अब आतंकी हमला , मतलब युद्ध से बदला

Now terrorist attack means revenge through war

राकेश शर्मा

कल शाम भारत पाक के बीच अचानक हुई युद्धविराम की घोषणा ने हर देशवासी को स्तब्ध कर दिया हर कोई इस घोषणा का अपनी अपनी तरह से आंकलन कर रहा है, मैंने भी इस विषय पर बहुत मंथन किया । मंथन करते हुए भारतीय इतिहास के दो संस्मरण अनायास ही स्मरण हो आये ।

चाणक्य के अनुसार :
अपने शत्रु को पूरी तरह नष्ट कर दो… नहीं तो वह फिर उठ खड़ा होगा…!
भावार्थ:
अगर शत्रु को पूरी तरह खत्म नहीं किया गया… तो… वह समय आने पर… फिर से ताकतवर बनकर… लौट सकता है…!
और दूसरा संस्मरण महाभारत के एक प्रसंग से उद्धृत है ।

“जब कृष्ण अंतिम कोशिश के रूप में शांति संधि के लिए हस्तिनापुर जा रहे थे तो द्रोपदी ने बड़ी ही व्याकुलता से कृष्ण से पूछा था कि ”केशव, तो अब युद्ध नहीं होगा” !!”

कृष्ण ने उस समय द्रोपदी से कहा था,” तुम मुझ से ज्यादा दुर्योधन पर विश्वास रखो, वो मेरी हर कोशिश को नाकाम कर देगा”।
श्रीकृष्ण के जवाब में आज के युद्धविराम का निचोड़ निहित है और चाणक्य की उक्ति में भविष्य का दर्पण ।

सर्वप्रथम वर्तमान स्थिति में हमें अपने प्रधानमंत्री के नेतृत्व, उनकी राष्ट्रभक्ति और निष्ठा के प्रति पूर्ण विश्वास करना होगा, कोई भी निर्णय उन्होंने राष्ट्र के व्यापक हित में ही लिया होगा । इस पृष्ठ भूमि में जब हम इस घोषणा का सही आंकलन करेंगे तो शायद मोदी के मन में क्या चल रहा है उसका कुछ विश्लेषण कर सकें।

आज इंडी गठबंधन और विपक्ष उधम मचा रहा है की युद्धविराम के लिए भारत क्यूँ तैयार हो गया इत्यादि इत्यादि और 1971 की बांग्लादेश के जन्म की याद दिला रहा है । वह यह नहीं बता रहा की बांग्लादेश मुक्तिवाहिनी पाकिस्तान से मुक्ति की मुहिम बहुत अरसे से चला रही थी और अंत में उन्होंने भारत से मदद की माँग की , पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) भौगोलिक , भाषा, सामाजिक, रहन सहन एवं सांस्कृतिक दृष्टि से पहले ही अलग थलग था और पाकिस्तान से बहुत दूर था और पाकिस्तानी शोषण के कारण उनसे अलग होना चाह रहा था । इसलिए आसानी से अलग हो गया । भारत के बांग्लादेश की माँग करने वालों की मदद करने के बाद उनकी फ़ौज को समुद्री सीमा से घिरे होने के कारण भागने की जगह नहीं थी और इसलिए उन्होंने भारत की सेना के सामने शरणागत होते हुए समर्पण कर दिया । लेकिन उस समय के शासकों ने हमारी मज़बूत स्थिति के बावजूद शिमला समझौता करते समय ना तो पीओके वापस लिया, उनके 90,000 सैनिक वापस कर दिए परंतु अपने 64 युद्ध बंदियों को वापस नहीं लिया , आतंकवादियों के ख़िलाफ़ एक्शन पर कोई समझौता नहीं किया । मैं तो इसे समझौता नहीं उस समय भारत का विजयी स्थिति में होते हुए भी तुष्टिकरण का साष्टांग समझौता ही कहूँगा ।

