महाराणा प्रताप के वंशज अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन , मेवाड़ में शोक की लहर

Maharana Pratap's descendant Arvind Singh Mewar passed away, wave of mourning in Mewar

हेरिटेज और पर्यटन विकास में रही असाधारण और अथक भूमिका

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

महाराणा प्रताप के वंशज और मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का लंबी बीमारी के बाद रविवार को सुबह उदयपुर में निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को उदयपुर में किया जाएगा। अरविंद सिंह मेवाड़ के देहान्त पर देश विदेश के अनेक नेताओं और जानी मानी शख्शियतों ने गहरा शोक व्यक्त किया हैं तथा हेरिटेज और पर्यटन विकास में उनकी असाधारण और अथक भूमिका का स्मरण किया हैं। केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ,पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं अशोक गहलोत , पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र,उप मुख्यमंत्री दियाकुमारी और प्रेम चंद बैरवा सहित विभिन्न भजन लाल मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों एवं अन्य कई नेताओं तथा विशिष्ठ व्यक्तियों ने अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। अरविंद सिंह के निधन पर उनके भजीजे और नाथद्वारा के विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने भी गहरा शोक व्यक्त किया हैं।

अरविंद सिंह मेवाड़ मेवाड़ राजवंश के 76 वें संरक्षक थे। हालांकि राजपरिवार के संपत्ति विवादों को लेकर उनके बड़े भाई महेन्द्र सिंह मेवाड़ से उनके संबंध सामान्य नहीं थे फिर भी उन्होंने राज परिवार की परंपराओं के निर्वहन में कोई कमी बाकी नहीं रखी और हर उस परम्परा एवं रस्मों को निभाया जो मेवाड़ राजवंश में वर्षों से निभाई जा रही हैं। रोबीले व्यक्तित्व और प्रभावशाली उद्बोधन की कला में माहिर अरविन्द सिंह अपनी मेवाड़ी पगड़ी एवं अपने राजसी लिबास और आचरण के लिए पहचाने जाते थे।

अरविन्द सिंह मेवाड़ लंबे समय से बीमार थे और उदयपुर में उनके सिटी पैलेस स्थित आवास शिव निवास पर उनका इलाज किया जा रहा था। वे महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ और सुशीला कुमारी के छोटे पुत्र थे। उनका विवाह कच्छ की राजकुमारी विजयराज के साथ हुआ था। उनके बड़े भाई पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ का भी पिछले साल नवंबर में ही निधन हुआ है।

अरविंद सिंह मेवाड़ के पुत्र लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने अपने इंस्टग्राम हैंडल से ‘एकलिंग दीवान’ के अंतिम दर्शन और यात्रा की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि आम जनता अरविंद सिंह मेवाड़ के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन सोमवार को प्रातः 7 बजे से कर सकेंगे। इसके बाद उनकी अंतिम यात्रा प्रातः 11 बजे शम्भु निवास उदयपुर से शुरू होकर बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार, देहली गेट होकर महासतियां के लिये प्रस्थान करेगी।

अनेक जाने माने इतिहासकारों ने कहा कि अरविंद सिंह मेवाड़ पुरातन के प्रति सम्मान और नवीन के प्रति वैज्ञानिक अभिरुचि के धनी थे। ऐतिहासिक दृष्टि से मेवाड़ लगभग 1400 वर्षों तक भारत के इतिहास में स्वतंत्रता और स्वाभिमान को लेकर संघर्षधर्मी रहा। मेवाड़ में शौर्य, भक्ति, त्याग, समर्पण और सांस्कृतिक चेतना के कई उदाहरण भरे पड़े है। अरविंद सिंह मेवाड़ ने मेवाड़ के इन विचारों का बखूबी पालन किया गया।

अरविन्द सिंह मेवाड़ ने पर्यटन के क्षेत्र में उदयपुर को शीर्ष में स्थापित करने और डिजिटल प्रक्रिया से पूरे सांस्कृतिक वैभव के आधुनिकीकरण के लिए मेवाड़ को याद किया जाएगा। पद्मावत फिल्म का प्रसंग हो या महाराणा प्रताप के सम्मान की बात, वे सदैव संघर्ष करने में भी पीछे नहीं रहे। इन मूल्यों के लिए उन्होंने व्यापारिक लाभ- हानि की परवाह किए बिना अपने गुहील वंश की परिपाटी का पालन किया। पर्यटन, क्रिकेट, पोलो, इतिहास, संस्कृति के अकादमिक प्रेम और आधुनिकता के साथ कदम ताल मिलाकर चलने वाले वे प्रताप के ऐसे वंशज थे और सच्चे अर्थों में वंशधर भी थे। अरविन्द सिंह ने उदयपुर में पर्यटन विकास को नए पंख दिए। उन्होंने पिछोला झील के मध्य बने लेख पैलेस और जग मंदिर तक नायिका बिहार के साथ हेलीकॉप्टर राइड के प्रयोग भी किए तथा झीलों के आसपास नई पांच सितारा होटलों के निर्माण में भी योगदान दिया।

अरविन्द सिंह मेवाड़ ने अपने पिता महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ द्वारा शुरू की गई महाराणा फाउंडेशन पुरस्कारों और सम्मान की परम्परा को बुलंदियों तक पहुंचाया । साथ ही सिटी पैलेस में मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास का दिग्दर्शन कराने लाईट एंड साउंड कार्यक्रम करवाने का प्रशंसनीय कार्य किया। उन्होंने पर्यटन के साथ होटल विकास और झीलों के संरक्षण के लिए सराहनीय कार्य किए। अरविन्द सिंह को विंटेज कारों का शौक था और उन्होंने इसके लिए अपने गार्डन होटल में एक संग्रहालय भी बनवाया जोकि हमेशा देशी विदेशी पर्यटकों का पसंदीदा स्थान रहा। क्रिकेट के संरक्षण और विकास के पक्षधर थे। उन्होंने राजसिंह डूंगरपुर के सहयोग से पूरी भारतीय टीम को उदयपुर आमंत्रित कर भूपाल नोवेल्स कॉलेज ग्राउंड पर क्रिकेट मैच कराया था। उस टीम में क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी शामिल थे।

अरविन्द सिंह मेवाड़ ने मेवाड़ राजवंश की परंपराओं को आगे बढ़ाने का भी हरसंभव प्रयास किया। उनके निधन से दक्षिणी राजस्थान के मेवाड़ अंचल की एक बड़ी हस्ती के अनायास यूं चले जाने से पैदा हुई शून्यता को भरा जाना आसान नहीं होगा।