
अशोक भाटिया
कोरोना वायरस ने रूप बदलकर एक बार फिर से दस्तक दे दी है। सिंगापुर और हांगकांग में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी होने से भारत के लोग डरे हुए हैं। कोरोना का नाम सुनते ही हर किसी के जहन में फिर से साल 2020-21 की वो खौफनाक यादें ताजा हो उठती हैं, जिनको सोचने मात्र से ही रूह कांप जाए। एक बार फिर से केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में कोरोना मरीज तेजी से बढ़ने लगे हैं। मुंबई के केईएम अस्पताल में दो कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद शहर में सतर्कता बढ़ा दी गई है। स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। पिछले कुछ महीनों से देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमती नजर आ रही थी। लोग राहत की सांस ले ही रहे थे कि, दो लोगों की मौत ने फिर से चेतावनी की घंटी बजा दी है। एक बार फिर कोविड-19 बता दिया है कि, ने उसे नजरअंदाबज करना भारी पड़ सकता है।
बताया जाता है कि हांगकांग में पिछले 10 हफ्तों में हर वीक कोविड केस 30 गुना से अधिक बढ़ गए हैं। लेकिन ये उछाल सिर्फ हांगकांग तक सीमित नहीं है। सिंगापुर में भी एक हफ्ते में करीब 30 फीसदी केस बढ़े हैं। चीन और थाईलैंड से भी कोविड के बढ़ते मामलों की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं।हांगकांग ने 10 मई 2025 को खत्म हुए हफ्ते में कुल 1,042 कोविड केस रिपोर्ट किए। उससे पिछले हफ्ते ये आंकड़ा 972 था। मार्च की शुरुआत में यहां हफ्ते के सिर्फ 33 केस थे। यानी मार्च से लगातार केस बढ़ते जा रहे हैं।
सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि यहां पॉजिटिविटी रेट लगातार बढ़ रही है। 1 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में पॉजिटिविटी रेट सिर्फ 0.31% थी। ये 5 अप्रैल तक 5.09% हो गई और 10 मई को खत्म हुए हफ्ते में बढ़कर 13.66% तक पहुंच गई।कोरोना का नया वेरिएंट JN.1 कितना खतरनाक है, ये अब तक साफ नहीं हो सका है। अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा कोई सबूत अब तक मिला नहीं है जिससे ये कहा जा सके कि ये वेरिएंट पहले से ज्यादा खतरनाक है। या फिर ये ज्यादा तेजी से फैल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि कमजोर इम्यूनिटी वालों को थोड़ा संभलकर रहने की जरूरत है। ऐसे लोगों को ये आसानी से अपना निशाना बना सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस पर एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक सोमवार को बुलाई थी। बैठक में देश में मौजूदा कोविड-19 की स्थिति की विस्तार से समीक्षा की गई। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कोरोना की स्थिति कंट्रोल में है। 19 मई तक भारत में कोरोना के 257 एक्टिव मामले पाए गए। ये आंकड़ा देश की बड़ी आबादी को देखते हुए बहुत कम है। मुंबई में 2 मरीजों की जान भी संक्रमण से जा चुकी है। भारत में कोरोना के ज्यादातर केस केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से मिले हैं। हालांकि, भारत में JN-1 कोरोना वेरिएंट के सर्कुलेट होने की अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पीटीआई ने एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से कहा, ” देश में पाए गए कोरोना के मामलों में लगभग सभी मामले हल्के हैं, इससे अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आश्वासन के बावजूद देखा जाय तो कोरोना वायरस आम से खास लोगों तक भी पहुंच गया है। हाल ही में बिग बॉस 18 में नजर आईं एक्ट्रेस शिल्पा शिरोडकर कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं। शिल्पा ने अपने इंस्टाग्राम के जरिए अपने फॉलोअर्स से अलर्ट रहने की अपील की। उन्होंने लोगों से सुरक्षित रहने और मास्क पहनने की अपील की है। मुंबई में तो पिछले तीन महीनों में मुंबई में हर महीने औसतन 7 से 10 नए कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए जा रहे हैं, जो भले ही संख्या में कम हैं, लेकिन इनको पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। खासकर तब जब एशिया के कुछ देशों जैसे हांगकांग और सिंगापुर में कोरोना संक्रमण एक बार फिर तेजी से फैल रहा है।
बताया जाता है कि जो लोग पहले कोरोना वैक्सीन ले चुके हैं, उनके लिए भी कोरोना के नए वेरिएंट JN।1 का खतरा है। एक स्टडी के मुताबिक, JN1 का असर इम्यून सिस्टम पर न हो, ये कहना मुश्किल है। पहले की वैक्सीनें या इन्फेक्शन से बनी एंटी बॉडीज इसके खिलाफ कम प्रभावी हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि XBB.1।5 मोनोवैलेंट बूस्टर डोज JN1 वेरिएंट से लड़ने में मददगार है। WHO के मुताबिक, इस बूस्टर वैक्सीन को खासकर ओमिक्रॉन के XBB1.।5 सब-वेरिएंट के लिए बनाया गया है। इसेस शरीर में एंटीबॉडीज बढ़ती हैं। ये डोज JN1 से होने वाली बीमारी को 19% से 49% तक रोक सकती है।
