रविवार दिल्ली नेटवर्क
जांजगीर-चांपा : जांजगीर-चांपा जिले के बम्हनीडीह ब्लाक के गौरव ग्राम लखुर्री के ऐतिहासिक तालाब में प्राचीन मूर्तियों का भंडार मिल रहा है। यह मूर्तियां बारहवीं शताब्दी की बताई जा रही है, जब यहां के तत्कालीन राजा के द्वारा के द्वारा तालाब का निर्माण किया गया था। वर्तमान में इस तालाब का गहरीकरण का कार्य किया जा रहा है। जिसमें ग्रामीणों को बड़ी तादाद में मूर्तियों के अलावा ऐसे धातुओं का भंडार मिल रहा है, जो अष्टधातु की हैं। विडंबना यह है कि इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी गई है। इसके बावजूद जिला प्रशासन अब तक इस दिशा में कारगर कदम नहीं उठा रहा है।
ग्रामीण फिलहाल मूर्तियों को संग्रहित कर पास के मंदिर में इकट्ठा कर रख रहे हैं। बता दें कि ग्राम लखुर्री में ऐतिहासिक पचरिहा तालाब है। यहां बीते दो दशक से ग्रामीण इस तालाब में जब निस्तारी के लिए जाते हैं तो अक्सर गहरे पानी में प्राचीन काल की मूर्तियों से टकरा जाते हैं। ग्रामीणों को आए दिन प्राचीन काल के अष्टधातु के सिक्के भी मिलते रहते हैं ग्रामीण रामप्रकाश केशरवानी सहित ग्रामीणों का अनुमान है कि आज भी तालाब के एक किनारे में मूर्तियों का खजाना है।
ग्रामीणों को आशंका है कि उस किनारे में अष्टधातु की मूर्तियों की झंकार सुनाई देती है। इसके चलते उस किनारे में गहरीकरण पर रोक लगा दी गई है। तालाब में इन दिनों गहरीकरण का काम किया जा रहा है। जेसीबी से मिट्टी निकाली जा रही है। मूर्तियाें की कोई चोरी न करे इसके लिए मंदिर समिति के लोग पाली बंधाकर दिन रात पहरेदारी करते हैं। इस दौरान मूर्ति या अष्टधातु के गहने मिलते हैं तो वे उसे सहेजकर रखते हैं। जिले में पुरातत्व विभाग के किसी अफसरों की पोस्टिंग नहीं है। इसके चलते यहां कोई पहुंच नहीं पा रहा है। हम रायपुर की टीम को इसकी सूचना देंगे ताकि प्राचीन मूर्तियां किसी तरह संग्रहित की जा सकें।