टीएमयू में हैल्थ एक्सपर्ट्स ने साझा किए अनुभव

Health experts shared experiences in TMU

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के तीन कॉलेजों- कॉलेज ऑफ नर्सिंग, कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज़ और डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोथैरेपी की ओर से दो दिनी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस- हैल्थ फोर्स-2025 का शंखनाद

रविवार दिल्ली नेटवर्क

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ नर्सिंग, कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज़ और डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोथैरेपी की ओर से इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस- हैल्थ फोर्स-2025 का ऑडिटोरियम में देश और विदेश के नामचीन एक्सपर्ट्स की गरिमामयी मौजूदगी में शंखनाद हुआ। एविडेंस बेस्ड प्रैक्टिस ब्रीजिंग गैप बिटवीन रिसर्च क्लिनिकल एप्लीकेसंस एंड इंटरडिसिप्लिनरी कोलाबोरेशन फोर बैटर हैल्थ आउटकम पर ब्लेंडेड मोड में आयोजित दो दिनी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का शुभारम्भ टीएमयू के कुलपति प्रो. वीके जैन ने दीप प्रज्जवलन के संग किया। इस अवसर पर केंद्र के डायरेक्टरेट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज सर्विसेज, एमएचए- नई दिल्ली के डायरेक्टर-कम-चीफ फॉरेंसिक साइंटिस्ट डॉ. एसके जैन बतौर मुख्य अतिथि, मेडिकोलीगल इंस्टिट्यूट, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, पंजाब के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. आरके गोरेया बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर, शेरलॉक इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस, दिल्ली के डॉ. रंजीत कुमार सिंह, आईक्यूएसी के निदेशक डॉ. नीतीश मिश्रा, नर्सिंग कॉलेज की डीन प्रो. एसपी सुभाषिनी, टीपीसीओएन, अमरोहा की प्राचार्या प्रो. श्योली सेन, टीएमयू की रिसर्च एंड डवलपमेंट की असिस्टेंट डीन डॉ. ज्योति पुरी, टीएमसीओएन, मुरादाबाद की प्राचार्या डॉ. जसलीन एम., पैरामेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. नवीनत कुमार, फिजियोथेरेपी विभाग की एचओडी प्रो. शिवानी एम. कौल, टीएमसीओएन के उप-प्राचार्य प्रो. राम निवास आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन 58 शोध पेपर्स प्रस्तुत किए। सभी अतिथियों का बुके देकर स्वागत किया गया। इस मौके पर टीएमयू इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंटीग्रेटेड हेल्थ केयर- आईजेआईएच का विमोचन भी किया गया। टीएमयू नर्सिंग की डीन प्रो. एसपी सुभाषिनी ने सम्मेलन की थीम-एविडेंस बेस्ड प्रैक्टिस- की अवधारणा प्रस्तुत की, जबकि इससे पूर्व फिजियोथेरेपी विभाग की एचओडी प्रो. शिवानी एम. कौल के स्वागत भाषण दिया। पैरामेडिकल के प्राचार्य प्रो. नवीनत कुमार ने वोट ऑफ थैंक्स देते हुए, गणमान्य अतिथियों, वक्ताओं, शोधार्थियों और प्रतिभागियों का दिल से आभार व्यक्त किया। संचालन श्री बसवराज मुधोल और प्रो. विजी मोल ने किया।

मेडिकल फील्ड में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाना होगाः डॉ. जैन
केंद्र के डायरेक्टरेट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज सर्विसेज, एमएचए- नई दिल्ली के डायरेक्टर-कम-चीफ फॉरेंसिक साइंटिस्ट डॉ. एसके जैन ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि रिसर्च और अनुसंधान और क्लिनिकल एप्लीकेसंस के बीच की खाई को पाटने में इंटरनेशनल कॉन्फेंस हैल्थ फोर्स-2025 मील का पत्थर साबित होगी। स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए चिकित्सा क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान और तकनीकी विकास अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इनके महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने से रोगियों को बेहतर उपचार मिल सकता है। साथ ही बोले, युवा शोधकर्ताओं को नवीनतम चिकित्सा तकनीकों और अनुसंधान पद्धतियों में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे स्वास्थ्य सेवा में अपना अनमोल योगदान कर सकें। अंत में उन्होंने छात्रों को सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र सिद्धांत को अपनाने पर बल दिया।

