
गोविन्द ठाकुर
… पहलगांव आतंकी हमले में मारे गये भारतीय सैलानियों के चिंता की आग अभी बूझी भी नहीं है कि सत्तापक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर पिल पड़े हैं… आखिर वे कब तक इस चिता की आग को ठंढा होने का ईंतजार करते.. उन्हें तो राजनीति करनी है..हो गए, चार दिन की झड़प काफी होती है, राजनीतिक मुददे तलाशने के लिए… नुकसान के बाद पाकिस्तान सरकार भी अपनी आवाम को डिंगे हांक रही है.. तो भारत भी अपनी विजय यात्रा पर है.. सरकार और उसकी पार्टी बीजेपी ने सीजफायर होते ही कंधे पर झंडा लेकर अपनी वीरगाथा सुना रही है तो विपत्र पिछे पिछे जय हिंद यात्रा करने जा रही है…मगर उसका क्या जिनके चिराग बुझ गए…
देश में राष्ट्रवाद की भावना उफान पर है। चारों तरफ यात्राओं की धूम है। भारतीय जनता पार्टी की तिरंगा यात्रा चल रही है तो कांग्रेस की जय हिंद यात्रा शुरू होने वाली है। इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी भी यात्रा करने वाली हैं। दूसरी पार्टियां भी यात्रा, जुलूस या किसी तरह के कार्यक्रम की तैयारी में हैं ताकि पाकिस्तान के खिलाफ हुई सैन्य कार्रवाई से लोगों के मन में जो देशभक्ति जगी है उसका राजनीतिक लाभ लिया जा सके। कोई भी पार्टी इसमें पीछे छूट जाने की जोखिम नहीं ले सकती है। इसलिए सबने अपने अपने कार्यक्रम तय किए हैं। शुरुआत भारतीय जनता पार्टी ने की। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस और दूसरी पार्टियां इस लिहाज में उलझी रहीं कि सेना की कार्रवाई पर राजनीति कैसे शुरू करें! तब तक भाजपा ने देश में भर में 11 दिन की तिरंगा यात्रा का ऐलान कर दिया। इसके बाद सबके लिए रास्ता खुल गया।
भाजपा की तिरंगा यात्रा देश में चल रही है। भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री आदि इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। इस यात्रा का मकसद देश के लोगों को यह बताना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अब बदल गया है और नया भारत घर में घुस कर मारता है। यह नैरेटिव तिरंगा यात्रा का है। इसके जवाब में कांग्रेस की जय हिंद यात्रा होने वाली है। बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई, जिसमें इसका फैसला हुआ। जय हिंद यात्रा में कांग्रेस सरकार और भाजपा पर हमलावर होगी। अभी तक कांग्रेस ने सरकार का समर्थन किया था लेकिन जय हिंद यात्रा में वह पहलगाम कांड में खुफिया व सुरक्षा तंत्र की विफलता और युद्ध के बीच अचानक अमेरिका की ओर से सीजफायर की घोषणा को मुद्दा बनाएगी। सेना के शौर्य की तारीफ और सरकार के फैसले की आलोचना होगी। भाजपा की तिरंगा यात्रा के बीच ही ममता बनर्जी दो दिन की यात्रा निकालेंगी। उन्होंने 17 और 18 मई को यात्रा की घोषणा की है। उसमें भारतीय सेना की बहादुरी की सराहना होगी और उनका आभार जताया जाएगा।कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सरकार के साथ एकजुटता दिखाई। 22 अप्रैल को हुए हमले के दो दिन बाद 24 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस की ओर से राहुल गंधी और मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों शामिल हुए।
दोनों ने बैठक में और बैठक के बाद भी कहा कि वे सरकार के हर कदम का साथ देंगे। पहलगाम हमले के बाद खुफिया और सुरक्षा चूक का मुद्दा उठा था लेकिन तुरंत उसे दबा दिया गया और विपक्षी पार्टियां सरकार के समर्थन में खड़ी हो गईं। उन्होंने कहा कि सरकार जो भी कदम उठाएगी, उसको उनका समर्थन होगा।
सरकार की ओर से सैन्य कार्रवाई में देरी हुई तो विपक्ष ने देरी का मुद्दा जरूर उठाया लेकिन सरकार का विरोध नहीं किया, बल्कि सभी पार्टियां सरकार का समर्थन करती रहीं। फिर छह और सात मई को ऑपरेशन सिंदूर के नाम से सैन्य कार्रवाई हुई, जिसका सभी दलों ने समर्थन किया। सबने सेना के शौर्य की प्रशंसा की और सेना के समर्थन में जुलूस निकाले।
लेकिन शनिवार, 10 मई को जब सीजफायर हो गया तो उसके बाद क्यों भाजपा और सरकार दोनों विपक्ष के समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं? तनाव और सैन्य कार्रवाई की अवधि में विपक्ष ने समर्थन किया। लेकिन जब तनाव खत्म हो गया और सीजफायर लागू हो गया तो समर्थन करने की अनिवार्यता या मजबूरी भी खत्म हो गई।
दूसरी बात यह है कि सीजफायर लागू होने के पहले ही जब सत्तापक्ष ने राजनीति शुरू कर दी तो फिर भाजपा के नेता विपक्ष से कैसे उम्मीद कर रहे हैं कि वह चुपचाप तमाशा देखे? आखिर कांग्रेस की पिछली सरकारों को खास कर मनमोहन सिंह को कठघरे में खड़ा करने का वीडियो तो भाजपा ने सीजफायर से पहले ही जारी किया था।
सीजफायर होने के बाद भाजपा ने पूरे देश में तिरंगा यात्रा शुरू कर दी। प्रधानमंत्री ने लगातार दो दिन देश को संबोधित किया और अपनी सरकार की जय जयकार की। एक बार भी उन्होंने विपक्ष की तारीफ नहीं की और न उसका धन्यवाद किया कि संघर्ष की अवधि में विपक्ष ने सरकार का साथ दिया था।
सीजफायर के बाद विपक्ष आक्रामक
सोचें, भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक और पार्टी के पदाधिकारी सड़कों पर तिरंगा यात्रा कर रहे हैं और दिल्ली में भाजपा के प्रवक्ता प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों पर सवाल उठा रहे हैं कि वे सरकार का समर्थन नहीं कर रहे हैं! दूसरी ओऱ विपक्षी पार्टियों का कहना है कि उनके समर्थन की समय सीमा थी।
जब तक पाकिस्तान के साथ तनाव चल रहा था और जब तक सैन्य कार्रवाई हुई तब तक विपक्ष पूरी तरह से सरकार के साथ खड़ा रहा। लेकिन उसके बाद जब भाजपा ने राजनीति शुरू कर दी तो विपक्ष को भी राजनीति करनी है। तभी विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाने और संसद का विशेष सत्र बुला कर उसमें चर्चा करने की मांग कर रहे हैं।
विपक्षी पार्टियां सीजफायर को लेकर भी सवाल पूछ रही हैं। उनका सवाल है कि सीजफायर की घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों की? विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस पर सफाई दी लेकिन उन्होंने भी न तो अमेरिका का नाम लिया और न राष्ट्रपति ट्रंप का जिक्र किया। सरकार की इस सफाई के बाद भी ट्रंप ने अपनी बात दोहराई है कि उन्होंने व्यापार रोकने की धमकी देकर दोनों देशों को सीजफायर के लिए तैयार किया। तभी विपक्ष इसे लेकर हमलावर है। विपक्ष के समर्थन देने की डेडलाइन समाप्त हो चुकी है और सरकारर को हमले के लिए तैयार रहना चाहिए।