दोस्त दोस्त नहीं रहा …प्यार प्यार नहीं रहा !!

Friend is no longer a friend…love is no longer love!!

अमरीका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया …राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को समझना चाहिए कि वह अपने मित्र देश भारत के साथ व्यापार युद्ध जैसी स्थिति पैदा नहीं करें …!!

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

इन दिनों सभी को एक फिल्मी गीत याद आ रहा है कि दोस्त दोस्त ना रहा…प्यार प्यार ना रहा…ज़िंदगी हमें तेरा..ऐतबार ना रहा, ऐतबार ना रहा, ऐतबार ना रहा…… !! क्योंकि आखिर अमरीका ने विश्व में हथियारों की बिक्री की होड़ में अपने मित्र भारत पर भी 25 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगा दिया है। भारत के कुल निर्यात का अमेरिकी हिस्सा 18 प्रतिशत है यानी भारत विदेशों में जो माल निर्यात करता है उसमें 18 प्रतिशत अमेरिका को भेजा जाता है। भारत के इसी निर्यात पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 25 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगाने की घोषणा कर दी है। अब तक अधिकांश भारतीय उत्पादों पर 10 प्रतिशत से ज्यादा टैरिफ लगता था। कुछ उत्पादों पर तो अमेरिका 23 प्रतिशत तक शुल्क वसूल रहा था। यानी ट्रंप ने जो 25 प्रतिशत की घोषणा की है, उसका ज्यादा असर भारत पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि जानकारों का मानना है कि भारत ने पहले राजस्थान के पोखरण में परमाणु विस्फोट के बाद कई आर्थिक प्रतिबन्धों का सामना किया लेकिन किसी के सामने घुटने नहीं टेके।

अमरीका को समझना चाहिए कि भारत आज विश्व की चौथी बड़ी और एक तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है । इसलिए इस संकट से उबरने के साथ ही भारत अपनी आत्म निर्भरता की नीति से हर मुश्किल को पार कर लेने की क्षमता एवं योग्यता रखता है।अमेरिका के आलोचकों ने कहा है कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व और उनके चाणक्य कुशल नीतिकार अमित शाह की अगुवाई में भारत इसका मुंह तोड़ जवाब देगा।आज पूरा विश्व जानता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान करने की शक्ति एवं ताकत है । वही देश के गृहमंत्री अमित शाह कुशल नीतिकार हैं इसलिए उन्हें नव सृजित सहकारिता मंत्रालय दिया गया है जो आत्मनिर्भर भारत बनाने की सोच के साथ-साथ उसे क्रियान्वित करने की क्षमता एवं योग्यता भी रखते हैं। दुनिया के सबसे बड़े और पुराने लोकतन्त्र वाले देश भारत को अपने राष्ट्र की सुरक्षा करने के अधिकार से कोई नहीं रोक सकता। भारत अकेलें रुस से हथियार नहीं खरीदता वरन् विश्व के अन्य देशों के साथ अमेरिका भी क्वाड और इंडो पैसिफिक संगठनों आदि में भारत का रणनीतिक साझेदार हैं । सामरिक दृष्टि से मजबूत होने के कारण ही भारत ने कारगिल और पहलगाम की घटनाओं के बाद पाकिस्तान को जो सबक सिखाया है उसे सारी दुनिया ने देखा है। जहाँ तक रूस यूक्रेन युद्ध का प्रश्न है,पूरा विश्व जानता है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे रोकने के लिए दोनों देशों के साथ विश्व के विभिन्न मंचों पर कितने प्रयास किए है। भारत दुनिया का सबसे पहला देश है जो हमेशा विश्व बन्धुत्व,अहिंसा और शांति की बात करता है तथा आतंकवाद पर हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी एवं देश के गृहमंत्री शाह की जीरो टोलरेंस नीति है।

जानकारों ने सुझाव दिया है कि भारत को भी अमरीका पर जवाबी टैरिफ लगाना चाहिए। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को समझना चाहिए कि वह अपने मित्र देश भारत के साथ व्यापार युद्ध जैसी स्थिति क्यों पैदा कर रहें है, इससे न केवल उपभोक्ता वस्तुएं महंगी होती हैं वरन् दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार, घरेलू उद्योग, कूटनीतिक संबंधों और उपभोक्ताओं पर सीधा और बुरा असर पड़ेगा । उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को इस टैरिफ विवाद को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मंच पर भी उठाना चाहिए क्योंकि इससे अमरीका से त्रस्त अन्य कई देशों का भारत को वैश्विक समर्थन हासिल हों सकता है या वार्ताओं के ज़रिए अन्य व्यापारिक लाभ जैसे वीज़ा,तकनीक हस्तांतरण आदि भी सुनिश्चित किए जा सकते है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से पाकिस्तान को आर्थिक मदद तथा उसे आतंकनिरोधी अभियान का अध्यक्ष देश बनाने आदि मामलों में अमरीका की नीति को पूरा विश्व देख रहा है। टैरिफ़ मामलें में अमेरिका को चीन सबक सीखा चुका है क्योंकि अमरीका तो सुई भी उत्पादित नहीं करता बल्कि सारा सामान बाहर से आयातित करता है। ऐसे में उसे भारत जैसे विकासोन्मुख और शक्तिशाली देश से कोई विवाद नहीं लेना चाहिए बल्कि बिना किसी पूर्वाग्रह से टैरिफ विवादों को राजनयिक रूप से सुलझाना चाहिए वरना टैरिफ लगाने की ट्रम्प की नीति से असहमत विश्व के सभी देशों की नाराजगी अमेरिका की वैश्विक नीति के लिए चुनौती बन सकती है।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अमरीकी टैरिफ से भारतीय उद्योगों को संजीवनी मिलेगी और मोदी सरकार की आत्म निर्भर भारत नीति से लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को और अधिक सहायता, सब्सिडी या संरक्षण देकर भारत अपने स्थानीय उत्पादन और रोजगार को और अधिक बढ़ायेगा तथा भारत को मजबूर किया गया तो भारत घरेलू बाज़ार और बतौर वैकल्पिक व्यवस्था एसियान और अफ्रीका जैसे कई देशों के निर्यात बाजार की ओर अपना ध्यान बढ़ा सकता है। साथ ही अमेरिका पर निर्भरता घटाकर भारत यूरोप,अफ्रीका,लैटिन अमेरिका जैसे देशों के साथ नए व्यापारिक साझेदारों संबंध मज़बूत कर सकता है।