मैं यह भी पूछना चाहूँगा की मोदी जी ने 27 हिंदू पार्टकों की हत्या का बदला ऑपरेशन सिंदूर से कैसे ले लिया और कांग्रेस ने 2008 में इन्ही पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा 26 /11 कर 166 निर्दोष भारतीयों को मौत के घाट पहुंचाने के बाद कैसे पाकिस्तान और आतंकवादियों के सामने घुटने टेक आत्मसमर्पण किया था । सेना ने उस समय की कांग्रेस सरकार को कहा कि हम पाकिस्तान पर हमले के लिए तैयार हैं लेकिन तत्कालीन सरकार ने इजाजत नहीं दी । उसके विपरीत वर्तमान प्रधान मंत्री मोदी ने 27 निर्दोष हिंदुओं की हत्या के बाद तुरंत फौज को फ्री हैंड देकर बदला लेने को कह दिया । जिसका रिजल्ट हम सभी ने देख लिया है ।

आज हम 1947 और 1948 की तत्कालीन सरकार की विभाजन विभीषिकाओं की गलतियों का भुगतान 77 साल बाद भी लगातार कर रहें हैं । 22 अप्रैल की पहलगाम की घटना जिसमे 27 हिंदू पर्यटकों की निर्मम हत्या की गई भी उसी गलती का परिणाम थी ।

इस घटना के उपरांत प्रधानमंत्री मोदी ने संकल्प लिया की आतंकवादियों को दुनियाभर में चुनचुन कर , ढूँढ ढूँढ कर मारा जाएगा । जिन्होंने भारतीय माताओं के सिंदूर मिटाये थे उनका “ऑपरेशन सिंदूर “ के ज़रिए नाश किया जाएगा । इस ऑपरेशन का उद्देश्य आतंकवाद पर हमला करने तक ही सीमित था और वह पूरा भी किया गया ।

इस युद्धविराम की घोषणा के बहुत गहरे मायने हैं । इसे समझने के लिए वैश्विक राजनैतिक, आर्थिक दृष्टिकोण को समग्रता से ध्यान में रखना होगा ।

एक और तो ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत के अपनी सामरिक क्षमता, कुचलने का दृढ़ निश्चय का सफल प्रदर्शन कर दुश्मन के मन में सफलता पूर्वक भय उत्पन्न किया और विश्व को दिखा दिया दिया कि हमारी सहिष्णुता और शांत स्वभाव को किसी प्रकार की कमजोरी ना समझा जाए।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाक और पीओके में स्थित नौ आतंकवादियों के अड्डों को तहस नहस कर दिया, दो सौ से ज़्यादा दुर्दांत आतंकवादियों को 72 हूरों के पास पहुँचा दिया, पाकिस्तान के अंदर घुसकर उनके नों हवाई अड्डे तबाह कर दिए, 12 शहरों में तबाही के बम बरसा दिए और सबसे बड़ी बात पाकिस्तान के हज़ारों ड्रोन, मिसाइल और चार लड़ाकू विमान भारत के सुदर्शन (S-400 एयर डिफेंस सिस्टम) ने हमारे देश में पहुँचने से पहले ही हवा में मार गिराकर अपनी सुरक्षा करने की क्षमता का परिचय दिया जिसे देखकर दुनिया हैरान थी और हमारी सेनाओं की दुनिया भर में वाह वाही हुई।

युद्ध किसी भी देश की प्रगति और विकास में अवरोध पैदा करता है , अस्थिरता उत्पन्न करता है एवं अराजक तत्वों के सपनों को साकार करता है ।

इस समय भारत विश्व की तीसरी सबसे बढ़ी अर्थव्यवस्था बनने का दरवाज़ा खटखटा रहा है , इस समय लंबे समय तक युद्ध भारत को अपने बृहत्तर उद्देश्य से भटका सकता है । चीन जो अमेरिका की टैरिफ वॉर से बिलबिलाया हुआ है , वहाँ से कई देश बाहर निकलकर अपने उद्योग भारत में लगाने का विचार बनाकर भारत के विकास को गति देना चाह रहे है उसे देखकर भारत पाक युद्ध को देखकर चीन ख़ुश था की भारत में युद्ध से उत्पन्न वातावरण देखकर भारत में निवेश करने वाले देश अपना इरादा बदलकर चीन में ही टिके रहें । वह परेशान था कि बाईस अप्रैल की घटना से पहले अमेरीका के उप राष्ट्रपति भारत में पाँच सौ बिलियन डॉलर के व्यापार की बात करके गए, बीस यूरोप के देशों के प्रतिनिधि भी उसी समय भारत के साथ व्यापार बढ़ाने की बात करने भारत आये हुए थे ।

