विदेशी फंडिंग और बाहरी एजेंडे से प्रेरित होते हैं धर्मांतरण और कट्टरपंथ !

Conversion and fundamentalism are inspired by foreign funding and external agenda!

सुनील कुमार महला

आज जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का सबसे बड़ा देश है और हमारे भारतीय संविधान में, भारत को एक ‘पंथनिरपेक्ष’ राज्य घोषित किया गया है, जिसका अर्थ है कि राज्य का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है, और यहां सभी नागरिकों को अपने-अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है, लेकिन पिछले कुछ समय से मीडिया की सुर्खियों में देश में धर्मांतरण संबंधी बातें लगातार सामने आ रहीं हैं, इसे किसी भी हाल और परिस्थितियों में ठीक व जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है। पाठकों को बताता चलूं कि धर्मांतरण(धर्म परिवर्तन)का मतलब है किसी व्यक्ति का एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन करना या किसी व्यक्ति का धार्मिक विश्वास बदलना।दूसरे शब्दों में कहना ग़लत नहीं होगा कि कोई व्यक्ति विश्वास व मूल्यों में परिवर्तन के कारण भी अपना धर्म बदल सकता है। धार्मिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार भी धर्म परिवर्तन का कारण बन सकता है। वास्तव में, यह एक व्यक्ति द्वारा स्वेच्छा से या किसी दबाव में किया जा सकता है। मसलन, धर्मांतरण के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि धार्मिक विश्वासों में बदलाव, विवाह, धर्म परिवर्तन के लिए लालच(आर्थिक लालच), या सामाजिक प्रभाव।कुछ लोग किसी विशेष धर्म के प्रति आकर्षण या आध्यात्मिक अनुभव के कारण धर्मांतरण कर सकते हैं। गरीबी और अभाव, व्यक्ति विशेष का उत्पीड़न, अथवा किसी विशेष समुदाय में शामिल होने के लिए भी कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन कर सकता है। इसके अलावा, धर्मांतरण धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारकों से भी जुड़ा हो सकता है। वास्तव में देखा जाए तो धर्मांतरण एक जटिल प्रक्रिया है और कुछ देशों में, धर्मांतरण को नियंत्रित या प्रतिबंधित करने वाले कानून बनाए गए हैं, जिन्हें धर्मांतरण विरोधी कानून कहा जाता है। यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा कि धर्मांतरण के कई सामाजिक और कानूनी प्रभाव हो सकते हैं। यहां तक कि नए धर्म में व्यक्ति को अपनी सांस्कृतिक मान्यताओं और प्रथाओं को बदलने की आवश्यकता हो सकती है। इतना ही नहीं,एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन(धर्मांतरण से) करने से व्यक्ति के व्यक्तिगत कानूनों, उत्तराधिकार के अधिकार, विवाह, और चुनाव लड़ने के अधिकार सीधे प्रभावित हो सकते हैं। धर्मांतरण के कारण कभी-कभी व्यक्ति को सामाजिक अलगाव का सामना भी करना पड़ सकता है। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि कुछ राज्यों में, जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाए गए हैं। इन कानूनों का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान भी किया है, लेकिन बावजूद इसके भी हमारे देश में रह-रहकर धर्मांतरण की खबरें मीडिया की सुर्खियों में आतीं रहतीं हैं। वास्तव में आज जरूरत इस बात की है कि धर्मांतरण के मामलों पर हमारे समाज, हमें स्वयं, हमारे प्रशासन व सरकार को निरंतर सजग व सर्तक रहने की आवश्यकता है, क्यों कि इसके हमारे सामाजिक संरचना, ताने-बाने पर व्यापक असर पड़ते हैं। आज हमारे देश में अवैध धर्मांतरण कराने के लिए अनेक कट्टरपंथी नेटवर्क काम कर रहे हैं। वास्तव में ये नेटवर्क केवल धर्मांतरण तक ही सीमित नहीं हैं। धर्मांतरण के जरिये ये नेटवर्क हमारे युवाओं(हमारी युवा पीढ़ी) को कट्टरपंथ के लिए उकसाने और उन्हें देशविरोधी एजेंडे से जोड़ने का काम कर रहे हैं, जो हमारे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक बहुत बड़ा खतरा है। पाठकों को जानकारी देता चलूं कि हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए लखनऊ ज़ोन की टीम ने बलरामपुर, लखनऊ और मुंबई में छांगुर और उसके करीबी नवीन रोहरा सहित अन्य से जुड़े 15 ठिकानों पर छापा मारा। दरअसल,यह जांच उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर शुरू हुई थी, जिसमें अवैध धर्मांतरण, विदेशी फंडिंग और देश की सुरक्षा से जुड़े गंभीर आरोप लगाए गए थे। जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा बलरामपुर स्थित चांद औलिया दरगाह से पूरे नेटवर्क का संचालन करता था। आरोप है कि वह अनुसूचित जाति(एससी) और आर्थिक रूप से कमजोर हिंदू वर्ग के लोगों को डराकर और बहला-फुसलाकर धर्मांतरण कराता था। उत्तर प्रदेश पुलिस का यह प्रयास काबिले-तारीफ है कि उसने धर्मातरण के बड़े गिरोह का भंडाफोड़ कर देश में सुनियोजित ढंग से चल रहे धर्म परिवर्तन को समाज और देश के सामने उजागर किया है। धर्मांतरण का आईएसआईएस से कनेक्शन भी बताया जा रहा है। सामने आया है कि छह राज्यों में धर्मांतरण का नेटवर्क फैला हुआ है तथा इस संदर्भ में विदेशी फंडिंग का खुलासा भी हुआ है, जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है। देश में धर्मांतरण के गैंगों का सक्रिय होना कोई छोटी बात नहीं है। इन गैंगों के अलग-अलग मॉड्यूल काम कर रहे हैं, मसलन कोई फंडिंग जुटाने का तो कोई लोगों को रैडिकलाइज करने का तो कोई उन्हें छिपाने की व्यवस्था कर रहें हैं, यह बहुत ही गंभीर और संवेदनशील है। यहां तक कि इन कट्टरपंथी गैंगों के कनेक्शन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी जुड़े पाए गए हैं।यह बहुत गंभीर है कि विभिन्न सिंडिकेट से अमेरिका, कनाडा और दुबई से फंडिंग मिलने के सबूत तक मिले हैं।एक प्रारंभिक जांच में यहां तक पता चला है कि इन कट्टरपंथी नेटवर्क का संपर्क लश्कर-ए-तइबा से भी है। धर्मांतरण के जो मामले सामने आए हैं,वह अच्छी बात है, प्रशासन, पुलिस, अधिकारी व सरकार लगातार इन कट्टरपंथी नेटवर्क की धरपकड़ में लगे हुए हैं, कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है और छानबीन, जांच-पड़ताल लगातार की जा रही है, लेकिन इस बात की आशंका को कतई नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है कि न जाने कितने छांगुर और धर्मांतरण के अवैध नेटवर्क अब भी हमारे देश में चल रहे होंगे। हाल फिलहाल,इसमें कोई दोराय या संदेह नहीं है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने धर्मांतरण गैंग के लिए तगड़ा आपरेशन करते हुए तगड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है, लेकिन यहां यक्ष प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर वे कौन लोग हैं जिनकी लापरवाही, मिलीभगत से ऐसे धर्मांतरण नेटवर्किंग को पनपने का मौका मिल सका ? क्या ऐसे अधिकारियों और प्रशासकों पर कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए ? वास्तव में आज जरूरत इस बात की है कि ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए निरंतर सतर्क और समन्वित, यथेष्ठ और ईमानदार प्रयास किए जाएं। आज हम एआइ व सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जमाने में जी रहे हैं और ऐसे युग में विभिन्न कोड वर्ड्स व लिटरेचर के जरिये कट्टरपंथी धार्मिक व आतंकी संगठन, सिंडिकेट विभिन्न संदेशों का प्रसारण आसानी से करके हमारी युवा पीढ़ी का माइंड वाश या उन्हें दिग्भ्रमित कर सकते हैं, ऐसे में जरुरत इस बात की है कि इन नेटवर्किंग पर भी हम व हमारा प्रशासन, पुलिस व सरकार लगातार नजर बनाए रखें। जरूरत इस बात की भी है कि केंद्र व राज्य सरकारें विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्मों और विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग को रोकने के लिए मजबूत तंत्र विकसित करें। कहना ग़लत नहीं होगा कि धर्मांतरण और कट्टरपंथ, अक्सर विदेशी फंडिंग और बाहरी एजेंडे से प्रेरित होते हैं, इसलिए उन पर लगातार पैनी नज़र बनाए रखने की व त्वरित कार्रवाई की जरूरत है। समाज को शिक्षित व जागरूक करना तो आवश्यक है ही। वास्तव में हम सभी को देश व समाज में धार्मिक व सामाजिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने की दिशा में एकजुट होकर काम करना होगा।