धर्मेंद्र मिश्र
उत्तर प्रदेश का सरकारी प्रशासन ही योगी आदित्यनाथ की सरकार के लिए मुसीबत का कारण बन रहा है? पिछले दिनों प्रदेश के कई स्थानों पर हुए दंगों के साथ ही ग्रेटर नोयडा में चीनी जासूसों की धरपकड़ के दौरान प्रशासन की मिलीभगत की बात भी सामने आयी है I हालांकि उच्च स्तर पर बैठे अधिकारी यह स्वीकार करने के लिए तैयार ही नहीं है कि प्रशासनिक मशीनरी का एक हिस्सा अपने सरकारी कर्तव्यों का पालन करने की जगह निजी हितों के लिए भारत विरोधी तत्वों के लिए काम कर रहा है I इसके बावजूद सामने आने वाले तथ्य यह दर्शाने के लिए काफी हैं कि सब कुछ ठीक नहीं है और ऐसे तत्व योगी सरकार के लिए एक बड़ा खतरा बन सकते हैं I
कानपुर में हुए दंगों की जांच-पड़ताल में यह बात सामने आयी कि बेकनगंज थाने में तैनात अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने प्रायोजित हिंसा के लिए की जा रही तैयारियों से सम्बंधित समाचारों पर न तो ध्यान दिया और न ही इसकी सूचना उच्चाधिकारियों तक भेजी I मुद्दा यह भी है कि जब राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित राज्यपाल और स्वयं मुख्यमंत्री की मौजूदगी कानपुर जिले में होनी थी, उस समय भी विशेष सावधानियों की तरफ ध्यान क्यों नहीं दिया गया ? विशेष समुदाय से जुड़े पुलिसकर्मियों ने क्या जानबूझकर दंगाइयों को हिंसा करने का मौका दिया ? ऐसे तमाम प्रश्नों की जांच-पड़ताल में जुटी उच्चाधिकारियों को जो संकेत मिले हैं, वह खुलासा करते हैं कि पूरे प्रदेश में दंगा फ़ैलाने के लिए सुनियोजित रूप से धन उपलब्ध कराया गया और यह पैसा उन्ही तत्वों के माध्यम से आया, जो पहले से ही प्रशासन की निगाह में हैं I
उधर भारत -नेपाल बॉर्डर पर जासूसी के शक में पकड़े गए दो चीनी नागरिक से मिली जानकारी के बाद जब पुलिस ने ग्रेटर नोएडा के एक मकान में छापा मारा तो चीनी जासूसों का एक बड़ा नेटवर्क सामने आया I घरबारा गांव की इस इमारत को एक गेस्ट हाउस की तरह चलाया जा रहा था, जहां विदेशी शराब से लेकर तमाम नशीले पदार्थों की बड़ी मात्रा भी बरामद हुई I इस इमारत में स्थानीय लोगों को जाने की अनुमति नहीं थी और स्थानीय पुलिस के साथ ही आबकारी विभाग के कुछ लोगों के संरक्षण के बारे में स्थानीय नागरिकों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं I पुलिस ने छापेमारी के दौरान जिन चीनी जासूसों को गिरफ्तार किया, उनके सम्बन्ध में खबर लिखे जाने तक चीनी दूतावास ने नोएडा पुलिस से किसी भी तरह का संपर्क नहीं किया है I पकडे गए चीनी जासूसों के पास से जो भारतीय पासपोर्ट मिले हैं, बताया जा रहा है कि वह पासपोर्ट कोलकाता रिजनल पासपोर्ट ऑफिस द्वारा जारी किये गए हैं। चीनी जासूसों के पकडे जाने और उनके ठिकानों पर मिली दस्तावेज एवं नोट गिनने की मशीन यह संकेत भी दे रही है कि नेपाल के रास्ते आने वाले जाली भारतीय नोटों का प्रसार का काम भी यही से किया जा रहा था I
नेपाल में सक्रिय भारत विरोधी तत्व किसी न किसी रूप में चीन के साथ मिलकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं I यही कारण है कि चीनी जासूसों की गिरफ़्तारी के बाद केंद्रीय एजेंसियों ने ही जांच पर अपनी निगाह टिका दी है I प्रदेश को दंगे की आग में झोंकने की साजिश में जहां मुस्लिम देशों में मौजूद तत्वों की संलिप्तता सामने आयी है, तो वही चीनी जासूसों के गिरोह की धरपकड़ में भी चीन की भूमिका संदिग्ध भूमिका को देखा जा सकता है I ऐसे में जब स्थानीय स्तर पर पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसी से जुड़े कर्मचारियों के तार भारत विरोधी तत्वों से जुड़ते हुए दिखाई देते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है कि सरकारी मशीनरी का एक हिस्सा कहीं न कहीं योगी सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन रहा है I ऐसे में राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना ही होगा कि भारत विरोधी तत्वों की मदद करने वाले लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई अवश्य हो I साथ ही ऐसे तत्वों को कड़ी सजा मिल सके-ऐसे तंत्र को मजबूत करना ही होगा अन्यथा सिर्फ विभागीय कार्रवाई या फिर अधिकारियों की मिलीभगत से कार्रवाई से बचने वाले ऐसे तत्व रोजाना नए गुल खिलाते रहेंगे और सरकार बार-बार सफाई देने के अलावा और कुछ करने की स्थिति में नहीं होगी I