योजना मौजूद नहीं है। अगर प्रस्ताव दिया जाता है, तो भारत इसे रोक सकता है। हालाँकि कई द्विपक्षीय व्यापार मुद्दे हल करने योग्य हैं, लेकिन ट्रम्प के राष्ट्रपति पद के कार्यकाल के लिए, भारत को सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (निर्दिष्ट उत्पादों के लिए कम टैरिफ) की बहाली के बारे में भूलना होगा, जिसे 2019 में वापस ले लिया गया था। भारत से अस्थायी कुशल पेशेवरों के वेतन से की गई सामाजिक सुरक्षा कटौती की वापसी के लिए एक द्विपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा समझौता (जिसे “टोटलाइज़ेशन एग्रीमेंट” के रूप में भी जाना जाता है) (क्वाड के सदस्य ऑस्ट्रेलिया और जापान इससे लाभान्वित होते हैं)। उच्च प्रौद्योगिकी और दोहरे उद्देश्य वाले व्यापार में, उच्च प्रौद्योगिकी और दोहरे उपयोग वाले सामानों तक भारतीय पहुँच के लिए अमेरिकी निर्यात नियंत्रण में ढील दी गई है। चीन को अमेरिकी निर्यात का कुल मूल्य काफी अधिक है। चीन को किए जाने वाले 151.1 बिलियन डॉलर के अमेरिकी निर्यात का 0.8 प्रतिशत या 1,178.2 मिलियन डॉलर का निर्यात लाइसेंस के अंतर्गत था, और 25.3 बिलियन डॉलर “बिना लाइसेंस की आवश्यकता” के तहत थे (भारत के लिए यह केवल 3.3 बिलियन डॉलर था)। भारतीय उद्योग और सरकार को सभी उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए अपनी क्षमता बढ़ानी होगी। वीजा और अवैध अप्रवासियों ने हाल ही में ध्यान आकर्षित किया है। रूस यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत करने के लिए तैयार है, लेकिन चाहता है कि अमेरिका पहला कदम उठाए। अरब प्रायद्वीप में शांति के लिए इज़राइल को भी साथ लेना होगा। अपनी विदेश और सुरक्षा नीति टीम में चीन के कई कट्टरपंथियों के बावजूद, ट्रम्प ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को 20 जनवरी को अपने उद्घाटन समारोह में आमंत्रित करके उनके लिए एक शांति प्रस्ताव रखा। उन्होंने कथित तौर पर यह भी कहा, “चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका मिलकर दुनिया की सभी समस्याओं को हल कर सकते हैं” और फिर चुटकी ली, “इसके बारे में सोचो।” ट्रम्प की चुनावी जीत पर चीन का ट्रम्प को संदेश यह था कि उनके देश “सहयोग से लाभ उठाएँगे और टकराव से हारेंगे”। भविष्य के लिए, उनकी अलग-अलग भौगोलिक स्थितियों व सामाजिक-आर्थिक खाई के बावजूद, भारत-अमेरिका के लिए चुनौती अपने संबंधों को अपरिवर्तनी बनाना है। दोनों देश एशिया में शक्ति संतुलन को मजबूत करने के लिए तैयार हैं और अपनी विदेश और सुरक्षा नीतियों को यथासंभव समन्वित करने के लिए तैयार हैं। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में लोगों के कल्याण व वैश्विक शांति, समृद्धि, सुरक्षा के लिए मिलकर काम होगा। पीएम मोदी के साथ बातचीत के बाद ट्रंप ने कहा कि भारत आव्रजन पर ‘जो सही है, वही करेगा’। ट्रंप ने कथित तौर पर मोदी की एक “शानदार व्यक्ति” के रूप में प्रशंसा की और कहा कि दुनिया उनका बहुत सम्मान करती है। उन्होंने भारत को एक “शानदार देश” भी बताया और मोदी और भारत दोनों के साथ अपनी दोस्ती की पुष्टि की। राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका निर्मित सुरक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाने और निष्पक्ष द्विपक्षीय व्यापार संबंधों की ओर बढ़ने के महत्व पर जोर दिया। “हम बाहरी देशों और लोगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं जो वास्तव में हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। वे हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, लेकिन वे मूल रूप से अपने देश को अच्छा बनाना चाहते हैं। चीन भारत, ब्राजील और कई अन्य देशों की तरह एक जबरदस्त टैरिफ निर्माता है। उन्होंने क्वाड समूह के नेतृत्व शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले महीनों में यह शिखर सम्मेलन भारत में होने की उम्मीद है। ट्रंप की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति ने इस बात पर जोर दिया कि “इंडो-पैसिफिक” “भारत के पश्चिमी तट से लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तटों तक” फैला हुआ है। इसमें आगे कहा गया है कि अमेरिका “भारत के एक अग्रणी वैश्विक शक्ति और मजबूत रणनीतिक और रक्षा साझेदार के रूप में उभरने” का स्वागत करता है और “हिंद महासागर की सुरक्षा और पूरे व्यापक क्षेत्र में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका” का समर्थन करेगा। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दोनों देशों को “स्वाभाविक सहयोगी” बताया, तो उन्होंने मूल्यों और भू-राजनीतिक हितों के बीच व्यापक सामंजस्य का सुझाव दिया। