निर्मल कुमार शर्मा
इस धरती के कवियों,साहित्यकारों, संगीतज्ञों, लोकगायकों,लेखकों,फिल्मी कलाकारों,नाट्य कर्मियों आदि द्वारा सबसे ज्यादा प्रेम गीत,संगीत,लोकगीत,कहानी,फिल्मी गाने, मधुरतम् लोरी,इसके अलावा किसी अतुलनीय सौदर्यवती नवयौवना की रूप और लावण्य की तुलना आदि भी चांद के अतुल्य सौंदर्य को रेखांकित और उपमा देकर ही रचे गए हैं ! दुनिया के लगभग सभी देशों के साहित्य,कविता,नाटक व गीत आदि में चांद के अलौकिक सौंदर्य को नज़ीर बनाकर उससे तुलना करके सर्वाधिक रचनाएं,गीत और नाटक लिखे और सृजित किए गए हैं ! कवियों,लेखकों,नाट्य कर्मियों, रचनाकर्मियों द्वारा गीतों, कविताओं और फिल्मी गानों के लिए हमारा चांद दुनिया के किसी भी अन्य किसी भी चीज या पिंड से सबसे ज्यादा आकर्षित करता रहा है !
लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार हमारा प्यारा चांद हमारी धरती से प्रतिवर्ष लगभग 3 सेंटीमीटर की दर से अंतरिक्ष में दूर भागता जा रहा है ! वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में एक दिन ऐसा भी आएगा कि हमारी पृथ्वी का यह इकलौता उपग्रह चांद हमारी धरती से इतना दूर चला जाएगा कि इसे हम अपनी नंगी आंखों से देख भी नहीं सकेंगे,हमारी धरती का यह इकलौता प्राकृतिक उपग्रह हमारी धरती से बहुत दूर चला जाएगा ! हालांकि चांद को हमसे इतना दूर जाने में 60 करोड़ वर्ष का बहुत विशाल समय लगेगा,ऐसा होने से धरती पर भी बहुत कुछ बदल जाएगा। हालांकि चांद को हमसे दूर जाने में 60करोड़ वर्षों के समय का इतना बड़ा कालखंड है,जिसमें मानवीय जीवन की करोड़ों पीढ़ियां बीत जाएंगी !
वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे सौरमंडल परिवार में सर्वाधिक चांद शनिग्रह के पास हैं,शनि के आकाश में उसके इर्द-गिर्द 82 चांद हैं ! उसके बाद वृहस्पति ग्रह का नंबर आता है,उसके कुल 79चांद हैं ! ज्ञातव्य है कि हमारे सौरमंडल में अभी कुछ दिन पहले तक सर्वाधिक चांदों वाले ग्रह के रूप में वृहस्पति का स्थान था,लेकिन पिछले कुछ वर्षों में खगोल वैज्ञानिकों ने शनिग्रह के 20नये चांद ढूंढ़ निकाले हैं,कार्नेगी इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस Carnegie Institute of Science के अंतरिक्ष विज्ञानियों ने यह महत्वपूर्ण काम किए हैं। इसलिए सर्वाधिक चांद के मामले में शनिग्रह ने वर्तमान समय में वृहस्पति ग्रह को पीछे छोड़ दिया है !
