सीता राम शर्मा ” चेतन “
दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप वो कर रहें हैं, जिन वादों को अधिकांश अमेरिकन मतदाताओं ने पसंद किया था । दुनिया के साथ लाखों अमेरिकन भी ट्रंप के शुरुआती कामों और फैसलों से हैरान हैं । कुछ देशों और लाखों अवैध अप्रवासियों के साथ हजारों अमेरिकन भी खौफ में हैं । पर कोई चारा नहीं । ट्रंप की यही कार्यशैली है जिसके लिए अमेरिकन जनता ने बहुमत से उन्हें अपना राष्ट्रपति चुना है । सब जानते हैं कि दुनिया का कोई भी मनुष्य सबके लिए शत-प्रतिशत सही नहीं है, हो भी नहीं सकता क्योंकि अच्छे और बूरे लोगों से संसार भरा पड़ा है तो अच्छों के लिए किए गए काम बूरों के लिए दुखदाई ही सिद्ध होंगे । फिर कुछ काम व्यक्ति, विशेषकर शासक अपने और अपने राष्ट्र हित या राष्ट्रीय स्वार्थ में भी करता है, जो दूसरे कुछ लोगों और राष्ट्रों के साथ कुछ अपनों के लिए भी कष्टदायक ही सिद्ध हो सकते हैं, प्रतिष्ठित अमेरिकन मैग्जीन टाइम के मुख्य पृष्ठ पर अमेरिकन राष्ट्रपति की कुर्सी पर एलन मस्क की तस्वीर दिखाई देना इसका ज्वलंत उदाहरण है ।
भारतीय होने के नाते सबसे पहले बात उन भारतीयों की जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे थे और अपने वादों के अनुसार ट्रंप शासन ने उनमें से 104 अवैध अप्रवासी भारतीयों को बेड़ियों से जकड़कर अपने सैन्य विमान से भारत भेज दिया है जिसकी तस्वीरें देख कर कुछ पक्ष-विपक्ष के नेताओं के साथ कुछ आम जन भी परेशान हैं । जो बिल्कुल नहीं होना चाहिए । किसी भी देश के नियम-कानून के विरुद्ध अवैध घुसपैठ कर वहां रहना किसी भी स्थिति में उचित नहीं माना जा सकता । मानवीय आधार पर भी नहीं और वहां की राष्ट्रीय शांति एंव सुरक्षा व्यवस्था के लिए तो कदापि नहीं । तो फिर कोई भी देश यदि अपने देश में अवैध रूप से घुसपैठ कर रह रहे लोगों को पकड़कर, उसे बेड़ियों में जकड़कर अपराधी की तरह उसे वापस उसके देश भेजता है तो वह गलत या अमानवीय कैसे हो सकता है ? सच्चे मायने में देखा जाए तो यह उसकी सहृदयता, दयालुता ही है कि उसने उसे उसके अपराध के लिए कठोर दंड देने की बजाय अपने संसाधनों का उपयोग कर अपने खर्च पर उसके देश तक सुरक्षित पहुंचा दिया । मेरा स्पष्ट मानना है कि अपने उस खर्च का भुगतान उसे या तो दोषियों से लेना चाहिए या फिर उस देश से, जहां के वे नागरिक थे । यदि उस देश के बारे में ऐसे मुद्दों पर कोई राय बनानी चाहिए तो यह विचार कर कि यदि ऐसी ही घुसपैठ कोई उसके देश में करता है तो वह क्या करेगा ? भारत तो ऐसी घुसपैठ का बहुत बड़ा पीड़ित है । अतः भारत को अधिकारिक रुप से खुलकर ना सिर्फ इस तरह की अमेरिकन नीति को स्वीकार करना चाहिए बल्कि अब अपने देश में भी युद्ध स्तर पर अवैध घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें वापस उनके देश भेजने का कठोर निर्णय लेना चाहिए । रही बात भारत पर व्यापारिक टैरिफ बढ़ाने की, तो उस पर बात की जा सकती है । नागरिकता और नागरिक संवैधानिक अधिकार को लेकर तो सबसे बेहतर नियम सिर्फ एक ही होना चाहिए कि दुनिया का कोई भी नागरिक सिर्फ उसी देश का नागरिक माना जाए जिसका वह मूल रूप से नागरिक है या उसकी संतान है । भले ही वह जीविकोपार्जन हेतु आजीवन वहां निवास करे ।
अब बात ट्रंप के वैश्विक मुद्दों पर कुछ कठोर निर्णय की तो चुनाव के पूर्व ही ट्रंप ने यह कह दिया था कि यदि वह राष्ट्रपति बने तो इजराइल-हमास और रुस-युक्रेन युद्ध को वह समाप्त करवा देंगे । गौरतलब है कि इजराइल-हमास युद्ध हमास के द्वारा किए गए घोर अमानवीय आतंकी रक्तपात का परिणाम था तो रुस-युक्रेन युद्ध युक्रेन के नाटो में मिलने के अड़ियल रुख का परिणाम था । रही बात व्यापार को लेकर टैरिफ अथवा टैक्स वृद्धि की तो वह द्विपक्षीय संबंधों और कूटनीतिक रिश्तों पर निर्भर होता है ।
