क्रिकेट में सेमीफाइनल और फाइनल जैसे बड़े मैचों के फैसले में सबसे अहम है दबाव झेलना :विराट

In cricket, the most important thing in deciding big matches like semi-finals and finals is to withstand pressure: Virat

  • लक्ष्य का पीछा करते हुए आपके हाथ में विकेट रहते हैं तो प्रतिद्वंद्वी टीम हार मान लेती है
  • प्रतिद्वंद्वी टीम केवल आपके विकेट चटका ही मैच में वापसी कर सकती है
  • मेरे लिए सबसे अहम है जीत और अब बाकी चीजें मेरे लिए मायने नहीं रखतीं
  • ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी मेरी कोशिश बस पर्याप्त भागीदारियां करने की ही थीं

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : मैन ऑफ द’ मैच चेज मास्टर विराट कोहली की 84 रन की बेहतरीन पारी की बदौलत भारत ने विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को मंगलवार को दुबई में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में चार विकेट से हरा उससे 2023 के वन डे क्रिकेट विश्व कप फाइनल में छह विकेट की हार का हिसाब चुकता कर दिया। मुश्किल पिच पर विराट कोहली की यह पारी भारत के बाकी बल्लेबाजों के लिए भी सबक है। विराट कोहली ने 98 गेंद पर अपनी 84 रन की पारी में 56 सिंगल दौड़ कर बनाए और अपनी पारी में मात्र पांच चौके जड़े। भारत को सेमीफाइनल जिताने के बाद विराट कोहली ने कहा, ‘क्रिकेट में खासतौर पर सेमीफाइनल और फाइनल जैसे बड़े मैचों के फैसले में सबसे अहम है दबाव को झेलना। लक्ष्य का पीछा करते हुए आप यदि आखिर तक टिके रहते हैं और आपके हाथ में विकेट बाकी रहते हैं तो अपनी प्रतिद्वंद्वी टीम आमतौर पर हार मान लेती है और आपके लिए मैच आसान हो जाता है। जब तक मैच चलता है तब आपके लिए जरूरी है कि आप खुद पर काबू रखें। यदि मैं शतक बनाता हूं तो बढ़िया है लेकिन मेरे लिए सबसे अहम है जीत और अब बाकी चीजें मेरे लिए मायने नहीं रखतीं। उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए लक्ष्य का पीछा करते हुए यह यह जानना अहम होता है कि कितने ओवर बाकी हैं और यदि अंतर 25-30 रन का है और हमें छह रन प्रति ओवर छह रन बनाने हैं और हमारे हाथ में छह सात विकेट बाकी है तो मैं चिंतित नहीं होता हूं। ऐसे इसलिए क्योंकि तब आप जानते हैं कि क्रीज पर दो जमे हुए बल्लेबाज हैं और खेल का रुख बदल सकते हैं। ऐसे में आपकी प्रतिद्वंद्वी टीम केवल आपके विकेट चटका ही मैच में वापसी कर सकती है। मेरी मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बल्लेबाजी करते हुए योजना यही थी। मेरी मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल की पारी बहुत हद मेरी पाकिस्तान के खिलाफ खेली पारी की थी जिसमें मैंने अपने शतक में मात्र सात चौके जड़े थे। मेरे लिए यह पारी हालात को समझ कर उसी के मुताबिक खुद को ढाल कर खेलने वाली पारी थी। मैंने मंगलवार को क्रीज पर रह कर बस स्ट्राइक को रोटेट किया दुबई की पिचपर सबसे अहम था भागीदारियां करना। पाकिस्तान के खिलाफ मैच की तरह मंगलवार को सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी मेरी कोशिश बस पर्याप्त भागीदारियां करने की ही थी। यह सब कुछ पिच के मिजाज पर निर्भर करता है। पिच का मिजाज ही मुझश यह बताता है कि इस पर किस तरह की क्रिकेट खेलनी है और मैं बस उसी के मुताबिक खुद को ढाल कर खेलता हूं। मेरी टाइमिंग बढ़िया रही ही क्रीज पर मैंने धैर्य भी धरा और किसी भी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाई। मैं बस एक एक रन लेकर ही खुश था। जब आप बतौर बल्लेबाज क्षेत्ररक्षकों के बीच गेंद को निकाल कर एक एक रन लेने में फख्र महसूस करते हैं तो यह तभी मुमकिन है जब आप यह जानते हैं कि आप बढ़िया क्रिकेट खेल रहे हैं। मैं यह नहीं कह सकता हूं कि मैं अपनी अब तक की सर्वश्रेष्ठ खेल रहा हूं और इसका हिसाब तो आप लोगों यानी पत्रकारों को रखना है। मैं कभी भी इन सब चीजों पर ध्यान नहीं दिया। जब आप अपने रिकॉर्डों और उपलब्धियों की बाबत नहीं सोचते तभी ये बस बन जाते हैं।