अमरीकी टैरिफ के कारण भारतीय वस्तुएं (जैसे स्टील, एल्यूमिनियम,वस्त्र आदि) अमेरिकी बाजार में महंगी हो सकती हैं। जिससे इन उत्पादों की प्रतिस्पर्धा और निर्यात घट सकता है । साथ ही छोटे एवं मध्यम उद्योगों को झटका लग सकता है।टैरिफ के कारण यदि निर्यात में गिरावट होती है तो इससे संबंधित क्षेत्रों में विशेष रूप से (एमएसएमई) सेक्टर में रोज़गार में कमी हो सकती है।भारतीय कृषि जूट,हैंडीक्राफ्ट्स जैसे क्षेत्रों को अमेरिका के बाजार में अच्छी पहुँच है। टैरिफ से इन उत्पादों की मांग कम हो सकती है।टैरिफ लगाने का दुनिया में ग़लत संकेत जाएगा । जिससे निवेश और एफ़डीआई में गिरावट आ सकती है। लेकिन अमरीका को समझना चाहिए कि भारत आज विश्व की चौथी बड़ी और एक तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है । इसलिए इस संकट से उबरने के साथ ही भारत अपनी आत्म निर्भरता की नीति से हर मुश्किल को पार कर लेने की क्षमता एवं योग्यता रखता है।

भारत के उत्पादों पर टेरिफ बढ़ाने के साथ डोनाल्ड ट्रंप को यह नहीं भुलाना चाहिए कि आतंकी लादेन को पाकिस्तान ने ही शरण दी थी।पाकिस्तान की ज्यादा हिमायत की तो अमेरिका को 9/11 जैसे परिणाम भुगतने होंगे।

भारत के उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने के साथ साथ डोनाल्ड ट्रंप को यह ख्याल रखना चाहिए कि खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने ही शरण दी थी। लादेन ने ही 1 सितंबर 2001 को न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और अन्य इमारतों पर आतंकी हमला करवाया था। बाद में बराक ओबामा के कार्यकाल में अमेरिकी सैनिकों ने पाकिस्तान में घुसकर लादेन को मौत के घाट उतारा। इन दिनों देखा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान के हिमायती बन रहे है। पाकिस्तान को परमाणु संपन्न देश बता कर भारत को भी डराने की कोशिश की जा रही है। यदि डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान के ज्यादा हिमायती बनेंगे तो अमेरिका को 9/11 जैसे परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। पूरी दुनिया में पाकिस्तान को आतंकी की फैक्ट्री माना जाता है।

दुनिया भर में सक्रिय आतंकी संगठनों के तार पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं। भारत तो पाकिस्तान परस्त आतंकवाद का मुकाबला आए दिन करता है। 27 जुलाई को ही कश्मीर में जो तीन आतंकी मारे गए उनके पास से अमेरिकी निर्मित 9 एम कार्बाईन मिली। यानी अमेरिका, पाकिस्तान को जो हथियार दे रहा है वो आतंकियों के पास पहुंच रहे है। भले ही आज ऐसे हथियार भारत के खिलाफ इस्तेमाल हो रहे हो, लेकिन पाकिस्तान के आतंकी ऐसे हथियारों का इस्तेमाल अमेरिकी के विरुद्ध भी कर सकते हैं।

ट्रंप को यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत के साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और चीन की सीमाएं लगी हुई है। इस क्षेत्र में भारत एकमात्र देश है जो अमेरिका के हितों की रक्षा कर सकता है। यदि भारत कमजोर होगा तो इसका नुकसान अमेरिका को भी उठाना पड़ेगा। यदि भारत मजबूत रहता है तो आतंकवादियों पर भी नियंत्रण रहेगा। अमेरिका को अफगानिस्तान से भागने वाले हालातों को भी नहीं भुलना चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप को पाकिस्तान और भारत को बराबर का दर्जा नहीं देना चाहिए। अब यह जगजाहिर हो गया है कि डोनाल्ड ट्रंप की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मित्रता सिर्फ कारोबारी है। ऐसे में भारत को भी अमेरिका से खासकर ट्रंप से सावधान रहने की जरूरत है। डोनाल्ड ट्रंप यह अच्छी तरह समझ ले कि यदि भारत कमजोर होता है तो एशिया में आतंकवाद को मजबूती मिलेगी। चीन मुस्लिम देशों में आतंकियों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है।

ऐसी परिस्थितियों में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को समझना चाहिए कि वह अपने मित्र देश भारत के साथ व्यापार युद्ध जैसी स्थिति पैदा नहीं करें ।