हांगकांग सरकार ने लोगों से साफ तौर पर कहा है कि सभी लोग खुद को सुरक्षित रखने के लिए पर्सनल और आस-पास की सफाई का ध्यान रखें। ताकि खुद को और दूसरों को कोविड से बचाया जा सके।कोविड केस बढ़ने के बाद हांगकांग सरकार ने खासतौर पर जिन्हें पहले से कोई बीमारी है या जिनकी इम्युनिटी कमजोर है, ऐसे हाई-रिस्क लोगों को सलाह दी है कि वे पिछली डोज़ या संक्रमण के कम से कम 6 महीने बाद एक और कोविड वैक्सीन की डोज जरूर लें। चाहे उन्होंने पहले कितनी भी डोज क्यों न ली हों।
सिंगापुर में कोविड केस 27 अप्रैल को खत्म हुए हफ्ते में 11,100 थे, जो 3 मई के हफ्ते में बढ़कर 14,200 हो गए। यानी एक हफ्ते में करीब 30% का उछाल। यही नहीं, अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी रोज औसतन 102 से बढ़कर 133 हो गई है। ये आंकड़े सिंगापुर सरकार के हैं।सरकार का कहना है कि ये उछाल कई वजहों से हो सकता है। जैसे कि लोगों में वैक्सीन से बनी इम्युनिटी का धीरे-धीरे कम हो जाना। इस वक्त सिंगापुर में जो कोविड वेरिएंट सबसे अधिक फैल रहे हैं, वो हैं LF।7 और NB।1।8। दोनों JN।1 वेरिएंट की ही अगली पीढ़ी हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि JN।1 वेरिएंट ही मौजूदा कोविड वैक्सीन बनाने में इस्तेमाल हुआ था।थाईलैंड में भी हाल ही में छुट्टियों के बाद कोविड केस तेजी से बढ़े हैं। इस साल अब तक वहां 71,067 केस और 19 मौतें रिपोर्ट की जा चुकी हैं।
एशिया के 2 देशों हांगकांग और सिंगापुर में कोरोना के मामले जहां तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं भारत में भी अब डराने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। इस आंकड़े ने एक बार फिर से पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है।सिंगापुर में जहां मामलों की संख्या में 28% की वृद्धि हुई है, वहीं, हांगकांग में सिर्फ एक सप्ताह में 31 गंभीर मामले दर्ज किए गए हैं। सिंगापुर को हाई अलर्ट पर रखा गया है, क्योंकि कोविड-19 मामलों की अनुमानित संख्या 14,200 हो गई है। अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में भी लगभग 30% की वृद्धि देखी गई।
वहीं, भारत में बढ़ते कोरोना के मामले पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि फिलहाल मामला कंट्रोल में है। बीते सोमवार को स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक की अध्यक्षता में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, आपातकालीन चिकित्सा राहत प्रभाग, आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और केंद्र सरकार के अस्पतालों के विशेषज्ञों की समीक्षा बैठक हुई।
स्वास्थ्य मंत्रालयएक अधिकारी ने कहा कि लगभग सभी मामले हल्के हैं, जिनमें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है। अधिकारी ने कहा कि हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। देश में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) और ICMR के माध्यम से कोरोना सहित वायरल श्वसन बीमारियों की निगरानी के लिए एक मजबूत प्रणाली है।देश में अधिकतर लोगों ने कोरोना से बचाव के लिए अपना वैक्सीनेशन पूरा करा लिया है। लेकिन वैक्सीनेशन कोरोना के इस नए वेरिएंट से कितना बचाव करता है। इसका जवाब देते हुए डॉ। श्रेय श्रीवास्तव, कहते हैं कि वैक्सीन लगवा चुके लोगों का संक्रमण का खतरा काफी कम है। लेकिन फिर भी सावधानी जरूर रखनी चाहिए। वैक्सीन लेने से वायरस से संक्रमण में आने वाले गंभीर लक्षणों का खतरा टल जाता है।
अगर आप भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जा रहे हैं तो मास्क पहनना जरूरी है। चाहे मॉल हो, मेट्रो हो या स्कूल में बच्चों को छोड़ने जा रहे हों।साबुन से हाथ धोना या सैनिटाइज़र का इस्तेमाल एक छोटी-सी आदत है, लेकिन इसका असर बहुत बड़ा है। वायरस को फैलने से रोकने के लिए यह बुनियादी सावधानी जरूरी है।सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियां अलर्ट पर हैं, लेकिन सबसे बड़ी जिम्मेदारी आम जनता की है। हमें खुद को और अपनों को सुरक्षित रखने के लिए फिर से सतर्कता बरतनी होगी।जब तक हालात पूरी तरह सामान्य न हों, कोशिश करें कि भीड़ वाली जगहों पर न जाएं। सामाजिक दूरी आज भी उतनी ही जरूरी है जितनी पहले थी।अगर आपने अब तक बूस्टर डोज़ नहीं लगवाई है, तो देरी मत कीजिए। वैक्सीन संक्रमण को रोकने में सहायक है और गंभीर लक्षणों से भी बचाती है।बुखार, खांसी, गले में खराश या थकान, ये सब कोरोना के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में खुद को आइसोलेट करें और टेस्ट जरूर कराएं।
साथ ही इन लक्षणों को पहचानें और खुद को बचाकर रखें जैसे हल्का बुखार या गले में खराश हो तो सतर्क हो जाएं, नाक बंद या बहना शुरू हो गई है तो खुद पर ध्यान दें,सिरदर्द और बदन में दर्द हो तो डॉक्टर से पास जाएं, थकान महसूस होना भी कोरोना के लक्षण हैं,सूखी खांसी या सांस लेने में तकलीफ होना कोरोना के लक्षण हैं।
कोरोना से डरने की नहीं, लेकिन सावधान रहने की जरूरत है। हमने पहले भी मिलकर इस वायरस को हराया है और अब भी वही एकजुटता और जिम्मेदारी जरूरी है। इस बार भी जीत हमारी ही होगी, अगर हम लापरवाही नहीं करेंगे। कोरोना कहीं गया नहीं है, बस हमारी नजर से ओझल हो गया था। अब जब वह फिर सामने है तो हमें भी फिर से तैयार होना होगा।
अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार