
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद NIA ने देशभर में 25 ISI एजेंटों को गिरफ्तार किया है, जो देश की सुरक्षा पर मंडराते खतरे की गंभीरता को उजागर करता है। कैथल से देवेंद्र सिंह, हिसार से ज्योति मल्होत्रा, दिल्ली से जमशेद और कैराना से नोमान इलाही जैसे लोगों ने गद्दारी की सीमाएं लांघते हुए देश की संवेदनशील जानकारियाँ दुश्मनों तक पहुंचाईं। ये मामले केवल कानूनी अपराध नहीं हैं, बल्कि नैतिक पतन और राष्ट्रीय विश्वासघात के भी प्रतीक हैं। धार्मिक यात्राओं से लेकर सोशल मीडिया तक, इन एजेंटों ने देश में विभाजन और अराजकता फैलाने की साजिशें रचीं। ऐसे मामलों से यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्र के भीतर छिपे गद्दारों का नेटवर्क न केवल बाहरी खतरों से बड़ा है, बल्कि आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती है।
- डॉ सत्यवान सौरभ
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम (Ceasefire) के बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पूरे देश में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 25 ISI एजेंटों को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी अभियान अभी भी जारी है और यह घटनाक्रम देश की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
कैथल से देवेंद्र सिंह, हिसार से ज्योति मल्होत्रा, दिल्ली से जमशेद, और कैराना से नोमान इलाही को देश के खिलाफ गद्दारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इन चारों ने अपने-अपने तरीकों से देश की सुरक्षा में सेंध लगाने का प्रयास किया, जो न केवल कानूनी अपराध है बल्कि नैतिक पतन का प्रतीक भी है।
देवेंद्र सिंह: ऑपरेशन सिंदूर का विश्वासघात
कैथल से गिरफ्तार देवेंद्र सिंह पर आरोप है कि उसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई संवेदनशील जानकारियाँ ISI को दीं। यह व्यक्ति दो साल पहले पाकिस्तान के सिख धार्मिक स्थल ‘ननकाना साहिब’ की यात्रा पर गया था, जहाँ इसकी मुलाकात ISI एजेंटों से हुई। इसके बाद से यह धार्मिक यात्रा की आड़ में बार-बार ननकाना साहिब जाकर गुप्त सूचनाएँ साझा करता रहा। हाल ही में, इसके पास से पंजाब के पठानकोट एयर बेस की खुफिया तस्वीरें भी बरामद की गई हैं, जो इसकी गहरी साजिश का प्रमाण हैं।
यह घटना केवल एक व्यक्ति की गद्दारी तक सीमित नहीं है। देवेंद्र सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के समय कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ ISI तक पहुंचाई, जिनमें सैन्य ठिकानों की जानकारी और सामरिक योजनाओं के नक्शे शामिल हैं। यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय सैनिकों की जान खतरे में डालने वाला कदम भी है। ऐसे में सवाल उठता है कि धार्मिक यात्राओं की आड़ में किस हद तक गुप्तचरी संभव है और इसे कैसे रोका जाए।
ज्योति मल्होत्रा: यूट्यूब के पीछे छिपा विश्वासघात
हिसार से गिरफ्तार ज्योति मल्होत्रा ने तो गद्दारी की सभी हदें पार कर दीं। ISI इसके यूट्यूब पेज के सब्सक्राइबर्स बढ़ाने के लिए पैसे देती थी, ताकि इसे एक बड़ी यूट्यूबर बनाया जा सके। इसके जरिए यह देश में मानसिक युद्ध (Psychological Warfare) छेड़ने की योजना बना रही थी, ताकि भारत के युवाओं के दिमाग में जहर घोला जा सके।
ज्योति का यूट्यूब चैनल शुरू में सामान्य कंटेंट से भरा था, लेकिन जल्द ही यह ISI के हाथों में एक प्रोपेगेंडा टूल बन गया। इसके चैनल पर धीरे-धीरे भारत विरोधी और सांप्रदायिक कंटेंट बढ़ने लगा, जिससे इसे एक मानसिक युद्ध छेड़ने वाले एजेंट के रूप में तैयार किया गया। ISI इसे एक प्रभावशाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बनाने का इरादा रखती थी, जो भविष्य में देश के युवाओं को बरगलाने का काम कर सके।
