ओमिक्रॉन का नया वेरिएंट: जागरूकता सबसे बड़ा हथियार !

Omicron's new variant: Awareness is the greatest weapon!

सुनील कुमार महला

यह चिंताजनक है कि हम अभी तक कोविड-19(कोविड महामारी) द्वारा मचाई गई तबाही को भूले भी नहीं हैं, कि भारत समेत एशिया के कुछ देशों में कोरोना के केस फिर से बढ़ने लगे हैं। गौरतलब है कि चीन, सिंगापुर, हांगकांग और थाईलैंड में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसकी वजह है ओमिक्रॉन का नया वेरिएंट जेएन.1, जो बहुत जल्दी फैलता है और अब इसका असर दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि संक्रमण के लिए ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट जेएन. 1 और उसके सब-वेरिएंट्स एलएफ 7 और एनबी 1.8 को जिम्मेदार माना जा रहा है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण तीसरी लहर में मामले बढ़े थे, लेकिन यह दूसरी लहर की तुलना में कम घातक थी। उस समय मृत्यु दर केवल 0.2 प्रतिशत थी। बहरहाल, चिकित्सकों का यह कहना है कि कोविड-19 का ये वायरल हर साल म्यूटेट हो जाता है और अभी इस वायरस के गंभीर होने की स्थिति नहीं दिख रही है। वास्तव में,अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह लगे कि नए वेरिएंट पहले से ज्यादा खतरनाक या तेजी से फैलने वाले हैं। फिर भी यह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले समूहों मसलन बुजुर्गों और बच्चों के लिए परेशानी पैदा करने वाला हो सकता है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि इस साल, 2025 की शुरुआत में दो मुख्य वेरिएंट दुनिया भर में फैल रहे हैं एलपी .8.1 और एक्सईसी। पिछले कुछ हफ्तों में एशिया में कोविड-19 के इस नए वेरिएंट के मामलों में तेज़ी आई है। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत दुनिया की एक बड़ी आबादी वाला देश है। इतने बड़े देश में हाल फिलहाल कोरोना मामलों की संख्या मामूली लग सकती है लेकिन भारत को इस वायरस से सतर्क रहने की आवश्यकता है। हालांकि यह बात अलग है कि हमारे देश में हाल फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन इस पर लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि भारत के केरल, गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और दिल्ली में नए मामलों में इजाफा हुआ है, लेकिन अच्छी बात यह है कि हम वैश्विक घटनाक्रम को देखते हुए पूरी तरह से इस वायरस के प्रति सचेत और जागरूक हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि हमारी सरकारें और हमारे देश का स्वास्थ्य विभाग लगातार इस वायरस के प्रति सतर्कता बरत रहे हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार केरल में 182 सक्रिय मामले हैं, जिसमें कोट्टायम, एर्नाकुलम और तिरुवनंतपुरम जैसे जिले प्रमुख हैं, वहीं पर तमिलनाडु में 66 और महाराष्ट्र में 56 मामले हैं। बहरहाल, पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि कोरोना का प्रभाव समय के साथ फीका पड़ चुका है और वायरस कमजोर हो गया है, लेकिन रोग और दुश्मन को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए। ये कभी भी घातक और खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं। आज बढ़ते कोरोना के मामलों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रहीं हैं तो राज्यों के अस्पतालों को लगातार अलर्ट रहने के निर्देश जारी किए जा रहे हैं।स्वास्थ्य विभाग भी समय-समय पर एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों से सतर्क व जागरूक रहने की अपील कर रहा है और भीड़भाड़ वाली जगहों से बचने, प्रार्थना-सभाओं, पार्टियों, और सामाजिक आयोजनों को फिलहाल स्थगित रखने की सलाह दी गई है। सरकार और निजी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज , पैथोलॉजी लैब को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं।अस्पतालों में बेड रिजर्व किए गए हैं। नया सब-वेरिएंट से पता चलता है कि वायरस अपना रूप बदलने और खुद को ढालने में सक्षम है, इसलिए इससे सतर्क रहना बहुत जरूरी है। बचाव ही सबसे बड़ा इलाज भी है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज हम सभी वायरस की दुनिया में सांस ले रहे हैं।इस साल अब तक भारत में कोरोना के 257 मामले सामने आ चुके हैं। अतः आज जरूरत इस बात की है कि हम वायरस के नए रूपों में सामने आने के साथ ही नई टीकाकरण नीति को अपनाएं। आज दुनिया के अनेक विकसित देश टीके की बूस्टर खुराक हर साल लगाने की पेशकश कर रहे हैं। हमारे देश में भी इस पर विचार किया जाना चाहिए। जागरूकता तो सबसे बड़ा हथियार है ही।