पिंक सिटी जयपुर की वॉल सिटी के विश्व धरोहर स्थलों पर संरक्षण का संकट

Conservation crisis looms over World Heritage sites of the Pink City Jaipur's Walled City

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

पूरे विश्व में अपने नगर नियोजन और वास्तुकला के लिए मशहूर रहे राजस्थान की राजधानी जयपुर की वाल सिटी के विश्व धरोहर स्थलों पर आसन्न खतरों की मीडिया में आ रही खबरें चिंतनीय है।

कुछ वर्षों पूर्व जब यूनेस्को ने ऐतिहासिक शहर पिंक सिटी जयपुर के परकोटे को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया, तो पूरे राजस्थान और शहर वासियों ने गर्व से सिर ऊंचा किया था। वो क्षण न केवल जयपुरवासियों के लिए बल्कि समूचे राजस्थान और भारत के लिए ऐतिहासिक दिन था। लेकिन,महज छह सालों में पिंक सिटी जयपुर की वॉल सिटी के विश्व धरोहर स्थलों पर संरक्षण का संकट मंडराना निश्चित रूप से सोचनीय है। विश्व में जितने भी ऐतिहासिक स्थल है उन्हें सलीके से मेंटेन किया जाता है और यहीं कारण है कि पूरे यूरोप और अमरीका सहित विश्व के अनेक प्राचीन और पुरातत्व महत्व के स्थल पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र है और उनसे प्रतिवर्ष उन देशों को करोड़ों एवं खरबों की आमदनी भी हो रही है।

राज्य सरकार ने जयपुर शहर के ऐतिहासिक स्थानों के संरक्षण,रख रखाव और सौंदर्यीकरण के लिए हर संभव प्रयास किए है लेकिन नागरिकों की भी यह जिम्मेदारी है कि वे पुरातत्व के महत्व को समझे तथा अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को आगे आकर स्वयं समझें। उन्हें यह समझना जरूरी है कि वे इन ऐतिहासिक धरोहरों के बेशकीमती महत्व को समझे तथा इन धरोहरों को बचा कर रखें। यदि ये धरोहर सुरक्षित रहेंगी तो उनके लिए लाखों एवं करोड़ों रु की आमदनी का स्त्रोत साबित होंगी।

दरअसल जयपुर का पूरी दुनिया में अपना एक अलग ही महत्व है। ब्रिटेन शासन काल में ही जयपुर को पिंक सिटी गुलाबी नगर की उपमा दी गई थी। आजादी के बाद भी जयपुर देशी विदेशी पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण का केन्द्र बना रहा तथा भारत में आने वाला हर तीसरा पर्यटक दिल्ली जयपुर आगरा गोल्डन ट्राई एंगल पर्यटन त्रिकोण का आवश्यक अंग बन गया तथा आज भी जयपुर का यह स्थान बरकरार है।

ऐतिहासिक शहर जयपुर को आज से करीब 298 वर्षों पूर्व 1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय ने बसाया था तक उसकी चर्चा पूरे विश्व में रही थी। सुविख्यात वास्तुविद विद्याधर भट्टाचार्य ने नगर की योजना इस प्रकार बनाई थी कि शहर के चारों ओर परकोटा न केवल सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान बनाने का प्रयास किया गया।जयपुर परकोटे की दीवारें अपने अपने n केवल ऐतिहासिक बनी वरन वास्तु कला का आकर्षण भी बनी । जयपुर के सूरजपोल से लेकर चांदपोल तक, के परकोटे के कई हिस्सों में जयपुर की मशहूर चित्रकारी देखने लायक है। परकोटे की मोटी दीवार बेमिसाल रही है। लेकिन कालांतर में अवैध निर्माणों से इन धरोहरों को भारी क्षति हुई हैं।

जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वितीय ने जैसा सुनियोजित शहर बसाया था वह दुनिया में बेमिसाल बना। जयपुर को नवग्रह की तर्ज पर पूरे 9 वर्गों में बांटा गया था। पुराने शहर का परकोटा लगभग 9 वर्ग मील में फैला हुआ है जिसमें सूर्य रथ के सात घोड़े की तर्ज पर परकोटे के सात दरवाजे बनाए गए है। परकोटे की दीवार की ऊंचाई लगभग 20 फीट, दीवार की चौड़ाई लगभग 9 से 10 फीट रखी गई। परकोटे के हर दरवाजे पर भगवान गणेश की प्रतिमाएं विराजमान है। मान्यता है कि जब चांदपोल दरवाजा बनाया जा रहा था, तो वहां प्राकृतिक रूप से भगवान गणेश प्रकट हुए थे और तभी से यहां परकोटे वाले गणेश जी विराजमान हैं। ऐसे में जयपुर की बसावट से ही परकोटे की सुरक्षा खुद भगवान गणेश कर रहे हैं। वॉल सिटी के अंदर 108 पोल है। अकेले सिटी पैलेस में 56 पोल है।

ये दीवारें केवल पत्थर और चूने से बनी संरचना नहीं है बल्कि ये सवाई जयसिंह द्वितीय की दूरदृष्टि और जयपुर की आत्मा हैं।भगवान गणेश की पीठ पीछे ही नाहरी का नाका क्षेत्र से नाहरगढ़ की पहाड़ियों से लगता हुआ परकोटा भी विशाल था।पारंपरिक चूने और रहट पद्धति से बनी दीवारें अब अपना स्वरूप बदल रही है। बताते है वर्ष 2021 में हुए ड्रोन सर्वे करवाया था। जिसमें परकोटे के भीतर लगभग 3100 अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे। जयपुर के परकोटे की दीवारें अब केवल इतिहास नहीं, वरन ऐतिहासिक पिंक सिटी की बेशकीमती धरोहर है। ये दीवारें खुद कह रही हैं कि अगर उन्हें संरक्षित नहीं किया तो हम अपनी अमूल्य विरासत को खो देंगे, जिसे दोबारा कभी नहीं पाया जा सकता।

जयपुर की वाल सिटी में ऐतिहासिक हवा महल, सिटी पैलेस, जयपुर के आस्था का केंद गोविन्द देव जी का मंदिर,कई ऐतिहासिक बाजार तथा अन्य प्राचीन इमारतें है।

यदि विश्व प्रसिद्ध यह ऐतिहासिक नगर अपनी इस गौरवमय धरोहरों को नहीं संभालेगा तो सबसे अधिक नुकसान यहां के वाशिंदों को ही होगा तथा देशी विदेशी पर्यटक भी पुरानी विरासतों को देखने से वंचित रह जायेंगे तथा पर्यटन से होने वाली राजस्व का भी भारी नुकसान झेलना पड़ेगा।

विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपना अहम स्थान रखने वाले राजस्थान को ओपन आर्ट गैलरी कहा जाता है। यहां हर पांच कोस पर एक हेरिटेज सम्पदा मौजूद है। प्रदेश के भव्य ऐतिहासक दुर्ग, छोटे किले, खूबसूरत महल, विशालकाय हवेलियां और भग्नावशेषों को बचाए रखने की चुनौती न केवल सरकार की है वरन इससे भी अधिक प्रदेश की नागरिकों की भी है क्योंकि ये धरोहरें न केवल उनके जीवन का आर्थिक आधार बन सकती है वरन भारत और राजस्थान की समृद्ध शाली विरासत और संस्कृति से पूरी दुनिया के लोगों तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगी।