भारतीय जनता पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा?

Who will be the new national president of Bharatiya Janata Party?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद देश की राजधानी दिल्ली का किला फतह करने के पश्चात भारतीय जनता पार्टी का अगला लक्ष्य अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करना हैं लेकिन विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा? यह यक्ष प्रश्न भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके चाणक्य अमित शाह ही इस प्रश्न का जवाब दे सकते हैं।

भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा का कार्यकाल लोकसभा चुनाव से पहले ही पूर्ण हो गया था लेकिन नए अध्यक्ष का चुनाव होने तक उनके कार्यकाल को बढ़ाया गया है। इन दिनों विभिन्न प्रान्तों में भारतीय जनता पार्टी के संगठनात्मक चुनाव हो रहे है और प्रदेश अध्यक्षों तथा राष्ट्रीय परिषद सदस्यों का निर्वाचन किया जा रहा है। इसके बाद भाजपा के संविधान के अनुसार चुनाव प्रकिया पूरी करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जाना है। अब राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर भारत से बनाया जाए अथवा दक्षिण भारत या उत्तर पूर्व से इस पर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष नेतृत्व के मध्य गहन विचार मंथन किया जा रहा है। वैसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर कई नामों के कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का मिजाज जानने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हमेशा की तरह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम भी सबको चौंकाने वाला ही होगा।

वैसे राजनीतिक जानकारों के अनुसार भाजपा और आरएसएस में शीर्ष स्तर पर यह विचार मंथन जारी है कि उत्तर पश्चिम भारत के बाद दिल्ली को भी फतह करने के बाद भारत के संपूर्ण मानचित्र को भगवामय बनाने के अपने सपने को साकार करने की दिशा में भाजपा को कैसे आगे बढ़ाया जाए? इसके लिए भाजपा इस वर्ष नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा के चुनाव और इसके आगे वर्ष 2026 से आगामी लोकसभा आम चुनाव 2029 के बीच होने वाले अन्य राज्यों असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल आदि प्रदेशों के चुनावों को भी ध्यान में रखते हुए राजनीतिक दृष्टि से अहम फैसले करना चाहती हैं। भारत का 2025 से 2029 तक का चुनावी रोडमैप देश के राजनीतिक और शासन ढांचे को आकार देने वाला है। इसलिए इस समयावधि में होने वाली भारत की यह चुनावी यात्रा देश की राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण रहने वाली है। आने वाले वर्षों में देश के कुछ प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनाव न केवल उच्च दांव पेंच वाले होंगे वरन यह महत्वपूर्ण राजनीतिक मुकाबले कोई करिश्मा दिखाने वाले भी हो सकते हैं।

भारतीय जनता पार्टी उत्तर भारत के हिंदी पट्टी वाले अधिकांश प्रदेशों में अपना भगवा फहरा चुकी है। इसी तरह प्रारम्भ से ही उसकी मंशा दक्षिण भारत में भी भगवा लहराने की रही है, लेकिन कनार्टक के अलावा उसे किसी अन्य दक्षिणी प्रदेश में वैसी सफलता नहीं मिल पाई है जैसा वह चाहती हैं। ऐसा नहीं है कि भाजपा ने इसके लिए प्रयास नहीं किए। पार्टी ने दक्षिण के बंगारू लक्ष्मण को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया और वैंकैया नायडू जैसे नेताओं को राष्ट्रीय फलक पर आगे बढ़ाया। भाजपा का लगातार प्रयास रहा है कि वे दक्षिण की क्षेत्रीय पार्टियों को एनडीए से जोड़ कर अपना कुनबा बढ़ाए। साथ ही अपने बलबूते पर भी भाजपा का कमल खिलाए।

अब भाजपा को यह फैसला लेना हैं कि वह भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष दक्षिणी भारत के राज्यों से बनाए या उत्तरी भारत के किसी प्रदेश से बनाए। साथ ही पार्टी को यह निर्णय भी करना है कि किस जाति विशेष को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए वरीयता दी जाए। कांग्रेस और अन्य प्रतिपक्षी दलों द्वारा उठाए जाने वाले अनुसूचित जाति(एससी) एवं जनजाति (एसटी) के मुद्दों का करारा जवाब देने के लिए पार्टी इन वर्गों को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए तरहीज दे सकती है। वैसे भी नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा केवल ब्राह्मण,बनिया और क्षत्रियो की पार्टी होने के आवरण से बाहर निकल कर ओबीसी और अन्य पिछड़ी जातियां से बड़ी संख्या में जुड़ी है। अतः भाजपा दलितों, आदिवासियों और ओबीसी में अपने जनाधार को और अधिक बढ़ाने के लिए यह बड़ा दांव खेल सकती है। इसी तरह दक्षिणी भारत में भाजपा अपने पाँव पसारने के लिए अपने आपको भारतीय संस्कृति और दर्शन की सबसे बड़ी पैरोकार और समर्थक पार्टी होने की बात को आम आवाम के हलक में उतारना चाहती है। साथ ही भाजपा अपने विरोधियों को मात देने के लिए प्रतिपक्ष के दलों पर परिवारवाद और मुस्लिम तुष्टिकरण, राष्ट्र विरोधी तत्वों एवं घुसपैठियों को बढ़ावा देने जैसे आरोपों के तीर चलाने और राष्ट्रीयता जैसे मुद्दों को हवा देने में कोई कसर बाकी नहीं रख रही है और उसे विश्वास है कि इन सभी मुद्दों के सहारे वे एक न एक दिन पूरे भारत के नक्शे को भगवा रंग के रंग से रंग देगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में भाजपा का यह सपना कितना साकार होगा?