पिंकी सिंघल
हम सभी बचपन से ही सुनते आ रहे हैं कि एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ मन का निवास होता है और यह बात सही भी है ।जब तक हमारा तन अपने आप को स्वस्थ महसूस नहीं करता हमारा मन ,दिमाग, ह्रदय सभी बेचैन रहते हैं और हमारा ध्यान इधर-उधर भटकता रहता है ।स्वस्थ शरीर ,स्वस्थ मन और स्वस्थ मस्तिष्क को भी ऊर्जा प्रदान करता है,हमारी सोच को सकारात्मक बनाता है एवं हमें जीवन जीना सिखाता है ।यदि हमारा स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो हमें दुनिया की कोई भी चीज अच्छी नहीं लगती, किसी कार्य में मन नहीं लगता, किसी से बात करने का दिल नहीं करता और ना ही किसी का सानिध्य ही तब हमें पसंद आता है।
कहने का तात्पर्य है कि हमारा स्वास्थ्य ही वह धुरी है जिस पर हमारा संपूर्ण जीवन घूमता रहता है। अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने से हमें बचना नहीं चाहिए ।पूरी कायनात में सिर्फ हमारा शरीर ही हमारा साथ अंत समय तक निभाता है यह सत्य है ।चाहे हमारा कोई कितना भी करीबी ,हमारा कोई अपना हो परंतु अपने शरीर संबंधी कष्टों को हमें स्वयं ही भोगना पड़ता है ,अपने दुख तकलीफ हमें स्वयं ही महसूस करने पड़ते हैं।हमारे अपने ,हमारे दुखों से दुखी अवश्य हो सकते हैं किंतु उस दुख का ,पीड़ा का, तकलीफ का अनुभव हमारे शरीर को ,हमारे मन को स्वयं ही करना पड़ता है ।इसलिए हमें अपने शरीर का बहुत अच्छे से ख्याल रखना चाहिए क्योंकि एक स्वस्थ शरीर ही एक स्वस्थ जीवन का आधार भी बनता है।
अक्सर जीवन की आपाधापी में हम सभी यह भूल जाते हैं कि काम करने के साथ-साथ हमें अपने शरीर पर भी समुचित ध्यान देना चाहिए अर्थात हमें अपने शरीर का उचित ध्यान रखना चाहिए क्योंकि शरीर ,हमारा स्वास्थ्य ,हमारी सेहत ही सभी कार्यों को करने के लिए हमें सक्षम बनाती है ।इसलिए हमें अपने स्वास्थ्य को दरकिनार ना रखते हुए अपने खान-पान रहन-सहन और जीवन शैली को इस प्रकार व्यवस्थित करना चाहिए जिसका सकारात्मक प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर देखने को मिले ।अपने कर्तव्य को निभाते निभाते हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे पहला कर्तव्य हमारा हमारे शरीर के प्रति होता है ,स्वास्थ्य के प्रति होता है जिसे निभाना अत्यंत आवश्यक है यदि हम इस कर्तव्य को निभाने में असफल रहते हैं तो हम अपने बाकी कर्तव्यों को भी सहजता से नहीं निभा पाएंगे।
दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात जो हम सभी अपने जीवन में यदा-कदा महसूस करते रहते हैं वह यह है कि हम अक्सर अपनों की देखभाल करने में इतना मशगूल हो जाते हैं कि हम अपनी तरफ ध्यान ही नहीं दे पाते या फिर यह भी कह सकते हैं हम अपने से अधिक अपनों की सेहत को प्राथमिकता देते हैं।इसमें कुछ अनुचित भी नहीं,परंतु एक स्थिति ऐसी आती है कि हमारा स्वास्थ्य गिरने लगता है और उस स्थिति में हम अपने साथ-साथ अपनों का ध्यान भी नहीं रख पाते, उनकी सेहत को भी वह सब नहीं दे पाते जो हमें उन्हें देना चाहिए ।इसलिए अपनी और अपनों की सेहत का ध्यान रखने के लिए हमें सबसे पहले अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा यदि हम स्वयं ही स्वस्थ नहीं होंगे तो अपनों के स्वास्थ्य का क्या ध्यान रख पाएंगे।
हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान अपनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते रखते भी आराम से रख सकते हैं ।अपनों का ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि हमारे अपने हमारे जीवन के महत्वपूर्ण अंग होते हैं ,परंतु यह भी उतना ही सत्य है कि हमारे शरीर के प्रति भी हमारी कुछ जिम्मेदारियां होती हैं जिन्हें हमें हर हाल में निभाना ही पड़ता है अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए हमें ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती। बस छोटी छोटी बातें हैं जिन्हें हमें ध्यान में रखना होगा जैसे:
- हमें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना होगा ।समय पर नाश्ता, लंच ,डिनर इत्यादि के सेवन से जहां एक ओर हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है वहीं दूसरी तरफ यदि हम समय पर खाना नहीं खाते हैं तो धीरे-धीरे हमारा स्वास्थ्य गिरने लगता है।