डब्ल्यूएचओ को लेकर ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल से ही जो सख्ती दिखाई है वह उससे कहीं ज्यादा दंड और वहिष्कार का अधिकारी है । बात कुछ देशों को दी जाने वाली अमेरिकन सहयोग राशी को रोकने की, जिसे वह अपने स्वार्थ और दूरदर्शी हो भविष्य के कूटनीतिक परिणामों को ध्यान में रखकर खर्च करता है, वह भी है तो उसकी नीजि अधिकारिक स्वतंत्रता, पर उसमें उसे वैश्विक मानवता और शांति व्यवस्था को प्रमुखता देते हुए व्यापक सुधार करने की जरूरत है । अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए यदि वह ऐसी नीति बनाए तो शेष लाभार्थी पक्ष का रुदन स्वीकार्य योग्य कदापि नहीं होना चाहिए । बात ट्रंप के आने से अमेरिका के भीतर मची उथल-पुथल की करें, तो लोगों को सरकारी नौकरी से निकाले जाने का मामला हो या फिर जबरन नौकरी छोड़ने को विवश करने का, व्यवस्था पर बोझ बने, निकम्मे, भ्रष्ट लोगों की छंटनी पूरी तरह न्यायोचित है । भारत को भी ऐसी नीति या सच कहें तो इससे भी कठोर नीति बनाने की जरूरत है ।
अंत में एक महत्वपूर्ण आत्मीय विनम्र आग्रह और सुझाव मिस्टर ट्रंप से, तो उन्हें यह कहना चाहूंगा कि वेलडन मिस्टर ट्रंप ! आप जो कर रहे हैं, मानवता और अमेरिकन हितों को ध्यान में रखकर करते रहें । यह सच है कि ईश्वर ने आपकी जीवन रक्षा अमेरिका और मानवता के हित के लिए की है । इसलिए यह सुनिश्चित करें कि अमेरिका अब किसी भी स्थिति में ना तो अनीति और अनैतिक शक्तियों के हाथों अपना दुरुपयोग होने देगा और ना ही करेगा, अमेरिका अब किसी भी स्थिति या स्वार्थ में कोई ऐसा काम या कुटनीति नहीं करेगा जिससे वैश्विक मानवता का नुकसान हो । साथ ही सबसे महत्वपूर्ण आग्रह यह कि मिस्टर ट्रंप, अमेरिका, लोकतंत्र और वैश्विक मानवता की रक्षा के लिए अब सबसे ज्यादा जरुरी यह है कि एक लोकतांत्रिक राष्ट्र होने के नाते आइए हम लोकतंत्र की परिभाषा और उसके संवैधानिक स्वरुप को परिष्कृत कर उसे पुनर्परिभाषित करें । कुछ ऐसे, कि किसी भी देश का लोकतांत्रिक होना किसी भी स्थिति में उसके या किसी दूसरे के लिए अभिशाप सिद्ध ना हो जाए । किसी देश के लोकतांत्रिक होने से उसकी मूल मानवीय, सांस्कृतिक, धार्मिक संपदा तनिक भी नष्ट या आपदाग्रस्त ना हो सके । लोकतांत्रिक व्यवस्था में वसुधैव कुटुम्बकम का भाव और कर्म हो पर उसमें किसी भी स्थिति में उसकी मूल आबादी और पहचान को तनिक भी क्षति पहुंचने की गुंजाइश दूर-दूर तक अंश मात्र भी ना हो और यह तब संभव होगा जब उस लोकतांत्रिक देश में उसकी नीति और सहमति से स्वतंत्र, सुरक्षित और समृद्ध जीवन जीने का अधिकार तो सबको समान रूप से होगा पर वहां की सरकार और सुरक्षा व्यवस्था को चलाने का पूर्ण अधिकार वहां की मूल आबादी के हाथों में ही होगा । इन सबके लिए जरुरी है कि दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देश लोकतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था की सिर्फ और सिर्फ एक ही परिभाषा और नीति बनाएं ।
मिस्टर ट्रंप, यह बात आपसे इसलिए कि लोकतंत्र, वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था और संपूर्ण मानवता के हित और कल्याण के लिए आप इसकी अगुवाई कर सकते हैं । यदि आप मेक अमेरिका, ग्रेट अमेरिका के साथ न्यू डेमोक्रेट अमेरिका और वर्ल्ड के लिए कुछ ऐसा कर सकें तो सच मानिए वैश्विक इतिहास में आपका नाम सदैव स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा ! संयुक्त राष्ट्र में सुधार, मानवाधिकार क्या और कैसा के साथ गैर लोकतांत्रिक राष्ट्रों को लेकर लोकतांत्रिक राष्ट्रों की नीति, कुटनीति पर बात फिर कभी । फिलहाल आपके दूसरे कार्यकाल में अमेरिका ग्रेट अमेरिका, न्यू डेमोक्रेट अमेरिका बनने के साथ वैश्विक मानवता के नये सबेरे के साथ ग्रेट वर्ल्ड की अगुआई का सहभागी भी बने, यही हार्दिक शुभेच्छा है और शुभकामनाएं भी !