ज्ञातव्य है कि हमारे सौर मंडल परिवार में चांदों की कुल संख्या 205 है। ये वे चांद हैंं जिनकी अभी तक खोज हो गई है । आश्चर्य की बात यह भी है कि इन सभी चंद्रमाओं में से 161 चंद्रमा यानी हमारे सौरमंडल के सभी चन्द्रमाओं के करीब 80प्रतिशत चंद्रमा हमारे सौरमंडल परिवार के सबसे बड़े आकार और द्रव्यमान के ग्रहों मसलन बृहस्पति और शनि ग्रहों के पास हैं ! वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे सौरमंडल के कुल द्रव्यमान का 99 प्रतिशत द्रव्यमान इसके 4 गैस से बने ग्रह यथा बृहस्पति,शनि,यूरेनस और नेप्च्यून मेंं ही समाहित है ! केवल बृहस्पति और शनि एक साथ मिलकर हमारे सौरमंडल के कुल द्रव्यमान का 90% भाग अपने में समाहित किए हुए हैं ! चांदों की संख्या के मामले में हमारे सौरमंडल परिवार के ग्रहों की स्थिति इस प्रकार है,शनि के पास 82 चांद हैं,वृहस्पति के पास 79 चांद,यूरेनस के पास 27 चांद,नेप्च्यून के पास 14चांद,मंगल के पास 2 चांद और हमारी पृथ्वी के पास मात्र इकलौता 1चांद है ! सबसे दु:ख और अफसोस की बात यह है कि हमारी पृथ्वी से बहुत बड़ी संख्या में चांद रखनेवाले ग्रहों पर जीवन का कोई स्पंदन मात्र भी नहीं है,जो अपनी रात्रि काल में वहां इतने ज्यादे अपने चांदों के सौंदर्य को वहां कोई जीवधारी निहारकर प्रफुल्लित,पुलकित और मुदित हो सकें !
हमारी धरती से हमारे प्यारे चांद के बहुत दूर चले जाने पर हमारी पृथ्वी,इसके पर्यावरण और इसके समस्त जैवमण्डल के सभी जीव-जंतुओं पर क्या-क्या असर पड़ेगा,इसके बारे में संक्षिप्त रूप से जान लें । वैज्ञानिकों के अनुसार हमारी धरती के आकाश से चांद के अनुपस्थित रहने पर हमारी धरती पर रहनेवाले जीवों, वनस्पतियों,इसके पर्यावरण,इसके मौसम, जलवायु आदि सभी पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा ! उदाहरणार्थ हमारे समुद्रों में उठने वाली समुद्री लहरें,जिसे ज्वार-भाटा कहते हैं,बहुत कम हो जाएंगी या समुद्र लगभग शांत हो जाएंगे,क्योंकि चंद्रमा के गुरूत्वाकर्षण शक्ति की वजह से धरती पर स्थित समुद्रों में ज्वार-भाटा जैसी मनोहारिणी घटनाएं पैदा होतीं हैं ! धरती का मौसम बिल्कुल बदल जाएगा,खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार 4.5अरब वर्षों पूर्व हमारी धरती से एक अज्ञात ग्रह के टकराने की वजह से धरती से ही निकला मलवा अंतरिक्ष में बहुत दूर तक छिटक गया और उसी मलवे से करोड़ों साल बाद चंद्रमा नामक उपग्रह की उत्पत्ति का कारण बना !
लेकिन चंद्रमा बनने से पूर्व के समय में हमारी धरती पर दिन और रात मात्र 5-5घंटे के ही होते थे,क्योंकि उस समय हमारी पृथ्वी की घूर्णन गति बहुत तीव्र थी,लेकिन चंद्रमा के अस्तित्व में आ जाने के बाद उसने अपनी गुरूत्वाकर्षण शक्ति के बल से हमारी धरती की घूर्णन गति पर ब्रेक लगाना शुरू कर दिया और हमारी पृथ्वी की गति इतनी इतनी धीमी हो गई कि अब हमारी धरती का दिन और रात मिलकर 24 घंटे के होने लगे। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारी धरती से चंद्रमा की दूरी बहुत ज्यादा बढ़ जाने से पृथ्वी की घूर्णन गति में ब्रेक लगाने वाली चंद्रमा का गुरूत्वाकर्षण बल भी शून्य हो जाएगा और पृथ्वी के घूर्णन गति भी 4.5अरब वर्ष पूर्व जब चांद अस्तित्व में नहीं था,वाली मतलब 5घंटे का दिन और 5घंटे की रात्रि वाली शुरू हो जाएगी !