- अक्सर अस्वस्थ होने की स्थिति में हम स्वयं ही अपने डॉक्टर बन जाते हैं और घर पर ही दवाइयां खाना चालू कर देते हैं अथवा कुछ घरेलू उपचारों के माध्यम से अपने शरीर पर प्रयोग करना शुरू कर देते हैं जो किसी भी सूरत में सही नहीं है ।यदि ऐसा ही होता तो दुनिया में डॉक्टर्स की, चिकित्सकों की कोई आवश्यकता रह ही नहीं जाती ।ऐसा करके हम अपनी बीमारियों को बढ़ावा देते हैं और केस खराब कर लेते हैं ।हमें इन चीजों से बचना चाहिए और स्वास्थ्य खराब होने पर तुरंत चिकित्सक से मिलना चाहिए । हमें अपने सम्पूर्ण शरीर की जांच हर 6 महीने में करानी चाहिए।
- हमें अपने भोजन में उन सभी चीजों को शामिल करना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। हमें संतुलित मात्रा में भोजन करना चाहिए और स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए ।जितना संभव हो जंक फूड से बचना चाहिए ।जंक फूड पेट भरने के लिए नहीं अपितु स्वाद परिवर्तन के लिए ही लेने चाहिएं।*स्वस्थ रहने का सबसे बड़ा मूल मंत्र स्वयं की सफाई रखना अर्थात अपने शरीर को स्वस्थ रखना है अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें नियमित रूप से स्नान करना चाहिए और समय-समय पर अपने हाथ साबुन से धोते रहने चाहिएं,खाने पीने के सामान को बिना धोए नहीं खाना चाहिए।
- डॉक्टर की सलाह के बिना हमें कोई भी सिरप अथवा टेबलेट नहीं खानी चाहिए कुछ लोगों की आदत होती है कि आयरन विटामिंस और कैल्शियम की कमी पता चलते ही उसकी पूर्ति के लिए टेबलेट स्वयं खाना शुरु कर देते हैं। उनके अनुसार डॉक्टर्स भी यही दवाइयां लिखते हैं इसलिए वे डॉक्टर से पूछने की भी जरूरत नहीं समझते और स्वयं ही मेडिकल स्टोर से जाकर दवाइयां खरीद लाते हैं और उनका नियमित रूप से सेवन करना प्रारंभ कर देते हैं जो कि उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक और गलत प्रभाव डाल सकता है ।डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवाई ,कोई भी गोली ,कोई भी सिरप ना लें। कभी-कभी हमारी छोटी-छोटी गलतियां अत्यधिक घातक सिद्ध होती हैं।
- स्वास्थ्य संबंधी कोई भी परेशानी होने पर नीम हकीम या बिना डिग्री वाले डॉक्टर्स के चक्करों में पडने से खुद को बचाना चाहिए। सुना है न कि: नीम हकीम खतरा ए जान । अपनी जान की रक्षा करना आपके अपने हाथ में है। इसलिए केवल अनुभवी ,प्रशिक्षित और विश्वसनीय चिकित्सक की सलाह से ही दवाइयां ले और अपने रोगों का इलाज कराएं।
- अपने स्वास्थ्य का पूर्ण ध्यान रखने के लिए हमें नियमित रूप से व्यायाम ,योगा, मेडिटेशन और हल्की-फुल्की सुबह शाम की सैर अवश्य करनी चाहिए।
कहा जाता है कि सकारात्मक सोच के लोगों के साथ रहने से हमारे स्वास्थ्य में इजाफा होता है अर्थात हमारे स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है ।सकारात्मक सोच रखने वाले लोगों के साथ रहने से ,उनके साथ बातें करने से हमें अच्छा महसूस होता है क्योंकि उनकी तरफ से आने वाली सकारात्मक तरंगे हमारे मस्तिष्क को रिलैक्स करती हैं और हमें भी अच्छा सोचने के लिए प्रेरित करती हैं और अच्छा सोचने से हमारे स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव दृष्टिगत होता है क्योंकि अच्छी सोच हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक मानी जाती है। सभी बीमारियां शारीरिक नहीं होती कुछ बीमारियां मनोवैज्ञानिक भी होती हैं जिनका इलाज हम स्वयं बिना किसी चिकित्सक की सलाह के कर सकते हैं और ऐसा हम स्वयं को सकारात्मक रखकर आसानी से कर पाते हैं इसलिए जीवन में सदैव सकारात्मक रहे, अच्छा सोचें,अच्छा करें और समाज कल्याण में अपना योगदान दें। ऐसा करने से हमें आत्म संतुष्टि का अनुभव तो होता ही है साथ ही साथ हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
*ईश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति को एक दूसरे से भिन्न बनाया है इसलिए कभी भी अपनी तुलना दूसरों के साथ ना करें ।हमेशा खुश रहने का प्रयास करें ,खुशियों को जी भर कर जिएं और दूसरों का बुरा करने से स्वयं को रोकें । जितना हमारे पास है वह पर्याप्त है, की सोच को विकसित करें और मन से ईर्ष्या और द्वेष की भावना को दूर रखें। जितनी दूसरों की मदद आप कर सकते हैं उतनी करें। दूसरों की कमियों के लिए उन्हें सुधारने का प्रयास करें किंतु उससे पहले आप अपनी कमियों को सुधारें।
बस उपरोक्त छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर हम अपनी सेहत का पूरा ध्यान रख सकते हैं और अपने आप को एक अनुपम उपहार प्रदान कर सकते हैं। मत भूलिए कि यह शरीर हमें भगवान ने उपहार स्वरूप दिया है और भगवान द्वारा दिए गए तोहफे की कोई कीमत नहीं होती क्योंकि वह बेशकीमती होते हैं ।इसलिए ईश्वर द्वारा दिए इस अनमोल तोहफे का, इस अनुपम उपहार का ध्यान रखना हमारा पहला और महत्वपूर्ण कर्तव्य होना चाहिए।