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत-अमेरिका संबंधों को “21वीं सदी की एक परिभाषित साझेदारी” के रूप में वर्णित किया। मोदी ने 2016 में अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि “रिश्ते ने इतिहास की झिझक को दूर कर दिया है”, जो दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी बनाने में संकोच को दूर करने का सुझाव देता है। 2022 में भारत में अमेरिकी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का स्टॉक 51.6 बिलियन डॉलर था। दोनों देश कृषि, ब्लॉकचेन, स्वच्छ ऊर्जा, साइबर विज्ञान, भविष्य की पीढ़ी के दूरसंचार, स्वास्थ्य सुरक्षा और अंतरिक्ष सहित प्रौद्योगिकी और नवाचार के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग करते हैं। 2018 में रणनीतिक व्यापार प्राधिकरण टियर 1 की स्थिति में अपनी उन्नति के माध्यम से, भारत को अमेरिकी वाणिज्य और राज्य विभागों द्वारा विनियमित प्रौद्योगिकियों की एक विस्तृत श्रृंखला तक लाइसेंस-मुक्त पहुंच प्राप्त हुई। भारत-अमेरिका ने खनिज सुरक्षा भागीदारी, आर्टेमिस समझौते, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर पहल पर हाथ मिलाया है, और सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला और नवाचार भागीदारी पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान परियोजनाओं की मेज़बान के अलावा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम और 5G और 6G प्रौद्योगिकियों पर सहयोग की योजना है। रक्षा सहयोग भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाता है रणनीतिक संबंधों का चालक है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ (स्व-निर्भर भारत) और घरेलू हथियार निर्माण को बढ़ावा देने की बात के बावजूद, भारत सबसे बड़ा वैश्विक हथियार आयातक बना हुआ है, जो 2019 और 2023 के बीच अंतरराष्ट्रीय हथियार व्यापार का 9.8 प्रतिशत हिस्सा है। हालाँकि इस अवधि में रूस प्रमुख आपूर्तिकर्ता बना रहा, जो भारत के एक तिहाई से अधिक हथियारों के आयात के लिए जिम्मेदार है, अमेरिका ने अपना हिस्सा काफी बढ़ा दिया (2019-2023 के लिए भारत के आयात का 13 प्रतिशत), जिसमें आंशिक रूप से ट्रम्प का पहला राष्ट्रपतित्व भी शामिल है। दोनों देशों ने “भारत में विमानों और जहाजों के लिए रसद, मरम्मत और रखरखाव के बुनियादी ढांचे” के लिए एक साथ काम करने पर भी सहमति व्यक्त की है। भारत-अमेरिकी शस्त्र निर्यात नियंत्रण अधिनियम के तहत विदेशी सैन्य बिक्री और निर्यात की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए जून 2023 में पेश किए जाने वाले सक्षम कानून के लिए अमेरिकी प्रशासन और द्विदलीय कांग्रेस के समर्थन की प्रतीक्षा कर रहा है। व्यापार के मामले में, चूंकि राष्ट्रपति-चुनाव ट्रंप ने भारत को टैरिफ का “बहुत बड़ा दुरुपयोग करने वाला” कहा है, इसलिए अमेरिका को भारतीय निर्यात पर अतिरिक्त टैरिफ का खतरा मंडरा रहा है। अमेरिका के साथ चौंका देने वाले व्यापार अधिशेष वाले देशों की सूची में चीन सबसे ऊपर है, और भारत 11वें नंबर पर है। 2022 में, चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा $421.85 बिलियन था। भारत के साथ इसका घाटा $43.66 बिलियन था, जो साढ़े नौ गुना कम है। हालाँकि कई कारक भारत के पक्ष में हैं, लेकिन अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता मुश्किल हो सकती है। भारत अमेरिका के साथ असंतुलित व्यापार में सबसे आगे नहीं है; सेवा व्यापार में इसका अधिशेष केवल $7.4 बिलियन है और लगातार कम हो रहा है। अमेरिकी संस्थानों में 3,20,260 भारतीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सालाना $7.7 बिलियन का योगदान करते हैं। भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। 2023 में, भारत में अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने 1.4 मिलियन वीज़ा जारी किए। भारत एक लचीली प्रतिक्रिया के लिए तैयार है, जिसमें एक दूसरे के निर्यात हित के उत्पादों के लिए पारस्परिक पहुँच को सुविधाजनक बनाने के लिए एक इष्टतम सौदा शामिल है। ट्रंप की कई टिप्पणियाँ बातचीत के लिए बेबाकी से बयान देने और अस्थिर करने वाले बयान देने की उनकी आदत के कारण हैं। भविष्य के लिए, उनकी अलग-अलग भौगोलिक स्थितियों और सामाजिक-आर्थिक खाई के बावजूद, भारत और अमेरिका के लिए चुनौती अपने संबंधों को अपरिवर्तनीय और परिवर्तनकारी बनाना है। दोनों देश एशिया में शक्ति संतुलन को मजबूत करने के लिए तैयार हैं और अपनी विदेश और सुरक्षा नीतियों को यथासंभव समन्वित करने के लिए तैयार हैं। सारांशाार्थ एक लेख में भारत-अमेरिकी संबंधों का समावेश करना सम्भव नहीं, परंतु यह उम्मीद रखनी चाहिए कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत अमरीकी दोस्ती को एतिहासिक ऊंचाईयों तक लेकर जाएंगे जो दोनों देशों के लिए लाभदायक होगी।
प्रो. नीलम महाजन सिंह, (वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, अमेरिकी इतिहास शिक्षाविद, दूरदर्शन व्यक्त्तिव व सॉलिसिटर)