इस अचानक परिवर्तन से धरती का पूरा समय चक्र ही बदल जाएगा,क्योंकि इस समय चक्र के बदलने से धरती के सभी जीवधारियों की शारीरिक जैव घड़ी करोड़ों साल से सामान्यतः क्रमशः 12 घंटे के दिन और शारीरिक विश्राम के लिए 12 घंटे की रात्रि की दिनचर्या बन चुकी है,उसमें अचानक 5घंटे का दिन और 5घंटे की रात्रि के समय होने से,अचानक बदलनी पड़ेगी,इस परिवर्तन से सबसे ज्यादा बुरा असर रात्रिचर जीवों Nocturnal Animals के जीवन पर पड़ेगा,क्योंकि वे सिर्फ 5घंटे की रात्रि में अपना भरपेट आहार भी नहीं ढूंढ़ पाएंगे,तब तक सबेरा हो जाएगा,करोड़ों सालों से विकसित होते आ रहे मोथ Moth,जो रात्रि में विचरण करनेवाली एक तितली का नाम है,का तो पूरा जीवन चक्र ही बर्बाद हो जाएगा,क्योंकि वह चांद और तारों की रोशनी के बल पर ही अपनी दिनचर्या संचालित करती हैं,नए पैदा हुए कछुए चांद की रोशनी के सहारे अपना समुद्री रास्ता खोजते हैं,वे भी भटक जाएंगे ! इंसानों द्वारा बनाई गई रोशनी उन्हें समुद्री किनारों से खींचकर शहरों की तरफ ले आएगी ! और ये घटना उनके लिए जानलेवा साबित होगी !
इसी प्रकार अन्य सामान्य जीवों की भी नींद पूरी नहीं हो पाएगी,इसलिए इस धरती के समस्त जैवमण्डल के जीवों का मानसिक संतुलन आंशिक रूप से कुछ असंतुलित हो जाएगा ! मानसिक अवसाद की वजह से उनमें आपस में लड़ाई-झगड़े खूब होने लगेंगे !
प्रकृति और आकाश की अद्भुत और अद्वितीय खगोलीय घटनाएं यथा चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण जैसी परिघटनाएं अब अतीत की चीजें बन जाएंगी, पूर्णिमा की स्निग्ध,शीतल चांदनी से समस्त दुनिया मरहूम होकर रह जाएगी ! हर रातें अब अमावस्या की काली-काली रातें ही हुआ करेंगी !
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की सुविख्यात संस्था नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर NASA’s Goddard Space Flight Center के लूनर साइंटिस्ट रिचर्ड वोंड्रक Lunar Scientist Richard Vondrak ने इस बात को 2017 में ही कह दिया था कि समय के साथ,पूर्ण सूर्य ग्रहणों और चंद्र ग्रहणों की संख्या और आवृत्ति कम होती जाएगी,क्योंकि आज से लगभग 60 करोड़ साल पश्चात् पृथ्वी के लोग पूर्ण सूर्य ग्रहण की सुंदरता का अनुभव आखिरी बार करेंगे,क्योंकि उसके बाद धरती और सूरज के बीच चांद कभी आएगा ही नहीं !
चांद की अनुपस्थिति में,धरती की रातें ज्यादा अंधेरी होंगी !
हमारी धरती के आकाश से चांद के अंतर्धान होते ही हमारी धरती पर होनेवाली रातें ज्यादा अंधेरी होने लगेंगी,क्योंकि सूरज से पड़ने वाली रोशनी की चमक की वजह से ही चांद चमकता है,उसकी रोशनी से धरती पर रातों में एक सुकून देने वाली रोशनी रहती है,खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे सौर मंडल में सबसे चमकीला ग्रह शुक्र है,लेकिन जब पूर्णिमा की रात होती है तब चांद उस शुक्र ग्रह से भी दो हजार गुना ज्यादा चमकीला दिखता है !
चांद के ओझल होने से बहुत कुछ परिवर्तन होगा !
चांद के गुरुत्वाकर्षण की वजह से ही हमारी धरती अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है। अगर चांद पृथ्वी से करोड़ों किलोमीटर दूर चला गया तो हमारी धरती अपनी धुरी पर कम या ज्यादा झुक सकती है,इसकी वजह से मौसम में बहुत तेज बदलाव हो सकता है या फिर मौसम का बदलना ही रुक सकता है, ऐसा भी हो सकता है कि धरती के कुछ हिस्सों के जीव अपने जीवन में कभी भी सूरज को देख ही न पाएं,पृथ्वी के स्थिति परिवर्तन से मौसम में आए इस प्रकार के बदलाव होने से धरती पर कई जीवों की प्रजातियां सदा के लिए विलुप्त भी हो सकतीं हैं !
