कौन होगा यूपी का अगला डीजीपी, कई नामों की चर्चा

Who will be the next DGP of UP, many names are being discussed

अजय कुमार

उत्तर प्रदेश पुलिस के तेजतर्रार 1990 बैच के आईपीएस अधिकार और मौजूदा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) इस माह की 31 मई को रिटायर्ड हो रहे हैं। प्रशांत कुमार के अलावा डीजी जेल के पद पर तैनात इसी बैच के आईपीएस अधिकारी पीवी रामाशास्त्री व डीजी टेलीकॉम डॉ. संजय एम. तरडे का सेवाकाल भी 31 मई को पूरा हो जाएगा,लेकिन सबसे अधिक चर्चा नये डीजीपी के नाम को लेकर ही हो रही है। वैसे अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं कि प्रशांत किशोर का कार्यकाल छहः माह के लिये बढ़ाया भी जा सकता है। डीजीपी प्रशांत कुमार (जो पूर्णकालिक नहीं थे) का इस माह सेवाकाल पूरा हो रहा है और उनके बाद भी प्रदेश में पूर्णकालिक डीजीपी की तैनाती की उम्मीदें कम हैं। दरअसल, योगी सरकार ने पिछले वर्ष डीजीपी के चयन के लिए पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 को मंजूरी प्रदान की थी, लेकिन इसके लिये अभी तक समिति का गठन नहीं हो पाया है। इन परिस्थितियों में प्रदेश में लगातार पांचवीं बार कार्यवाहक डीजीपी की ही संभावना अधिक नजर आ रही है।

गौरतलब हो, 11 मई, 2022 से उत्तर प्रदेश में अस्थाई डीजीपी तैनात किए जाते रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने 11 मई, 2022 को तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल को हटा दिया था, उनकी जगह तत्कालीन डीजे इंटेलिजेंट डॉक्टर डीएस चैहान को अस्थाई डीजीपी बनाया गया था. उनके बाद 2 महीने के लिए आरके विश्वकर्मा को अस्थाई डीजीपी बनाया गया. उनके हटने के बाद विजय कुमार को चार्ज दिया गया. विजय कुमार के रिटायर होने के बाद प्रशांत कुमार को अस्थाई डीजीपी बनाया गया. 1 फरवरी 2024 से प्रशांत कुमार उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी हैं. प्रशांत कुमार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी माना जाता है. 2017-18 में उन्होंने पहली बार सुर्खियां बटोरीं जब कांवड़ यात्रा के दौरान हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा की. मेरठ जोन के एडीजी रहते हुए उन्होंने अपराधियों पर सख्ती दिखाई. अतीक अहमद से लेकर मुख्तार अंसारी तक पर कार्रवाई के बाद वह ‘ठोक दो’ नीति के चेहरे के रूप में उभरे.

हालांकि, विपक्षी दलों खासकर समाजवादी पार्टी ने उनके कार्यकाल पर लगातार सवाल उठाए. मंगेश यादव एनकाउंटर, इलाहाबाद में सोना व्यापारी के घर लूट समेत कई मामलों पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी पुलिस को घेरा और डीजीपी पर जातिगत भेदभाव के आरोप लगाए. सपा प्रमुख अखिलेश यादव प्रदेश के डीजीपी पद पर स्थायी नियुक्ति नहीं होने का मुद्दा भी उठाते रहे हैं. इसको लेकर उन्होंने कई बार योगी सरकार को घेरा.

बात प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार की कि जाये तो कहा जा रहा है कि वर्ष 2017 में भाजपा सरकार के गठन के बाद नियुक्त किए गए पहले डीजीपी सुलखान सिंह को भी सेवा विस्तार प्रदान किया गया था।इसी लिये प्रशांत कुमार के भी सेवा विस्तार की उम्मीद बंधी है। सूत्रों के अनुसार, प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार न मिलने की दशा में 1990 बैच के ही डीजी होमगार्ड के पद पर तैनात बीके मौर्य व एमके बशाल को भी कार्यवाहक डीजीपी बनने का अवसर मिल सकता है। हालांकि, इसी बैच के संदीप सांलुके, दलजीत सिंह चैधरी व रेणुका मिश्रा भी वरिष्ठता सूची में आगे हैं। प्रशांत कुमार वरिष्ठता क्रम में इनसे पीछे थे। प्रशांत कुमार के बाद वरिष्ठता सूची में 1990 बैच की ही आईपीएस अधिकारी तिलोत्तमा वर्मा हैं, जिनका सेवाकाल नवंबर माह तक है।

अगले डीजीपी पद के दावेदार के रूप में 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी केंद्र में डीजी एसपीजी के पद पर तैनात आलोक शर्मा व डीजी विजिलेंस राजीव कृष्ण को भी प्रबल दावेदार माना जा रहा है। बता दें वर्तमान सरकार में अब तक आठ डीजीपी बने हैं। 24 अप्रैल, 2017 को सबसे पहले सुलखान सिंह डीजीपी बने थे, जिन्हें एक सेवा विस्तार भी मिला था। उनके बाद ओपी सिंह, हितेश चंद्र अवस्थी व मुकुल गोयल पूर्णकालिक डीजीपी के रूप में तैनात रहे। जबकि डॉ. देवेन्द्र सिंह चैहान, डॉ. आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार व प्रशांत कुमार कार्यवाहक डीजीपी बने।उधर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में यह कह कर हलचल बढ़ा दी कि अगला डीजीपी ’सिंह’ होगा. यह बयान जातिगत संकेतों और प्रशासनिक नियुक्तियों में कथित भेदभाव के आरोपों की ओर इशारा करता है. विपक्ष लगातार ठाकुर बिरादरी की नियुक्तियों पर सवाल उठा रहा है. पुलिस महकमा इन आरोपों को खारिज कर चुका है और जातिवार तैनाती का डेटा भी सार्वजनिक किया गया है.