बढ़ती आबादी के बीच बढ़ती पार्किंग समस्याएं !

Increasing parking problems amid increasing population!

सुनील कुमार महला

भारत आज विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र है।बढ़ती जनसंख्या और देश में बढ़ते वाहनों के साथ ही आज देश के बड़े शहरों में पार्किंग की समस्या एक बहुत बड़ी और ज्वलंत समस्या है। कहना ग़लत नहीं होगा कि जैसे-जैसे हमारे यहां शहरी आबादी बढ़ी है और देश के शहरों की अर्थव्यवस्था का व्यापक तौर पर विस्तार हुआ है, शहरी क्षेत्रों में मोटर वाहनों, मुख्य रूप से कारों और दोपहिया वाहनों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। वास्तव में, कहना चाहूंगा कि आज तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और बढ़ते वाहनों की संख्या ने पार्किंग की समस्या को जन्म दिया है। बढ़ती आबादी, बेतरतीब विकास ने शहरों में मार्गों को अतिव्यस्त बना दिया है, जिससे यातायात बाधित होना, हर कहीं पर जाम लगना आम बात सी हो गई है।सच तो यह है कि जैसे-जैसे यातायात की भीड़ बढ़ती है, तो शहरों में गतिशीलता में बाधा आती है, और यात्रियों को अपने रोज़मर्रा के आवागमन पर और ज़्यादा समय गुज़ारना पड़ता है।शहरों में आज जगह-जगह अतिक्रमण भी देखने को मिलता है। बाजार हो या गलियां हर कहीं ठीक-ठाक भीड़भाड़ रहती है। यही कारण है कि शहरों में आए दिन वाहनों की पार्किंग के लिए बहुत अधिक मारामारी होती है व ट्रैफिक जाम लगता है। शहरों में पार्किंग का प्रबंधन ठीक नहीं होने से आम जनता को बहुत सी समस्याओं और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम प्रशासन, हालांकि शहरों में पार्किंग व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए समय-समय पर प्रयास करते हैं, लेकिन बावजूद इसके भी आज शहरों में पार्किंग व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए पार्किंग की विशेष कार्ययोजनाएं बनाये जाने की आवश्यकताएं हैं। पुराने बसे शहरों में नगर-नियोजन सही नहीं देखने को मिलता, क्यों कि वहां गलियां संकरी होती हैं, और स्थान विशेष का भी काफी अभाव होता है, ऐसे में इन शहरों में पार्किंग व्यवस्था को बेहतर बनाना एक चुनौती ही है। आज लोग किसी कार्य विशेष के लिए रोजाना इधर से उधर, बाजार में, आफिस में जाते हैं, जगह नहीं मिलने के कारण वे अपने वाहनों को इधर उधर कहीं भी, जहां उनको जगह मिलती है, सड़कों के किनारे या अन्य स्थानों पर अव्यवस्थित तरीके से खड़ा कर देते हैं और इससे शहरों में जाम की समस्या जन्म लेती है। वास्तव में, आज जरूरत इस बात की है कि पार्किंग के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई जाए। वास्तव में, होना तो यह चाहिए कि नई पार्किंग नीतियां बनाकर सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने के लिए आम लोगों को प्रेरित करना चाहिए। आज यातायात की भीड़ जहां एक ओर ट्रैफिक को धीमा करके आम आदमी की परेशानियों का सबब बनतीं हैं, वहीं दूसरी ओर अधिक ट्रैफिक से हमारे स्वास्थ्य को तो अलाभ(नुकसान) पहुंचते ही हैं, साथ ही साथ इससे हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर भी बहुत असर पड़ता है तथा आर्थिक रूप से भी हमें हानि होती है।कुल मिलाकर, यह बात कही जा सकती है कि यातायात की भीड़ हमारी सामाजिक पूंजी(सोशल कैपिटल) को भी नष्ट कर देती है। इसलिए, पार्किंग के लिए सही मूल्य तय किए जाने की आवश्यकता महत्ती है, ताकि हमारी सामाजिक पूंजी नष्ट होने से बचाई जा सके और साथ ही साथ हमारे स्वास्थ्य के साथ ही धरती के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जा सके। आज भारत में स्थिति यह है हर कोई कहीं भी अपने वाहनों को खड़ा कर देते हैं, बिना इस बात की परवाह किए किए इससे आम आदमी को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आज हमारे यहां सड़कों पर ‘जित देखो तित’ वाहन ही वाहन बेतरतीब खड़े नजर आते हैं, दरअसल इसके पीछे जो कारण है वह है-पार्किंग का मुफ्त होना। जब पार्किंग मुफ्त होती है तो लोग उसका नाजायज़ फ़ायदा उठाते हैं और कहना ग़लत नहीं होगा कि इसके चलते हमें गंभीर आर्थिक और पर्यावरणीय कीमतें चुकानी पड़ती हैं। इससे स्थानीय निकायों को घाटा भी होता है। पार्किंग शुल्क का इस्तेमाल स्थानीय निकायों द्वारा विकास कार्यों,आम लोगों को किसी सुविधा विशेष(यथा बेहतर फुटपाथ, कचरा निकासी, शौचालय,बस स्टॉप और स्ट्रीट लाइट के रूप में) को उपलब्ध करवाने के लिए भी किया जा सकता है, लोगों को यह समझना चाहिए। आज भारत जैसे देश में बहुत कम शहरों ने सशुल्क पार्किंग नीति को लागू किया गया है। विश्व के बड़े और विकसित देशों में आज ऐसी व्यवस्थाएं हैं जहां सशुल्क पार्किंग व्यवस्थाएं हैं। यह ठीक है कि सशुल्क पार्किंग को विरोध का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि इससे ऊर्जा की खपत, वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन कम होने से फायदे भी होंगे। कहना चाहूंगा कि पार्किंग शुल्क से प्राप्त राजस्व का उपयोग सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने और सब्सिडी देने के लिए के लिए किया जा सकता है। