नेता डींग हांकना बंद करेंगे?

अरुण कुमार चौबे

इस समय मध्यप्रदेश में नगर पालिका और नगर निगम के चुनावों का प्रचार चल रहा है. काँग्रेस और भाजपा के साथ-साथ आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय सहित अन्य दलों के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. मुख्य मुकाबला काँग्रेस और भाजपा के बीच में है. चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस और भाजपा के नेता एक दूसरे से बढ़कर दावै कर रहे हैं.एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. अपनी-अपनी जीत का पक्का दावा कर रहे हैं. जबकि सत्य यह है कि शत प्रतिशत सीटें न काँग्रेस जीत सकती है ना ही भाजपा जीत सकती है. जीत काँग्रेस की भी होगी और भाजपा की भी होगी. हार भी काँग्रेस और भाजपा दोनों की ही होगी. मुख्यमंत्री और मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष कह रहे हैं कि हम पूरे मध्यप्रदेश के नगर निगम और नगर पालिका जीत रहे हैं तो काँग्रेस के नेता कमलनाथ भी दावा कर रहे हैं कि हम सभी नगर निगम और नगर पालिका जीत रहे हैं. दोनों ही राजनीतिक दलों का दावा कोरी डींग हांकने के अलावा कुछ भी नहीं है. दोनों ही दलों का दावा कोरा और खोखला है. यदि हार पहनने पहनाने से चुनावों की जीत तय हो रही होती तो कोई बात ही नहीं थी. चुनाव मतदाता करते हैं मतदान से पहले सोच समझ कर वोट डालते हैं. तब चुनाव परिणाम आता और पता चलता है कौन कितने पानी में है. तब बढ़ चढ़ कर दावा करने वाले दिखाई नहीं देते हैं. जीतने वाला जशन मनाता है और हारने वाले हाथ मलते हैं और सिर धुनते हैं. नेता कोरी डींग मारने के बजाय ये भी तो कह सकते हैं कि हम जीतने का प्रयत्न करेंगे. परिणाम आता है तो पक्ष और विपक्ष दोनों ही उभर कर आते हैं. ऐसा सभी प्रकार के चुनावों में होता है. यदि भाजपा का दावा मान लिया जाय तो लोकसभा की सभी 542 सीटें और सारे देश की सभी विधानसभा की सीटें भाजपा ही जीतेगी और विपक्ष का नामो निशान नहीं रहेगा. सत्य यह है कि प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ-साथ कई छोटे बड़े दल और निर्दलीय प्रत्याशी भी जीत कर आते हैं. यदि बहुमत में कमी पड़ती है तो जिन्हें तुच्छ समझा जाता है उन्हीं की करोड़ों में सौदेबाजी करके बहुमत बनाया जाता है. कई बार बगावत करने वाले सत्ता दिला देते हैं. राजनीति में कुछ भी हो सकता है. इसे सभी नेता जानते हैं इसके बाद भी डींग मारने से बाज नहीं आते हैं.जब मध्यप्रदेश में 28 सीट पर उपचुनाव हुआ था तब कमलनाथ ने कहा था कि काँग्रेस सभी 28 सीटें जीत रही है. क्या होने वाला या क्या हो सकता है ये सभी नेताओं को मालूम है इसके बाद भी झूठ बोल कर देश को भ्रमित करने का काम नेता करते हैं. सभी 16 नगर निगम ना तो भाजपा जीत सकती है ना काँग्रेस जीत सकती है मिलाजुला परिणाम आने की संभावना हो सकती है. यही चुनावों का यथार्थ है. श्री रामचरितमानस की चौपाई अक्षरशः सही है कि ” झूठ ही लेना झूठ ही देना, झूठ ही भोजन झूठ चबैना”.चुनाव ही एक संवैधानिक प्रक्रिया हो वोट डालना हमारी मजबूरी हो परंतु नेता अपनी-अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं.