भारत के राष्ट्रपति भवन पर तिरंगा पूरा झुकाने का ‘रहस्य’…!

The 'secret' behind hoisting the tricolour at full mast at Rashtrapati Bhavan of India...!

संजीव चौहान

भारत में राष्ट्रपति भवन के अपने कई बेहतरीन और चौंकाने वाले कायदे-कानून हैं. जो आज भी आम-इंसान की जानकारी से ‘अनछुए’ है. भले ही भारत के राष्ट्रपति भवन और उससे जुड़ी खूबियों को लेकर, क्यों न आज का सोशल मीडिया-गूगल यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म्स भरे पड़े हों. इसके बाद भी आइए आज बात करते हैं भारत के राष्ट्रपति भवन के गुंबद पर मौजूद तिरंगे झंडे को लेकर कुछ रोचक तथ्य.

यह तो आम-ओ-खास सभी को मालूम है कि, भारत के राष्ट्रपति भवन पर तिरंगा-झंडा हर वक्त फहरा रहता है. यह झंडा किसी ‘खास’ की मृत्यु पर या देश में किसी राष्ट्रीय शोक की घोषणा पर आधा झुका दिया जाता है. यह तथ्य भी अमूमन अधिकांश लोगों को मालूम है. जो कम लोगों को मालूम होगा राष्ट्रपति भवन पर फहर रहे तिरंगे झंडे के बारे में, वो अब समझिए क्या है?
भारत के राष्ट्रपति भवन झंडे के फहरने की तीन श्रेणी हैं.

पहली श्रेणी-
तिरंगा झंडा तब भवन के गुंबद पर पूरा यानी ऊपर तक फहरा रहता है, जब तक राष्ट्रपति खुद निजी तौर पर भवन के भीतर मौजूद हों. यानी कि राष्ट्रपति भवन के गुंबद पर अगर झंडा सबसे ऊपर तक फहरा दिखाई दे तो, तय है कि राष्ट्रपति भवन में महामहिम खुद मौजूद हैं.

दूसरी श्रेणी-
अगर राष्ट्रपति, हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली से बाहर (हवाई जहाज में बैठ जाने पर) हैं, तो गुंबद पर फहर रहा तिरंगा झंडा एकदम नीचे झुका दिया जाता है. मतलब, राष्ट्रपति भवन के गुंबद या प्राचीर पर मौजूद झंडा की यह दूसरी स्थिति यानी पूरी तरह से तिरंगे का नीचे की ओर लाकर झुका दिया जाना, इस बात की पुष्टि करता है कि, भारत के महामहिम (राष्ट्रपति या प्रथम व्यक्ति या प्रथम महिला) राष्ट्रपति भवन और देश की राजधानी दिल्ली से बाहर हैं.

तीसरी श्रेणी-
इस श्रेणी में झंडा राष्ट्रपति भवन के ऊपर मौजूद गुंबद की प्राचीर पर बीच में रहता है. मतलब, न एकदम ऊपर की ओर, और न ही एकदम प्राचीर पर नीचे की तरफ तिरंगे को लाया जाता है. यह बीच में तिरंगा झंडा फहराने का मतलब है कि, देश में किसी राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जा चुकी है. यह राष्ट्रीय शोक भारत के किसी मित्र देश की खास शख्शियत या फिर, भारत में ही किसी व्यक्ति-विशेष (महान-विभूति) की मौत के अवसर पर घोषित किया जाता है. राष्ट्रीय शोक के दौरान, राष्ट्रपति भवन के गुंबद की प्राचीर पर मौजूद तिरंगा झंडा बीच में (आधा) लाकर रोक दिया जाता है. मतलब, न एकदम ऊपर न ही एकदम नीचे की ओर.

बात जब भारत के प्रथम व्यक्ति या प्रथम महिला (जो भी राष्ट्रपति हो) के आवास और कार्यालय यानी राष्ट्रपति भवन की हो तो, एक और भी दिलचस्प जानकारी देना या होना जरूरी है. वो यह कि राष्ट्रपति भवन के गुंबद पर मौजूद तिरंगा झंडा हर रोज नियत समय पर सुबह और शाम, उतारा और फहराया जाता है. इस बेहद जिम्मेदारी और देशभक्ति वाले काम का जिम्मा भारतीय फौज के कंधों पर है.

इस काम के लिए भारतीय फौज की एक प्रशिक्षित टीम राष्ट्रपति भवन में मौजूद रहती है. इस टीम की जिम्मेदारी है कि, सूर्यास्त के वक्त विधि-विधान के अनुसार राष्ट्रपति भवन की प्राचीर या कहिए गुंबद से, यह टीम तिरंगे झंडे को रोजाना ब-हिफाजत उतार कर अपनी निगरानी में लेगी.

अगले दिन यही भारतीय फौज की टीम हिंदुस्तान की शान तिरंगे को विधि-विधान से राष्ट्रपति भवन के गुंबद (प्राचीर) तक ले जाकर, उसे वहां उसी स्थिति में फहरायेगी, जिस स्थिति में उसे पूर्व संध्या (बीती शाम सूर्यास्त के वक्त) पर गुंबद से ब-हिफाजत नीचे उतारा गया था.

जिक्र जब भारतीय ध्वज यानी तिरंगे झंडे का हो. तब ऐसे में यहां यह भी बताना जरूरी है कि, आखिर भारत के प्रधानमंत्री लाल किला पर 15 अगस्त को और 26 जनवरी को राष्ट्रपति भवन पर भारत के महामहिम प्रथम महिला या प्रथम पुरुष (जो भी हिंदुस्तान के राष्ट्रपति हो) ही झंडारोहण क्यों करते हैं?

इस सवाल का जवाब बेहद महत्वपूर्ण जानकारी देने वाला है. हिंदुस्तान में चूंकि प्रधानमंत्री देश के राजनीतिक प्रमुख होते हैं. इसलिए वे 15 अगस्त को लाल किला की प्राचीर पर ध्वजारोहण (तिरंगा) करते हैं. जबकि भारत के संविधान प्रमुख राष्ट्रपति हैं. इसलिए हर 26 जनवरी को राष्ट्रपति भवन की प्राचीर पर महामहिम यानी राष्ट्रपति झंडारोहण करते हैं. 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था. इसलिए गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं.