ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में गरजे गौरव गोगोई: पूछा – प्रधानमंत्री ने किसके आगे झुककर सीजफायर किया?

Gaurav Gogoi roared in Lok Sabha on Operation Sindoor: Asked – before whom did the Prime Minister bow down and declare ceasefire?

प्रीति पांडे

संसद के मानसून सत्र में सोमवार को “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर जबरदस्त बहस देखने को मिली। इस अहम मुद्दे पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा कर कई तीखे सवाल दागे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे तौर पर पूछा कि आखिर सीजफायर का फैसला किन दबावों में लिया गया और किसके आगे सिर झुकाया गया?

हमला हुआ कैसे, सरकार बता नहीं पाई – गोगोई

गौरव गोगोई ने अपने भाषण की शुरुआत इस सवाल से की कि पहलगाम में आतंकी हमला आखिर हुआ कैसे? उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना की वीरता का जिक्र तो किया, लेकिन इस सवाल पर चुप्पी साधे रखी कि आतंकी देश में दाखिल कैसे हुए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार के पास तमाम आधुनिक संसाधन होने के बावजूद हमलावरों को पकड़ा क्यों नहीं जा सका।

राहुल गांधी मौके पर पहुंचे, पीएम बिहार चले गए

कांग्रेस सांसद ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि हमले के बाद प्रधानमंत्री पहलगाम नहीं गए, जबकि विपक्ष के नेता राहुल गांधी मौके पर पहुंचे और पीड़ितों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक सौजन्यता नहीं, बल्कि संवेदनशीलता की मिसाल थी – जो सरकार में देखने को नहीं मिली।

सीजफायर पर अमेरिकी दखल का आरोप

सबसे बड़ा सवाल गौरव गोगोई ने सीजफायर को लेकर उठाया। उन्होंने कहा, “हमने तो युद्ध के लिए खुद को तैयार रखा था, लेकिन अचानक सीजफायर हो गया। क्या प्रधानमंत्री देश को बताएंगे कि यह निर्णय किसके दबाव में लिया गया? क्या यह डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के बाद हुआ जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने मध्यस्थता की थी?”

गोगोई ने ट्रंप के बयान का हवाला देते हुए पूछा कि अगर अमेरिका के कहने पर युद्धविराम हुआ, तो यह देश की रणनीतिक स्वायत्तता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह है।

राफेल और सैन्य रणनीति पर भी उठे सवाल

कांग्रेस सांसद ने यह भी जानना चाहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अगर एक भी राफेल विमान गिरा हो, तो यह बेहद गंभीर विषय है क्योंकि देश के पास सीमित संख्या में ही राफेल विमान हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि पहले जहां 21 टारगेट तय किए गए थे, बाद में वे घटाकर 9 क्यों कर दिए गए? क्या सरकार को यह बताने से डर लगता है?

घाटी की जनता और सैनिकों की साझी भूमिका की अनदेखी?

गौरव गोगोई ने कहा कि हमले के दौरान घाटी के आम नागरिकों ने भी पीड़ितों की मदद की, लेकिन सरकार ने इस मानवीय सहयोग का कोई उल्लेख नहीं किया। उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह को सिर्फ सेना की बहादुरी नहीं, जनता के साहस और सहयोग का भी सम्मान करना चाहिए था।

सरकार से आग्रह: हमें दुश्मन नहीं, सवाल पूछने वाला समझिए

अपने भाषण के अंत में गोगोई ने कहा, “हम देश के पक्ष में बोल रहे हैं, दुश्मन नहीं हैं। लेकिन जब-जब सरकार सच्चाई से मुंह मोड़ेगी, हम सवाल करते रहेंगे।”

उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि सरकार जवाबदेही दिखाएगी, लेकिन सिर्फ आक्रामक बयानों और अति-राष्ट्रवाद की पुनरावृत्ति की गई। “मीडिया की सुर्खियों से लगता था कि कार्रवाई कराची तक पहुंचेगी, लेकिन सरकार ने क़दम पीछे खींच लिए।”

गौरव गोगोई का यह भाषण सरकार से पारदर्शिता, जवाबदेही और संवेदनशीलता की मांग करता नजर आया। “ऑपरेशन सिंदूर” के माध्यम से सरकार की सैन्य रणनीति, विदेश नीति और आतंकी हमलों के प्रति प्रतिक्रिया को लेकर विपक्ष ने केंद्र को कटघरे में खड़ा किया। अब देखना यह है कि सरकार इन सवालों का तथ्यों पर आधारित जवाब देती है या इसे भी राजनीतिक शोरगुल में दबा दिया जाएगा।