इसी श्रृंखला में कल युद्ध विराम को घोषणा के बाद चीन के उपप्रधानमंत्री मंत्री ने घोषणा की कि हम पाकिस्तान के साथ हैं (यानी युद्ध के साथ हैं) और साथ ही भारत की शक्ति देख भयभीत पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री डार ने भी कहा चीन हमारे साथ है लेकिन यह कहने की हिम्मत नहीं दिखा पाए की हम युद्ध विराम का पालन नहीं करेंगे । क्यूंकि यदि युद्ध कुछ दिन और चल जाता तो दुनिया के नक्शे से पाकिस्तान ही गायब हो सकता था । भारत का उद्देश्य यह कभी था ही नहीं वह तो सिर्फ आतंकवादियों को समाप्त करना चाहता था और वह कुछ हद तक कामयाब भी हुआ । वैसे देखा जाए तो सिर्फ पाकिस्तानी आवाम को छोड़कर वहां की सरकार, आईएसआई, फौज सभी वर्दीधारी आतंकवादी ही हैं भारत को अपने विकास का लक्ष्य प्राप्त कर एक ना एक दिन इनका सफाया करना ही होगा क्यूंकि स्वभात: पाकिस्तान इसका मौका हमें बार बार देगा , दुर्योधन का अहंकार पाकिस्तानी शासकों में प्रचूर मात्रा में है, झूठ, आतंक और अन्याय के साथ ही रहेंगे ।

मेरा मानना है की आज जब बारह बजे दोनों देशों के डीएमओ युद्धविराम को विस्तृत चर्चा करेंगे तो भारत को पाकिस्तान सरकार के पास इस इलाके में स्थायी शांति के लिए युद्ध विराम की कुछ शर्तें अवश्य रखनी चाहिये जैसे:
पाकिस्तान की तरफ़ से कोई भी आतंकवादी घटना युद्ध की घोषणा होगी और भारत आतंकवादियों के सफ़ाए के लिए स्वतंत्र होगा चाहें इसे पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध ही क्यूँ ना माना जाए ।

पाकिस्तान बचे कूचे आतंकी अड्डों को स्वयं समाप्त करेगा ।

भारत द्वारा वांछित कुख्यात आतंकवादियों जैसे हाफ़िज़ सईद, अज़हर मसूद, दाऊद इब्राहिम को भारत को सौंपेगा ।
इस युद्ध विराम से भारत के द्वारा सिंधु जल संधि, व्यापार बंद करने की घोषणा, बॉर्डर बंद करने की घोषणा, पाकिस्तानियों को निकालने की घोषणा, भारतीय बंदरगाह पाकिस्तान के लिए बंद करने , एयर स्पेस खोलने पर कोई बातचीत नहीं होगी , इस युद्ध विराम से उसका कोई मतलब नहीं होगा ।

आतंकवाद और आतंकवादियों की पूर्ण समाप्ति पर इन पर पुनर्विचार किया जा सकता है वरना यह युद्ध विराम अस्थायी है और भारतीय वायु सेना के अनुसार कहा गया वाक्य ऑपरेशन सिंदूर जारी है , यही यथार्थ है । पाकिस्तान आतंक का साथ छोड़ेगा नहीं और दुर्योधन की तरह युद्ध चाहेगा और हमें करना ही पड़ेगा , चीन को छोड़ पूरा विश्व आतंक समाप्त करने के लिए भारत के साथ हमेशा खड़ा रहेगा, लेकिन मोदी जी को भी देश को वायदा देना होगा यह पाकिस्तान को सुधरने का आखिरी मौका दिया है जा रहा है ।