
डॉ. मोनिका राज
जब लब की खामोशी और अंतर्मन की आवाज़ को शब्दों में पिरोया जाता है, तब ही “खामोशियाँ” जैसी कृति की उपस्थिति हम पाठकों के समक्ष हो पाती है। परिस्थितियों से दो-चार होता व्यक्ति जब स्वयं उसकी कृति करता हो, तो वह रचना अपने-आप बेहतरीन हो जाती है, यही बात ‘खामोशियाँ’ को बेहद खास बनाती है क्योंकि यह पुस्तक एक स्त्री द्वारा स्त्री-मन के उद्गार को व्यक्त करता है। यह पुस्तक दिल से दिल तक पहुंचते हुए सभी पाठकों को भाव-विभोर कर देती है।
कवियत्री सोनाली मराठे द्वारा लिखी गयी यह पुस्तक स्त्री-जीवन का आईना प्रतीत होती है क्योंकि इसमें नारी जीवन के हर पहलुओं और संवेदनाओं को यथार्थ के धरातल पर रखकर लिखा गया है। 92 कविताओं से सजी इस पुस्तक में प्रतिदिन, प्रतिपल नारी द्वारा निभाये गए अलग-अलग किरदारों, उनकी भावनाएं और जीवटता का सजीव वर्णन किया गया है। नारी मन की ऐसी अभिव्यक्ति को पढ़ते हुए कई बार ऐसा लगता है जैसे वो सभी नारियों के अन्तस की बातों को शब्दों में आकार दे रही हों।
कविता की एक-एक पंक्ति इतनी भावपूर्ण है कि कभी इसे पढ़ते हुए आंखें नम हो जाती है तो कभी इसे पढ़ते-पढ़ते होठों पर मुस्कान आ जाती है। कई कविताएं प्रेरणा देती प्रतीत होती हैं तो कई थोड़ा ठहर कर आत्ममंथन करने पर विवश कर देती हैं। यह पुस्तक अपने-आप में स्त्री-संवेदना का गहरा सागर प्रतीत होता है, जिसका एक-एक बूंद अनमोल है।
यह संग्रह प्रेम, पीड़ा, इंतज़ार, त्याग, आत्म-खोज और स्त्री मन की दुविधाओं को अत्यंत प्रभावी ढंग से शब्दों में ढालता है। इसमें संकलित कविताएं जैसे ‘बुरा लगता है’, ‘ख़त लिख रही हूँ’, ‘थोड़ा-थोड़ा करके’, ‘मैं नाराज़ हूँ तुमसे’, ‘मैं हारना चाहती हूं तुमसे’ और ‘काश मैं फूल होती’ एक साधारण भाव को असाधारण अभिव्यक्ति में बदल देती हैं। कवियत्री की भाषा सरल है, पर भावनाएं अत्यंत गहन।
सोनाली मराठे की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे अनुभवों को शब्दों में नहीं, बल्कि एहसासों में पिरोती हैं। उनकी कविताएं केवल पढ़ी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं। ‘मैंने अपनी डायरी में’ जैसी कविता आत्मस्वीकार की उस प्रक्रिया को उजागर करती है, जिसमें एक स्त्री अपने अंदर की टूटन को भी कविता में तब्दील कर लेती है।
यह संग्रह आधुनिक नारी की मनोदशा, उसकी संघर्षशीलता और भावुकता का जीवन्त दस्तावेज है। सोनाली जी को इस सशक्त काव्य संग्रह के लिए हार्दिक बधाई। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह संग्रह पाठकों के हृदय को छूने में सफल रहेगा और उन्हें आत्मचिंतन के लिए प्रेरित भी करेगा।
पुस्तक: खामोशियाँ
कवयित्री: सोनाली मराठे
प्रकाशन: सर्वभाषा प्रकाशन, दिल्ली
मूल्य: 220 रुपये