
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान में गुर्जर आंदोलन बार-बार होने के पीछे कई कारण हैं। मुख्य रूप से यह आंदोलन आरक्षण की मांग और समाज की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता रहा है। रविवार 8 जून 2025 को भरतपुर के पीलूपुरा में आयोजित महापंचायत में सरकार के मसौदे को स्वीकार करने के बाद भी युवाओं के एक गुट ने निर्णय का विरोध कर दिया और दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक जाम कर दिया।
गुर्जर आंदोलन की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं
एमबीसी आरक्षण विधेयक को 9वीं अनुसूची में शामिल करना,गुर्जर समाज की यह प्रमुख मांग है, जिसका उद्देश्य आरक्षण को संवैधानिक दर्जा दिलाना है।
आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए समझौते की पालना । गुर्जर समाज की मांग है कि सरकार द्वारा किए गए समझौतों को ठीक से लागू हो ।
गुर्जर समाज सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सुनिश्चित करना चाहता है।
इसी प्रकार देवनारायण योजना का क्रियान्वयन भी कराना चाहता है।इस योजना के माध्यम से गुर्जर समाज के विकास के लिए काम किया जाना है।
इसके अलावा आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेना भी एक बड़ी मांग है। समाज चाहता है कि आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लिया जाए। इसके अलावा आंदोलन में मृतकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति देना भी एक बड़ा मुद्दा है। इसके लिए आंदोलन में शहीद हुए लोगों के परिवारों को नौकरी देने की मांग की जा रही है।
गुर्जर समाज की यह भी मांग है कि रीट भर्ती 2018 में बचे हुए पदों पर भी नियुक्ति की जाए।
गुर्जर आंदोलन के इतिहास को देखें तो यह पता चलता है कि यह आंदोलन समय-समय पर विभिन्न रूपों में सामने आता रहा है, जिसमें रेलवे ट्रैक जाम करना, प्रदर्शन करना और सरकार के साथ बातचीत करना शामिल है।
जानकार लोगों का मानना है कि गुर्जर अपनी मांगों को संवैधानिक तरीके से आंदोलन चलाए यहां तक तो ठीक है लेकिन रेलवे ट्रैक जाम करना और रेल्वे की संपति को नुकसान पहुंचाना उचित नहीं है। पिछले अनुभव बहुत अच्छे नहीं रहे है।
उचित यह रहेगा कि वे सरकार के साथ बातचीत कर इस मामले का शांतिपूर्वक ढंग से हल निकाले ताकि गुर्जर आंदोलन का सम्मानजनक हल निकल सके।