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज ऑफ़-स्ट्रीट पार्किंग का सबसे बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए और ऑन-स्ट्रीट पार्किंग को युक्तिसंगत और बेहतरीन बनाया जाना चाहिए (यातायात प्रवाह को आगे बढ़ाने के लिए इसे प्रतिबंधित और व्यवस्थित किया जाना चाहिए) ताकि चलते हुए यातायात के लिए सड़क पर अधिक स्थान उपलब्ध हो सके। आज बहुत से लोगों का यह मानना है कि सार्वजनिक स्थानों में पार्किंग मुफ़्त नहीं होनी चाहिए और वहां पार्किंग शुल्क लिया जाना चाहिए, ताकि ऐसे स्थानों पर पार्किंग अव्यवस्थाओं से बचा जा सके।हालांकि, यह भी एक तथ्य है कि भारत में केवल पार्किंग सुधारने से ही आम आदमी को राहत नहीं मिलेगी। हम भारत के बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा करने के लिए सड़कों का चौड़ीकरण कर सकते हैं, ज्यादा फ्लाईओवर बना सकते हैं, क्यों कि बढ़ते शहरीकरण, विकास, पारिवारिक जरूरतों के कारण आने वाले समय में वाहनों का ट्रैफिक लगातार बढ़ते जाने की ही संभावनाएं हैं। पार्किंग अव्यवस्थाओं से बचने के लिए आज जरूरत इस बात की है कि लोग साइकिल से या पैदल यात्रा ज्यादा करें। चीन और जापान जैसे देशों में लोग पैदल चलना और साइकिल यात्रा करना पसंद करते हैं,यह अच्छी बात है। पार्किंग अव्यवस्थाओं से बचने हेतु आज
मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण किया जा सकता है। आज का युग सूचना क्रांति का युग है, ऐसे में पार्किंग ऐप्स और स्मार्ट पार्किंग सिस्टम का उपयोग कर भी पार्किंग की सुविधाएं बढ़ाई जा सकती हैं जिससे लोगों को अपनी गाड़ियों को पार्क करने में आसानी हो। आज शहरों में विभिन्न कॉम्प्लेक्स, बाजारों में दुकानों के आसपास वाहनों की पार्किंग का बेजा उपयोग किया जाता है, जिसे ट्रैफिक पुलिस व नगर निगम की संयुक्त टीम के सहयोग से खाली कराकर, वहां वाहनों की पार्किंग करवाई जानी चाहिए।पार्किंग वाले स्थानों पर सीसीटीवी टीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए और इसे ट्रैफिक पुलिस के कार्यालय से जोड़ा जाना चाहिए, जिससे पल-पल की गतिविधियां/सूचनाएं ट्रैफिक पुलिस कार्यालय को मिल सकें और ट्रैफिक अधिकारी तत्काल इन पर सख्त कार्रवाई कर सकें। इतना ही नहीं, शहरों में पार्किंग स्थलों की व्यवस्था बाज़ारों, भीड़-भाड़ के स्थानों से समुचित दूरी पर की जानी चाहिए, ताकि आम आदमी को किसी प्रकार की कोई परेशानी न होने पाए। इसके अलावा,शहरों में मल्टीलेवल पार्किंग की व्यवस्था न्यूनतम शुल्क पर की जा सकती है। कभी भी बेतरतीब ढंग से पार्किंग नहीं की जानी चाहिए। नागरिकों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर जन-जागरण अभियान चलाए जा सकते हैं। बाजार, ऑफिस, रिहायशी इलाकों में बहुस्तरीय पार्किंग बनवानी चाहिए। मेट्रो से यात्रा करने अथवा सार्वजनिक परिवहन से यात्रा को बढ़ावा देने की जरूरत है, ताकि निजी वाहनों की संख्या कम हो सके। आज सड़कों पर केवल ड्राइवर, बिना किसी सवारी के खाली गाड़ियों के साथ दौड़ते हैं। दिल्ली जैसे शहरों में यह नजारा आसानी से देखा जा सकता है, जहां एक ही परिवार के चार पांच लोग एक ही रूट पर जाने के लिए अलग-अलग गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं, इससे सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ता है और पार्किंग की भी समस्या जन्म लेती है।इसके अलावा, पार्किंग अव्यवस्थाओं से बचने के लिए बड़े/मेट्रो सीटीज में बहुस्तरीय पार्किंग परिसर और अंडरग्राउंड पार्किंग का निर्माण भी करवाया जा सकता है। मॉल, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड व शहर में विभिन्न सार्वजनिक स्थलों के आसपास बहुस्तरीय पार्किंग विकसित की जा सकती है। पार्किंग समस्या से बचने के लिए स्थानीय निकायों और ट्रैफिक पुलिस के बीच समन्वय स्थापित करना भी आज बहुत ही जरूरी है। पार्किंग अव्यवस्थाओं से निपटने के लिए शहरों में पार्किंग मैनेजमेंट कमेटी का भी निर्माण किया जा सकता है, जो बनाए गए नियम-नीतियों को प्रभावी तरीके व सख्ती से लागू करें। इसके अलावा,अवैध पार्किंग पर भी नियंत्रण स्थापित किया जाना चाहिए।