मेडिकल रिसर्च और फील्ड प्रैक्टिस के बीच समन्वय जरूरीः डॉ. गोरेया
मेडिकोलीगल इंस्टिट्यूट, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, पंजाब के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. आरके गोरेया ने बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर अनुसंधान और व्यावहारिक चिकित्सा के बीच मौजूद अंतराल पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए अनुसंधान को सरल और व्यावहारिक बनाया जाना चाहिए, जिससे यह चिकित्सकों और दीगर स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सके। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रभावी सहयोग ही रोगी की देखभाल को अधिक सशक्त बना सकता है। उन्होंने चिकित्सा अनुसंधान और फील्ड प्रैक्टिस के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए ठोस नीतियों और क्रियान्वयन योजनाओं की आवश्यकता पर भी चर्चा की।

हैल्थ सर्विस में ट्रस्ट मॉडल को करें आत्मसातः प्रो. वीके जैन
टीएमयू के कुलपति प्रो. वीके जैन ने अपने उद्घाटन संबोधन में ट्रस्ट मॉडल- ट्रांसपेरेन्सी, रेस्पेक्ट, अंडरस्टैंडिंग, शेयर्ड, डिसीजन-मेकिंग और टीम वर्क को आत्मसात करने पर बल दिया, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में आपसी समन्वय और विश्वास को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने अनुसंधान के बढ़ते महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर चिकित्सा क्षेत्र में नवाचार हो रहे हैं। हमें भी नवीनतम तकनीकों और अनुसंधानों को अपनाने के लिए तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने युवा शोधार्थियों से आग्रह किया कि वे केवल सैद्धांतिक अनुसंधान तक सीमित न रहें, बल्कि अपने शोध कार्यों को व्यावहारिक रूप से लागू करने के प्रयास करें ताकि वे स्वास्थ्य सेवाओं में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। उन्होंने आयोजन समिति और विश्वविद्यालय प्रशासन को इस सार्थक पहल के लिए साधुवाद भी दिया।

फिलीपींस का आपदा प्रबंधन अनुकरणीयः डॉ. टेरेसा
फिलीपींस के मदर टेरेसा पीजी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की वाइस प्रिंसिपल डॉ. ए. मारिया टेरेसा ने ब्रीजिंग डिसिप्लिनः ए फ्रेमवर्क फॉर कल्चरली कॉम्पिटेंट डिजास्टर विक्टिम इंवेस्टीगेशन पर बोलते हुए कहा, फिलीपींस का आपदा प्रबंधन विश्व के लिए अनुकरणीय है, क्योंकि स्वदेशी ज्ञान प्राणाली- आईकेएस को वहां संजीदगी से अपनाया गया है। आईकेएस जलशुद्धिकरण, आध्यात्मिक उपचार, औषधीय पौधों, प्रारम्भिक चेतावनी संकेत, सांस्कृतिक दक्षता सरीखे कदमों में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया, हम पारम्पारिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच सेतु निर्माण करके स्वास्थ्य सेवाओं और आपदा प्रबंधन को और सुदृढ़ बना सकते हैं। डॉ. टेरेसा ने समग्र शिक्षा, स्वास्थ्य चुनौतियों, फॉरेंसिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी विस्तार से चर्चा की। डॉ. टेरेसा ने अंततः आपदा प्रबंधन, फॉरेंसिक विज्ञान और चिकित्सा अनुसंधान को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने वीडियो के जरिए फिलीपींस में पक्षियों की आवाज से आपदाओं के पूर्वानुमान को पहचाने की विधि समझाई। वह बोलीं, किसी भी आपदा के पूर्व संकेत हमारे आसपास ही मौजूद होते हैं, बस हमें उन्हें समझने की दरकार है।