
इंद्र वशिष्ठ
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के पूर्ण रूप से क्रियान्वयन के बाद देश भर में कहीं भी दर्ज एफआईआर में तीन साल में सुप्रीम कोर्ट तक न्याय मिल जाएगा, यह सुनिश्चित किया गया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नए आपराधिक कानूनों के सफलतापूर्वक एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में नई दिल्ली में आयोजित ‘न्याय प्रणाली में विश्वास का स्वर्णिम वर्ष’ कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
गृह मंत्री अमित शाह कहा कि नए कानूनों से ‘एफआईआर दर्ज कराएंगे तो क्या होगा’ की जगह ‘एफआईआर दर्ज कराने से तुरंत न्याय मिलेगा’ का विश्वास बढ़ेगा। नए आपराधिक कानून आने वाले दिनों में भारतीय क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को आमूलचूल रूप से बदल देंगे। पहले हमारी न्याय प्रणाली के सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि किसी को नहीं पता था कि न्याय कब मिलेगा।
गृह मंत्री ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा 3 साल में इन कानूनों के पूर्ण रुप से क्रियान्वयन के बाद देश भर में दर्ज किसी भी एफआईआर में तीन साल में सुप्रीम कोर्ट तक न्याय मिल जाएगा। इन कानूनों में नागरिकों को न्याय दिलाने के तीनों महत्वपूर्ण अंगों – पुलिस, प्रॉसीक्यूशन और ज्यूडिश्यरी – को कई जगह पर समयसीमा से बांधा गया है। नए कानूनों में 90 दिनों में जांच पूरी करने, चार्जशीट दाखिल करने और चार्ज फ्रेम करने और जजमेंट देने का समय भी तय किया गया है।
7 साल और उससे अधिक सज़ा वाले हर अपराध में फोरेंसिक जांच को अनिवार्य कर दिया है और अब एनएएफआईएस का उपयोग भी बहुत अच्छे तरीके से होने लगा है। इसी प्रकार पोक्सो के मामले में डीएनए का मिलान गुनाह करने वाले को किसी भी तरह से बचने की जगह नहीं देता है।
अमित शाह ने कहा कि इन कानूनों में बच्चो और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अलग अध्याय जोड़ा गया है। पहली बार आतंकवाद की व्याख्या की गई है और संगठित अपराध की भी व्याख्या कर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। नए कानून में डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन का भी प्रावधान किया गया है जिससे सज़ा कराने की दर में बहुत वृद्धि होगी।
गृह मंत्री ने कहा कि नए कानूनों में तकनीक के आधार पर कई ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं जिनके अमल में आने के बाद संदेह/ शंकाओं के आधार पर अपराध कर बच निकलने वाले लोगों के लिए कोई संभावना नहीं छोड़ी गई है। नई आपराधिक प्रणाली लागू होने के बाद हमारे देश की दोष सिद्धि दर बहुत आगे पहुंच जाएगी और गुनाहगार को निश्चित रूप से सज़ा मिलेगी। तीनों नए कानूनों पर पूर्ण अमल के बाद तकनीक के उपयोग के साथ हमारी न्याय प्रणाली विश्व की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली होगी।
नए आपराधिक कानून अफोर्डेबल, एक्ससेबल और एप्रोचेबल होने के साथ ही न्यायिक प्रक्रिया को सरल, सुसंगत और पारदर्शी भी बनाएंगे। आने वाले दिनों में हमारा क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम एक नए युग में प्रवेश करेगा और इससे से लोगों के मन में निश्चित रूप तुरंत न्याय मिलने का विश्वास पैदा होगा।
गृह मंत्री ने कहा कि पुराने कानूनों का मकसद अंग्रेज़ सरकार का लंबा शासन कराना और उनकी संपत्ति की रक्षा करना था। जबकि नए कानून बनाने का मकसद भारतीय नागरिकों के शरीर, संपत्ति और संविधानप्रदत्त सभी अधिकारों की रक्षा करना है। इन नए कानूनों का लक्ष्य दंड नहीं बल्कि न्याय देना है।
अमित शाह ने कहा कि लगभग 89 देशों की न्याय प्रणाली का अध्ययन कर और उनमें से तकनीक के उपयोग को कानूनी आधार देकर इन कानूनों में समावेश किया गया है। इन कानूनों को भारतीय दृष्टिकोण से बनाया है। पहले के कानूनों को अंग्रेज़ों ने अपने शासन को लंबा चलाने के लिए इंग्लैंड की संसद में बनाया था जबकि नए आपराधिक कानून प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेतृत्व में भारत की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार ने भारतीय नागरिकों के लिए बनाए हैं।