क्या होगा,जब चांद नहीं होगा !
“चांद न होता,तब क्या होता ? “इसका उत्तर यह है कि बहुत कुछ होता ! यहाँ तक कि यह प्रश्न पूछने के लिए शायद हम मानव प्रजाति आज धरती पर होते ही नहीं ! दिन कहीं बहुत छोटा होता और धरती पर अब भी केवल पेड़-पौधे और जानवर ही होते ! या अभी भी डायनोसोर इधर उधर चिंघाड़ रहे होते !
चांद के बारे में…
पृथ्वी से चांद की औसत दूरी 384467 किलोमीटर है । पृथ्वी और चन्द्रमा ग्रह और उपग्रह के बदले दो जुड़वां ग्रहों के समान हैं ! चंद्रमा का व्यास पृथ्वी के व्यास का एक-चौथाई है,जो कि अपेक्षाकृत काफी़ अधिक कम है,जहां पृथ्वी का व्यास 12756 किलोमीटर है,वहीं चंद्रमा का व्यास मात्र 3476 किलोमीटर ही है ! पृथ्वी के विपरीत चंद्रमा के पास न तो अपना वायुमंडल है और न ही अपना चुंबकीय क्षेत्र है ! चंद्रमा पर हर चीज़ का वज़न पृथ्वी पर के वज़न का छठा हिस्सा ही रह जाता है यानी जो चीज़ पृथ्वी पर 60 किलोग्राम भारी है,वह चंद्रमा पर केवल 10 किलोग्राम भारी रह जाती है ! चंद्रमा अपनी धुरी पर पृथ्वी की तरह घूर्णन गति नहीं करता है,इसी कारण पृथ्वी पर से हमेशा उसका एक ही आधा भाग दिखायी पड़ता है और यही आधा भाग लगभग हमेशा सूर्य के प्रकाश में भी रहता है ! वह पृथ्वी के चारों ओर भी अपना एक चक्कर 27 दिन 8 घंटे में पूरा करता है !
वैज्ञानिकों के अनुसार आज से बीस बाइस करोड़ साल पूर्व डायनॉसरों वाले युग में,जब चंद्रमा आज की अपेक्षाकृत पृथ्वी के निकट हुआ करता था,तब उसके गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के कारण पृथ्वी पर एक दिन 24 घंटे नहीं अपितु साढ़े 23 घंटे का ही हुआ करता था !
चांद न रहता,तो हम मनुष्य प्रजाति भी नहीं होते !
कुछ ऐसी वैज्ञानिक अवधारणाएँ भी हैं, जो कहती हैं कि यदि चंद्रमा नहीं होता,तो पृथ्वी पर मानव जाति का अभी तक अभ्युदय भी नहीं हुआ होता ! यानी विकासवाद अभी बंदरों और जानवरों तक ही पहुँच पाया होता ! ऐसा इसलिए, क्योंकि चंद्रमा के न होने पर ज्वार-भाटे नहीं होते और उनके न होने से भूमि और समुद्री जल के बीच पोषक तत्वों के आदान-प्रदान की क्रिया बहुत धीमी पड़ जाती,इससे सारी विकासवादी प्रक्रिया ही धीमी पड़ जाती ! चंद्रमा के कारण पृथ्वी की अक्षगति का धीमा पड़ना आज भी जारी है ! हर एक सौ वर्षों में वह 0.0016 सेकंड, यानी हर 50 हज़ार वर्षों में एक सेकंड की दर से धीमी पड़ रही है ! अद्भुत आश्चर्य की बात है कि एक तरफ पृथ्वी की गति धीमी पड़ रही है,और दूसरी तरफ चंद्रमा की गति तेज हो रही है ! गति तेज होने की वजह से चंद्रमा हमारी पृथ्वी से दूर खिसकता जा रहा है ! संभव है अरबों वर्षों बाद पृथ्वी के वासी चंद्रमा के केवल एक हिस्से को ही देख पाएं,दूसरे हिस्से के लोग नहीं,बशर्ते कि तब तक पृथ्वी पर मनुष्यों सहित जीवन आबाद रहे ! आशा रखिए कि ऐसा ही हो !