
गोविन्द ठाकुर
लोकसभा चुनाव के बाद से इंडिया ब्लॉक की यह पहली बैठक है जिसमें सभी विपक्ष को कांग्रेस की ओर से आमंत्रित किया गया है… उम्मीद है कि टीएमसी और आप को छोड़ बॉकि सभी विपक्ष शामिल होगा… ये दोनों पार्टी को कांग्रेस के निमंत्रण से परहेज हो सकता है… जो पहले से जग जाहिर है… विपक्ष सरकार को घेरने के लिए ऑपरेशन सिंदूर में भारत को क्षति जो एनएसए अजीत डोभाल और उप आर्मी चीफ और वायुसेना के बड़े अधिकारी के वयान से संशय बना है… अमेरीकी राष्टृपति डोनाल्ड टृंप के सीजफायर और समझौते वाली वयान, बिहार में वोटर लिस्ट की सधन जॉच, लोकसभा में उपाध्यक्ष पद का खाली रहना… तमाम वैसे मुददे जो सरकार को परेशान करे उसे उठाया जायेगा…
संसद का मानसून सत्र बहुत हंगामेदार होनेवाला है। विपक्षी पार्टियों ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस पार्टी की एक अहम बैठक मंगलवार, 15 जुलाई को हुई।
इस बैठक की अध्यक्षता संसदीय बोर्ड की प्रमुख सोनिया गांधी ने की। बताया जा रहा है कि इसमें संसद के मानसून सत्र में पार्टी की रणनीति पर विचार किया गया और उसकी रणनीति तैयार की गई। इसके मददेनज़र सभी सहयोगी पार्टियों और भाजपा विरोधी अन्य पार्टियों के साथ फ्लोर कोऑर्डिनेशन को लेकर भी चर्चा हुई। इसके बाद बताया जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से ‘इंडिया’ ब्लॉक की सभी पार्टियों की बैठक बुलाई गई है। आमतौर पर ऐसी बैठक सत्र के पहले दिन संसद में ही राज्यसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के चैम्बर में होती है। लेकिन इस बार सरकार की ओर से होने वाली सर्वदलीय बैठक की तरह कांग्रेस विपक्षी पार्टियों के साथ बैठक करेगी।
इससे पहले 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से विपक्ष विशेष सत्र की मांग कर रहा था। लेकिन सरकारर ने ध्यान नहीं दिया। तभी से विपक्ष मानसून सत्र का इंतजार कर रहा था। ध्यान रहे अभी तक पहलगाम कांड को अंजाम देने वाले आतंकवादियों का कुछ पता नहीं चल सका है। विपक्ष जोर शोर से यह मुद्दा उठाएगा। दूसरा मुद्दा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को हुए नुकसान का है। सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को नुकसान हुआ था। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल दावा कर रहे हैं कि कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने चुनौती दी है कि कोई भारत को हुए नुकसान की एक तस्वीर दिखा दे। यह चुनौती उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर हुए युद्धविराम के दो महीने के बाद किया है। विपक्ष इस मुद्दे पर सवाल करेगा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को क्या नुकसान हुआ और क्या सचमुच राफेल विमान क्षतिग्रस्त हुए थे। इसी से जुड़ा तीसरा मुद्दा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार बार सीजफायर का श्रेय लेने का है। वे 20 बार से ज्यादा कह चुके हैं कि उन्होंने व्यापार रोकने और टैरिफ बढ़ाने की धमकी देकर दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों यानी भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रूकवाया था। विपक्ष इस पर भी सरकार से स्पष्टता की मांग करेगा।
मानसून सत्र में एक बड़ा मुद्दा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का है। विपक्ष का कहना है कि यह यह अभियान मतदाताओं के एक खास वर्ग को बांग्लादेशी, रोहिंग्या या नेपाली बता कर नाम काटने के लिए चलाया जा रहा है। साथ
ही विपक्ष इसे पिछले दरवाजे से एनआरसी लागू करने का प्रयास भी बता रहा है।
चुनाव आयोग ने कह दिया है कि बिहार के बाद पूरे देश में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण होगा। उसने पश्चिम बंगाल और असम का खासतौर से जिक्र किया है। सो, अब यह बिहार का नहीं, बल्कि पूरे देश का मामला है। इसलिए हर राज्य की प्रादेशिक पार्टियां कांग्रेस के साथ मिल कर संसद के मानसून सत्र में यह मुद्दा जोर शोर से उठाएंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि ममता बनर्जी की पार्टी इस मसले पर कांग्रेस के साथ मिल तालमेल बैठाती है या नहीं! उम्मीद है कि टीएमसी और आम आदमी पार्टी शायद इस कवायद से दूर ही रहेगा।
संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस पार्टी लोकसभा उपाध्यक्ष का मुद्दा जोर शोर से उठाएगी। कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में होने वाली कांग्रेस की बैठक में इस पर चर्चा होगी। कांग्रेस इस मसले पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस पार्टी दबाव बनाएगी कि जल्दी से जल्दी लोकसभा उपाध्यक्ष की नियुक्ति हो। हालांकि इस बात की कोई संभावना अभी नहीं दिख रही है कि सरकार उपाध्यक्ष नियुक्त करने जा रही है। लेकिन अगर सरकार ने तय किया कि उपाध्यक्ष नियुक्त होगा और यह पद किसी विपक्षी पार्टी को नहीं मिला तो कांग्रेस इसके लिए चुनाव कराएगी। कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक और दूसरी भाजपा विरोधी पार्टियों को साथ लेकर कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारेगी। अगर सरकार ने उपाध्यक्ष नियुक्त करने की पहल की तो कांग्रेस की ओर से केरल के आठ बार के सांसद के सुरेश को उम्मीदवार बनाया जाएगा।
चूंकि केरल में अगले साल मई में चुनाव हैं इसलिए कांग्रेस इस दांव की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि 18वीं लोकसभा के एक साल से ज्यादा हो गए हैं और अभी तक उपाध्यक्ष के चुनाव की कोई पहल नहीं हुआ है। इससे पहले 17वीं लोकसभा में भी कोई उपाध्यक्ष नहीं था। पूरे पांच साल जनता का सदन यानी लोकसभा बिना उपाध्यक्ष के चला। इस बार भी सरकार इसी मूड में दिख रहा है। बताया जा रहा है कि सरकार को कोई भरोसे का आदमी नहीं मिल रहा है। कोई सहयोगी पार्टी उपाध्यक्ष का पद लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। पिछली बार भाजपा ने बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस में से किसी को यह पद देना चाहती थी लेकिन दोनों पार्टियों के नेता राजी नहीं हुए। वे सरकार का मुद्दा आधारित समर्थन करते रहे लेकिन कोई पद नहीं लिया। अब दोनों एनडीए से बाहर हैं और बिना लोकसभा सांसद के हैं। जनता दल यू हरिवंश राज्यसभा में उप सभापति हैं और अन्ना डीएमके का भी कोई लोकसभा सांसद नहीं है। चंद्रबाबू नायडू या एकनाथ शिंदे की पार्टी से किसी को यह पद मिल सकता है। लेकिन दोनों मंत्री पद लेकर खुश हैं। इसलिए उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पा रहा है।