
इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली विधानसभा में 27 साल बाद सत्ता में आई भाजपा ने विधानसभा में एक नई परंपरा/परिपाटी शुरू कर दी।
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने एक ऐसा रास्ता दिखा दिया, जिसका इस्तेमाल भविष्य में दूसरे सत्ताधारी दल भी विपक्ष के ख़िलाफ़ कर सकते हैं।
परिसर से बाहर- विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने पहले सत्र में ही विपक्ष की नेता आम आदमी पार्टी की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी समेत 21 विधायकों को हंगामा करने पर सदन से निलंबित किया और उन्हें विधानसभा परिसर से भी बाहर निकाल दिया।
सवाल तो उठेंगे- विधानसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि विपक्षी दल के सदस्यों को सदन से निलंबित करने के साथ ही, उन्हें विधानसभा परिसर से भी बाहर कर दिया गया। उनके परिसर में घुसने पर भी रोक लगा दी गई।
विपक्ष इसे मनमाना, अलोकतांत्रिक बता रहा है। अलोकतांत्रिक या गैर कानूनी है या नहीं, इस पर बहस हो सकती है।
लेकिन जिस नियम का इस तरह से अक्षरशः इस्तेमाल आज तक किसी सत्ताधारी दल ने विधानसभा में विपक्ष के ख़िलाफ़ नहीं किया था, उसे पहली बार अब इस्तेमाल करने से सवाल तो उठेंगे ही। स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष के ख़िलाफ़ इतना कड़ा कदम उठाने से बचना चाहिए था।
दोहरा चरित्र- यह भी सच्चाई है कि राजनीति में राजनितिज्ञों का दोहरा चरित्र होता है जब वह सत्ता में होते हैं, तो अपने हर कदम को जायज़/कानूनी ठहराते है, लेकिन जब वह विपक्ष में होते हैं, तो वही नेता सत्ता के वैसे ही कदम को लोकतंत्र पर हमला आदि की दुहाई देने लगते।
तीर कमान से निकल गया-
विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार ने विधानसभा में जो गलत परिपाटी शुरू की थी, उसे वह खत्म करेंगे।
दूसरी ओर उन्होंने खुद एक ऐसी नई परंपरा/ परिपाटी शुरू कर दी है। जिसे विपक्ष का कोई भी दल अच्छी परिपाटी तो नहीं कहेगा।
खैर अब इस कदम की आलोचना हो या इस पर सवाल उठाएं जाएं, अब तो तीर कमान से निकल ही गया। विधानसभा के इतिहास में विजेंद्र गुप्ता को नई परंपरा शुरू करने के लिए याद रखा जाएगा।
विजेंद्र गुप्ता ने पहले सदन में और फिर पत्रकार वार्ता में भी अपने इस निर्णय को नियमों के अनुसार की गई कार्रवाई बताया है।
नियम- नियम 277, बिंदु 3(डी) स्पष्ट रूप से कहता है। जो सदस्य सदन से निलंबित किया गया है, उसे सदन के परिसर में प्रवेश करने और सदन एवं समितियाें की कार्यवाही में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाएगा।
विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही चलाने के लिए बनाई गई नियमावली ( रूल बुक) का हवाला देकर बताया कि विधानसभा सदन की परिधि/परिसर की परिभाषा में विधानसभा की चारदीवारी के भीतर का पूरा क्षेत्र है। निलंबित सदस्य विधानसभा परिसर में भी नहीं रुक सकता।
सदन से निलंबित विपक्षी सदस्यों को नियम अनुसार विधानसभा के परिसर में घुसने से रोका गया।
पहली बार लागू- विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बेशक नियमों का हवाला देकर इस आदेश को उचित ठहराया है। लेकिन आज से पहले कभी इस नियम को इस तरह से परिभाषित और लागू नहीं किया गया।
सदन से निलंबित किए जाने वाले नेता प्रतिपक्ष और विधायक विधानसभा परिसर में प्रदर्शन/धरना करने, परिसर में स्थित अपने कार्यालय में जाने के लिए स्वतंत्र रहते थे।
क्यों निकाला-विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि 25 फरवरी, 2025 को उप-राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के दौरान विपक्ष के सदस्यों को उनके खराब व्यवहार और कार्यवाही में बाधा डालने के कारण उन्हें बाहर निकालना पड़ा।
विधानसभा के प्रक्रिया नियमों के अनुसार, उप-राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान कोई भी बाधा नहीं डाली जा सकती।
उप-राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में बाधा डालने के कारण, बाद में सदन ने विपक्ष के सदस्यों को तीन बैठकों के लिए निलम्बित कर दिया।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)