
रविवार दिल्ली नेटवर्क
कोलकाता/ सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी लिटरेरी सोसायटी के प्रयास से भव्य सिलीगुड़ी साहित्य उत्सव पहाड़ियों के पाद- प्रदेश सिलीगुड़ी में आयोजित हुआ, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से अलग-अलग भाषाओं के साहित्यकारों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्वलन की जगह एक पौधे को जल देकर किया गया और स्वच्छ पर्यावरण बहाल करने का संकल्प लिया गया। इसमें मुख्य रूप से शामिल रहे- विशिष्ट साहित्यकार डॉ. सुजीत मुखोपाध्याय(दिल्ली), पंकज कोट्टारथ(चेन्नई),रावेल पुष्प, श्यामल भट्टाचार्य तथा यतीश कुमार(कोलकाता),दिउ माले (नेपाल), मंगला रानी(पटना), डॉ. सुजाता रानी राय, गीता छेत्री, सेवन्ती घोष, जयदीप चट्टोपाध्याय, जसबीर चावला(चंडीगढ़), डॉ. सपना बेरा(भुवनेश्वर), डॉ. संजीवन दत्त राय तथा अन्य।
दोनों दिनों में आयोजित सत्रों में साहित्य के विविध विषयों पर चर्चा हुई जिसमें शामिल विषय रहे- नैतिक मूल्यों के विकास में हिंदी साहित्य की भूमिका, बांग्ला भाषा को ध्रुपदी स्वीकृति, समस्या तथा समाधान, समकालीन नेपाली साहित्य में कला संस्कृति का विकास, साहित्य: इतिहास की सच्ची खिड़की से, विश्व बंधुत्व में अनुवाद की भूमिका, उत्तर आधुनिक साहित्य में महिलाओं की भूमिका तथा अन्य। इसके अलावे कुछ काव्य सत्र भी आयोजित किए गए, जिसमें आमंत्रित कवियों ने तो हिस्सा लिया ही इसके साथ ही कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए अलग से आयोजित सत्र में कई छात्रों ने अपनी भागीदारी बखूबी दर्ज की। कार्यक्रम के विविध सत्रों में शामिल कुछ और साहित्यकार थे- तिलोत्तमा मजूमदार, सुमीता दत्त, अमिताभ घोष, संजीवन दत्तराय तथा अन्य।
इस पूरे आयोजन के प्राणपुरुष सुब्रत दत्त अपने सहयोगियों सौमित्र कुंडू, इंद्रजीत कौर, तापस कुमार चटर्जी, जयजीत चौधरी सरीखे सहयोगियों के साथ तो सक्रिय थे ही,वहीं सांसद राजू बिष्ट, डॉ. टी के घोष, टेक्नो इंडिया ग्रुप, सत्यम राय चौधरी, मेयर गौतम देव तथा अन्य का सहयोग भी अवश्य ही रेखांकित किया जाना चाहिए। सिलीगुड़ी में हुए इस प्रथम साहित्य उत्सव ने न सिर्फ बंगाल बल्कि देश के अन्य शहरों में होने वाले साहित्य उत्सवों की कड़ी में अपनी मजबूत उपस्थिति तो दर्ज करा ही दी है।