तीन चीज़ें : सबसे गंदी सबसे क़रीब सबसे अज़ीज़

Three things: the dirtiest, the closest, and the dearest

तनवीर जाफ़री

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में स्वच्छ व साफ़ सुथरा रहने की हरसंभव वह कोशिशें करता है जिससे वह स्वस्थ व आरोग्य रह सके। नित्य नहाना धोना,साफ़ सुथरे कपड़े पहनना,साफ़ जगह पर बैठना,स्वास्थ्य वर्धक खाद्य सामग्री ग्रहण करना,स्वास्थ्यकारी वातावरण में रहना आदि सब इन्हीं स्वच्छता सम्बन्धी उपायों के मद्देनज़र किया जाता है। परन्तु क्या आप जानते कि स्वच्छता सम्बन्धी सभी उपायों को अपनाने के बावजूद हमें अपने जीवन में रोज़ाना दिन में अनेक बार ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जबकि जाने अनजाने में हम गंदिगी ही नहीं बल्कि घोर गंदिगी के शिकार हो जाते हैं। बल्कि हम चाहते हुये भी इनका शिकार होने से भी नहीं बच पाते?

और ऐसी तीन चीज़ें हर समय हमारे साथ रहती हैं जिन्हें न तो हम बार बार धो सकते हैं न ही इन्हें साफ़ करने के कोई उपाय अपना सकते हैं और न ही इनकी उपेक्षा कर सकते हैं । इनमें सबसे पहला है हमारा अपना दोनों हाथ। हम सारा दिन अपने हाथों से क्या क्या छूते हैं ,किस किस से हाथ मिलाते हैं,शरीर के किन भागों पर हाथ लगाते हैं,कब सिर,कान नाक आँख फोड़ा फुंसी सहलाते या खुजलाते हैं,कब कुत्ता बिल्ली या अन्य किसी जानवर पक्षी से अपना प्यार जताते हैं। कार स्कूटर चप्पल जूतों में कब कहाँ हाथ लगते हैं,हमें कुछ ध्यान नहीं रहता। और खाने पीने में अपने उन्हीं हाथों का प्रयोग हम दिन भर करते रहते हैं।
इसी तरह दूसरी चीज़ है ‘नोट’ अर्थात करेंसी। यह किन किन हाथों से होकर कहाँ कहाँ पहुँचती है किसी को नहीं पता। परन्तु हर व्यक्ति इन ‘आवारा गर्दी’ करने वाली करेंसी को अपनी छाती से लगाकर रखता है। कई लोग तो नोट गिनते समय उंगलियों के साथ अपने थूक का भी इस्तेमाल करते हैं। निश्चित रूप से नोट अर्थात करेंसी भी घोर गंदी होने के बावजूद हमारी सबसे प्रिय चीज़ है। जिससे दूरी बनाकर रखना या इसे स्वच्छ रूप में रख पाना हमारे लिये बिल्कुल असंभव है।

तीसरी चीज़ है हमारा मोबाईल या सेल फ़ोन। हमारे आधुनिक जीवन का यह हमसफ़र हर व्यक्ति से उसके बीवी बच्चों व माता पिता से भी क़रीबी स्थान बना चुका है। बाथरूम से लेकर डायनिंग टेबल तक हर जगह साथ रहता है। और आपके पहले सबसे अज़ीज़ हमसफ़र यानी ‘हाथ’ की रौनक़ बना रहता है। कई बार खाना खाते समय कोई फ़ोन काल आ जाती है तो लोग खाने के दौरान ही फ़ौरन कॉल रिसीव करते हैं। इसकी भी नित्य सफ़ाई का निर्धारित तरीक़ा शायद ही कोई अपनाता हो। गोया गंदे हाथों में गन्दा मोबाईल और गंदे हाथों में गंदी करेंसी,और कभी कभी हमारे जेब में एक साथ इकट्ठी यह तीनों गंदी चीज़ें, अधिकांश लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। इससे निजात पाना असंभव नहीं तो बेहद मुश्किल ज़रूर है परन्तु हमें स्वस्थ रहने के लिये गंदिगी के इस कुचक्र से निजात पाने के उपाय ज़रूर करने चाहिये ।