महाकुंभ की सफलता ने दुनिया को चौंकाया

The success of Mahakumbh shocked the world

ललित गर्ग

समुद्र मंथन के दौरान निकले कलश से छलकीं अमृत की चंद बूंदों से युगों पहले शुरू शुरू हुई कुंभ स्नान की परंपरा का तीर्थराज प्रयागराज की धरती पर बीते 13 जनवरी से आयोजित हुए दिव्य-भव्य और सांस्कृतिक-धार्मिक समागम महाकुम्भ ने बुधवार को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व पर 66 करोड़ का आंकड़ा पारकर अनूठा एवं विलक्षण इतिहास रच दिया। दुनिया के सबसे बड़े सनातन समागम पर बने नये कीर्तिमानों ने न केवल दुनिया को चौंकाया बल्कि विस्मित भी किया, इस महारिकॉर्ड को स्थापित कर इस महाकुम्भ को संख्या के लिहाज से इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया, जो न केवल दुनिया को चौंकाने वाला बल्कि सनातन परम्परा का परचम फहराने वाला दुनिया का अकेला आयोजन बन गया है। इस सफल आयोजन से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद बढ़ गया है। इस महा अनुष्ठान ने पूरे विश्व को सनातनी एकता का संदेश तो दिया है, यह भी प्रमाणित किया है कि उत्तर प्रदेश अब हर स्तर पर सक्षम प्रदेश बन चुका है। प्रदेश की कानून व्यवस्था को एक नये अध्याय के रूप में देखा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में आयोजित यह मानवता का महायज्ञ, आस्था, एकता और समता का महापर्व बना, जो न केवल अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण बना बल्कि दुनिया में भारत की एक नई छवि, भीड़ प्रबंधन, सनातन एकता के लिये अमिट आलेख बन गया है। सनातन गहराई को मापने वालों को बधाई, इससे नई पात्रता का निर्माण होगा, जहां हमारी हिन्दू संस्कृति पुनः अपने मूल्यों एवं संगठन के साथ नई शक्ल एवं ताकत के रूप में प्रतिष्ठापित होगी।

यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में दर्ज महाकुंभ को केंद्र और प्रदेश की सरकारें विश्व समुदाय के समक्ष अद्भुत एवं विलक्षण रूप में प्रस्तुत करने में ऐतिहासिक रूप से सफल रही है। पूज्य अखाड़ों, साधु-संतों, महामंडलेश्वरों एवं धर्माचार्यों के पुण्य आशीर्वाद का ही प्रतिफल है कि समरसता का जितने श्रद्धालु एवं हिन्दू 45 दिनों के अंदर प्रयागराज में बनाए गए एक अस्थायी शहर में जुटे, यह संख्या कई देशों की आबादी से भी कई गुना अधिक है। 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में सनातन आस्था की पावन डुबकी लगाकर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की अद्वितीय मिसाल कायम कर दी है। अमेरिका आबादी से दोगुनी से ज्यादा, पाकिस्तान की ढाई गुना से अधिक और रूस की चार गुणा से ज्यादा आबादी के बराबर श्रद्धालु यहां आये हैं। यही नहीं, जापान की 5 गुनी आबादी, यूके की 10 गुनी से ज्यादा आबादी और फ्रांस की 15 गुनी से ज्यादा आबादी ने यहां आकर त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगा ली है। चौंकाने वाली बात यह है कि दुनिया में किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या अन्य आयोजनों में इतनी भीड़ नहीं जुटी है। उदाहरण के लिए सऊदी अरब में हर साल होने वाले हज में करीब 25 लाख मुस्लिम मक्का में एकत्रित होते हैं। दूसरी तरफ इराक में हर साल होने वाले अरबईन में दो दिन में 2 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री जुटते हैं। प्रयागराज में 45 दिन में जुटे श्रद्धालुओं की संख्या दुनिया के 231 देशों की आबादी से ज्यादा है। सिर्फ भारत और चीन की आबादी ही प्रयागराज पहुंचे लोगों की संख्या से ज्यादा है।

जितनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया, वह अकल्पनीय है, विश्व में इतने विशाल जनसमूह को आकर्षित एवं नियोजित करने वाले धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजन की कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती। इस सफल एवं ऐतिहासिक आयोजन से विपक्षी दल एवं नेता बौखलाये हुए हैं और अपने बेतूके एवं अनर्गल प्रलाप से न केवल इस आयोजन की सफलता-गरिमा को धुंधलाना चाहते हैं बल्कि सनातन संस्कृति का उपहास उड़ा रहे है। कुछ तथाकथित प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्षतावादी लोगों को सनातन धर्म से जुड़ा हर पर्व और परंपरा रास नहीं आती, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या वे अन्य मतावलंबियों के ऐसे धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों पर उसी तरह की टीका टिप्पणी करते हैं जैसी उन्होंने महाकुंभ को लेकर की। आखिर हिन्दू समाज अपने अस्तित्व एवं अस्मिता पर हो रहे इन हमलों एवं आघातों के लिये अब जागरूक एवं संगठित नहीं होगा तो कब होगा?