जमशेद: सरकारी सेवा में घुसपैठ
दिल्ली से गिरफ्तार जमशेद एक सरकारी कर्मचारी था, जिसने अपने पद का दुरुपयोग कर संवेदनशील जानकारी दुश्मनों तक पहुँचाई। यह मामला और भी गंभीर इसलिए हो जाता है क्योंकि इसने सरकारी पद का लाभ उठाकर देश की सुरक्षा से समझौता किया।
सरकारी सेवा में होने के बावजूद, जमशेद ने ISI से संपर्क बनाए रखा और नियमित रूप से महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा करता रहा। इसने कई बार संवेदनशील दस्तावेजों की तस्वीरें खींचकर ISI को भेजी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। सरकारी कर्मचारियों द्वारा ऐसी गद्दारी न केवल विश्वासघात है, बल्कि सरकारी तंत्र की सुरक्षा खामियों की ओर भी इशारा करता है।
नोमान इलाही: नफरत का सौदागर
कैराना से गिरफ्तार नोमान इलाही पर आरोप है कि वह फर्जी खातों के जरिए ISI से पैसे प्राप्त करता था। इन पैसों का उपयोग वह कैराना और आसपास के मुस्लिम युवाओं को भड़काने के लिए करता था, जिससे समाज में सांप्रदायिक नफरत का माहौल पैदा हो। इसके नेटवर्क में कुल 5 लोग शामिल थे, जो अब जेल में हैं।
नोमान इलाही ने सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स का उपयोग करके नफरत फैलाने का एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया था। इसके जरिए वह युवाओं के बीच धार्मिक कट्टरता और भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दे रहा था। इसके फर्जी खातों के जरिए लाखों रुपये ISI से आते थे, जो इसे अपने नफरत के एजेंडे को बढ़ाने में मदद करते थे।
देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक संकेत
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि देश के भीतर गद्दारों का एक संगठित नेटवर्क सक्रिय है, जो बाहरी दुश्मनों को अंदर से समर्थन दे रहा है। ये वही लोग हैं जो आतंकियों को अंदर की खबरें मुहैया कराते हैं और देश में आतंक फैलाने में उनकी मदद करते हैं।
कड़ी सजा की जरूरत
इन घटनाओं से साफ है कि देश की सुरक्षा केवल सीमाओं पर तैनात सैनिकों से ही नहीं, बल्कि आंतरिक सुरक्षा और नागरिक निष्ठा पर भी निर्भर करती है। ऐसे गद्दारों का समय पर बेनकाब होना जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई भी देश के साथ गद्दारी करने की हिम्मत न कर सके। इन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि यह संदेश जाए कि राष्ट्र से विश्वासघात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे अपराध न केवल देश की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं, बल्कि समाज की एकता और अखंडता को भी कमजोर करते हैं। जागरूक नागरिक ही एक मजबूत राष्ट्र की नींव होते हैं, और गद्दारों को कुचलने का संकल्प ही सच्ची देशभक्ति है।
इस स्थिति से निपटने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है। ऐसे गद्दारों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए। इन पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी देश के साथ गद्दारी करने की हिम्मत न कर सके।
देश की सुरक्षा केवल सीमाओं पर तैनात सैनिकों से ही नहीं, बल्कि आंतरिक सुरक्षा और नागरिकों की निष्ठा पर भी निर्भर करती है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम अपने समाज को जागरूक करें और गद्दारों को समय रहते बेनकाब करें।
यह समय है कि देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए और किसी भी प्रकार की गद्दारी को सख्ती से कुचला जाए। एक जागरूक और सतर्क समाज ही एक मजबूत राष्ट्र की नींव है।