समुदायों के बीच मजबूत सेतु बनाता है मित्रता दिवस

Friendship Day builds strong bridges between communities

सुनील कुमार महला

‘इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे'(अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस) हर वर्ष अगस्त माह के प्रथम रविवार को मनाया जाता है। पाठकों को बताता चलूं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, इस उत्सव की शुरुआत हॉलमार्क कार्ड्स के संस्थापक जॉयस हॉल से मानी जाती है। हॉल ने 1950 के दशक में दोस्ती के सम्मान के लिए समर्पित एक दिन के विचार को सबसे पहले बढ़ावा दिया था। यह अवधारणा अमेरिका में तेजी से लोकप्रिय हुई और बाद में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल गई। 2011 में, संयुक्त राष्ट्र ने इसे मान्यता दी।एक अन्य उपलब्ध जानकारी के अनुसार अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे को मनाने का विचार पहली बार 20वीं सदी की शुरुआत में आया। सबसे पहले यह 1958 में विश्व मैत्री धर्मयुद्ध में प्रस्तावित किया गया। यह एक अंतर्राष्ट्रीय नागरिक संगठन है। यहां यह भी गौरतलब है कि ‘अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे’ हर साल 30 जुलाई को मनाया जाता है, जिसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा की गई है। वहीं भारत में हर साल अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस बार अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस 2025 की थीम ‘शांति और विविधता के लिए पुलों का निर्माण’ रखी गई है। इस थीम का उद्देश्य दोस्ती के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमि के लोगों के बीच समझ और एकता को बढ़ावा देना है। यह दिवस हमें मित्रता को बढ़ावा देने और मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित करता है और साझा मूल्यों के माध्यम से विविध समुदायों के बीच एक मजबूत सेतु का निर्माण करता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि मित्रता हमारे समाज में सहिष्णुता, सम्मान, नैतिकता और सहानुभूति के मूल्यों को बढ़ावा देती है। यह हमारे जीवन में दोस्ती के मूल्यों को पहचानने और उसकी सराहना करने और दुनिया भर में दूसरों की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने का दिन है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस पीले गुलाब से जुड़ा है, जिसे दोस्ती का प्रतीक माना जाता है‌। पीला गुलाब खुशी, सकारात्मक का संदेशवाहक, आपसी जुड़ाव(मैत्रीपूर्ण बंधन), गर्मजोशी,आपसी विश्वास , आनंद और नई शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता है। यह आमतौर पर किसी को यह बताने के लिए दिया जाता है कि आप उनकी दोस्ती को कितना महत्व देते हैं। वास्तव में,एक मित्र ही होता है, जो मनुष्य के हरेक सुख-दुख में असली साथी होता है। संस्कृत में एक प्रसिद्ध श्लोक है -‘मित्रं व्यसनसम्प्राप्तौ यस्तिष्ठति स मित्रतः।अन्यथा स तु केवलं प्रीतिवचनभूषणम्॥”, जिसका अर्थ है, ‘जो मित्र विपत्ति में साथ खड़ा रहता है, वही सच्चा मित्र है। अन्यथा, जो केवल सुख के समय साथ रहता है, वह केवल मधुर वचन बोलने वाला मित्र है।’ कहना ग़लत नहीं होगा कि जो पाप से रोकता है, हित में जोडता है, गुप्त बात गुप्त रखता है, गुणों को प्रकट करता है, आपत्ति आने पर छोडता नहीं, समय आने पर (जो आवश्यक हो) देता है,वहीं असली मित्र है। संस्कृत में ही बड़े खूबसूरत शब्दों में कहा गया है कि-‘आपत्सु मित्रं जानीयात्’ यानी कि सच्चे मित्र की कसौटी आपत्ति में ही पता चलती है कि वह कसौटी पर खरा उतरता है कि नहीं। सच तो यह है कि एक मित्र ही होता है जो हमारे हर सफर को यादगार बनाता है। जरूरत पड़ने पर हमारा हर हाल और परिस्थितियों में साथ देता है।