प्रयागराज महाकुंभ लोगों के स्नान, रहने, चिकित्सा, यातायात व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन, स्वच्छता और सुरक्षा की शानदार एवं ऐतिहासिक व्यवस्थाएं देखकर दुनिया भौचक रह गयी। भीड़ प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटिलेंजेंस का उपयोग और ड्रोन व एंटी ड्रोन सिस्टम से संदिग्धों पर निगाह रखना भविष्य की पुलिसिंग की तस्वीर प्रस्तुत करता है। यही कारण है कि विश्व के कई देशों के विशेषज्ञ यहां भीड़ प्रबंधन पर शोध करने पहंुचे हैं। इतने बड़े आयोजन में एक दो घटनाएं इतनी महत्वपूर्ण नहीं, जितना यह कि यहां आने वाला हर श्रद्धालु उल्लास और यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो लौटा। महाकंुंभ ने उन सभी स्थानों के लिए एक मानदंड प्रस्तुत किया है, जहां कुंभ अर्धकुंभ के आयोजन होने हैं। यह ठीक है कि जिस आयोजन में प्रतिदिन एक-दो करोड़ लोगों की भागीदारी होती हो, वहां कुछ समस्याएं हो सकती हैं और वे दिखीं भी, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि इस आयोजन को विफल बताने की कोशिश की जाए अथवा यह कहा जाए कि श्रद्धालुओं को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।

महाकुंभ भारत की हिन्दू संस्कृति, आस्था और एकता का प्रतीक है। भारत एक हिंदू राष्ट्र है यह न केवल हमारा विश्वास है बल्कि ऐतिहासिक, औपचारिक और सामाजिक सत्य भी है। भले ही भारतीय संविधान ने इसे औपचारिक रूप से हिंदू राष्ट्र न घोषित किया हो, लेकिन भारत का अस्तित्व और उसकी आत्मा सनातन धर्म में रची बसी है। इस तथ्य को न केवल भारत के नागरिक बल्कि समूची दुनिया भी स्वीकार करती है। भारत की पहचान केवल एक भौगोलिक इकाई तक ही सीमित नहीं है, यह एक महान सनातनी सभ्यता है, जिसकी जड़े हजारों वर्षों पुरानी है। ऋग्वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण, पुराण और स्मृतियां हमारे सांस्कृतिक आधारस्तंभ है। यहीं से वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिनः जैसे महान विचार जन्म लेते हैं। यदि हम इतिहास को देखें, तो भारत में वैदिक काल से ही हिंदू संस्कृति का वर्चस्व रहा है। मौर्य, गुप्त, चोल, मराठा और अन्य हिंदू राजवंशों ने भारत की सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता को बनाए रखा। विदेशी आक्रमणों और औपनिवेशिक शासनों के बावजूद, हिंदू समाज अपनी जड़ों से कभी नहीं हटा। भारत को ंिहंदू राष्ट्र कहने का अर्थ यह नहीं है कि यहां अन्य धर्मों के लिए स्थान नहीं है। हिंदू संस्कृति सदैव सर्वसमावेशी रही है।

हिन्दू आस्था से नफरत करने वाले ये लोग सदियों से किसी न किसी शक्ल में रहते रहे हैं। गुलामी की मानसिकता से घिरे ये लोग हिन्दू मठों, मंदिरों, संतों, संस्कृति व सिद्धांतों पर हमला करते हुए राजनीति करते रहे हैं। हिन्दू समाज को बांटना, उसकी एकता को तोड़ना ही इनका एजेंडा हैं। आज विश्व भारत को केवल एक राष्ट्र राज्य के रूप में नहीं देखता बल्कि उसे सनातन संस्कृति की जन्मभूमि और हिंदू राष्ट्र के रूप में पहचानता है। नेपाल, इंडोनेशिया, थाईलैंड, कंबोडिया जैसे देशों की संस्कृति पर भारत का गहरा प्रभाव रहा है। हाल ही में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में भगवद्गीता का पाठ किया गया, जो इस बात का प्रमाण है कि विश्व भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में स्वीकार कर रहा है। अमेरिका और यूरोप में भी योग, वेदांत और भगवद्गीता के प्रति बढ़ती रूचि यह दर्शाती है कि हिंदू जीवन दर्शन वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जा रहा है। महाकुंभ के खिलाफ़ दुष्प्रचार की आंधी से हिन्दू धर्म एवं संस्कृति को धुंधलाने की कुचेष्टा एवं षडयंत्र है। यह सनातन धर्म पर प्रहार न केवल निंदनीय है बल्कि शर्मनाक भी है। कुंभनगरी में सबसे ज्यादा फोकस सेक्टर-18 पर रखा गया, यहां वीआईपी गेट भी बनाया गया, इस पॉइंट पर 72 देशों के ध्वज लगे, जिनके नुमाइंदे ही नहीं, बल्कि लगभग 180 देशों के लोगों ने महाकुंभ में सम्मिलित होकर महाकुंभ के भव्य, व्यवस्थित एवं सफल आयोजन की भरपूर सराहना की है। अनेक विदेशी ने सनातन धर्म में दीक्षित हुए है।