ऑपरेशन महादेव: आतंकवादियों को पाकिस्तान भागने नहीं दिया

Operation Mahadev: Terrorists were not allowed to escape to Pakistan

इंद्र वशिष्ठ

पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकवादी देश छोड़कर पाकिस्तान न भाग सकें। भारतीय सेना, पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा इसकी पुख्ता व्यवस्था की गई और आतंकियों को देश से भागने नहीं दिया।

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान ऑपरेशन महादेव की पूरी कहानी सुनाई।
28 जुलाई 2025 को कश्मीर के दाचीगाम में सेना,सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के संयुक्त अभियान ‘ऑपरेशन महादेव’ में तीन आतंकवादियों सुलेमान, अफ़गान और जिब्रान मारे गए।

लश्कर के आतंकी-
गृह मंत्री ने बताया कि सुलेमान लश्कर ए तोएबा का ‘ए’ श्रेणी का कमांडर था जो पहलगाम और गगनगीर में हुए आतंकवादी हमलों में लिप्त था। अफ़गान और जिब्रान भी लश्कर के ‘ए’ श्रेणी के आतंकवादी थे जिन्होंने बैसरन घाटी में निर्दोष नागरिकों को धर्म पूछ कर मारा था।

ऑपरेशन महादेव की कहानी-
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में बताया कि ऑपरेशन महादेव की शुरूआत 22 मई, 2025 को हुई। पहलगाम हमला 22 अप्रैल, 2025 को दोपहर 1 बजे हुआ और वे शाम साढ़े 5 बजे श्रीनगर पहुंच चुके थे। 23 अप्रैल को सुरक्षा बैठक हुई, जिसमें सभी सुरक्षाबल, सेना, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस शामिल थे। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकवादी देश छोड़कर पाकिस्तान न भाग सकें। इसकी पुख्ता व्यवस्था की गई और उन्हें देश से भागने नहीं दिया।

ठंड में डटे रहे जवान –
22 मई, 2025 को आसूचना ब्यूरो (आईबी) के पास आई एक सूचना के माध्यम से दाचीगाम क्षेत्र में आतंकियों की उपस्थिति की सूचना मिली। आईबी औऱ सेना द्वारा दाचीगाम में अल्ट्रा सिग्नल कैप्चर करने के लिए हमारी एजेंसियों द्वारा बनाए गए उपकरणों द्वारा मिली इस सूचना को पुख्ता करने के लिए 22 मई से 22 जुलाई तक लगातार प्रयास किए गए। ठंड और ऊंचाईयों पर आईबी, सेना और सीआरपीएफ के अधिकारी और जवान पैदल इनके सिग्नल प्राप्त करने के लिए घूमते रहे।

मिशन कामयाब-
22 जुलाई को सेंसर्स के माध्यम से सफलता मिली और आतंकवादियों की उपस्थिति की पुष्टि हो गई। तब 4 पैरा के नेतृत्व में सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों ने एक साथ आतंकियों को घेरा और 28 जुलाई को हुए ऑपरेशन में निर्दोष लोगों मारने वाले तीनों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया।

पनाह देने वाले गिरफ्तार-
अमित शाह ने सदन को बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पहले से ही इन तीन आतंकवादियों को शरण देने वाले लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। जब इन तीनों आतंकियों के शव श्रीनगर आए तब चार लोगों ने इनकी पहचान कर बताया कि इन्हीं तीनों आतंकवादियों ने पहलगाम में आतंकी घटना को अंजाम दिया था।

हमले में इस्तेमाल बंदूकें बरामद –
इसके बाद पहलगाम आतंकी हमले के घटनास्थल पर मिले कारतूसों/खोखों की फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर दाचीगाम में इन तीन आतंकियों के पास से मिली तीन राइफलों से मिलान किया गया। इन तीनों राइफलों को तुरंत एक विशेष विमान द्वारा चंडीगढ़ पहुंचाया गया औऱ फायरिंग कर इनके खाली खोखे जेनेरेट किए गए। इसके बाद पहलगाम हमले में मिले खोखों का मिलान राइफलों की नली और फायरिंग के बाद निकले हुए खोखों से किया गया औऱ तब यह तय हो गया कि इन्हीं तीन राइफलों से पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की हत्या की गई थी।

1055 लोगों से पूछताछ-
गृह मंत्री ने बताया कि हमले की जांच की शुरूआत में मृतकों के परिजनों से चर्चा की गई, पर्यटकों, खच्चर वालों, फोटोग्राफर, कर्मचारियों और दुकानों में काम करने वाले कुल 1055 लोगों से 3000 घंटों से भी अधिक लंबी पूछताछ की गई और ये सब वीडियो पर रिकॉर्ड किया गया। पूछताछ से मिली जानकारी के आधार पर आतंकियों के स्केच बनाए गए और 22 जून, 2025 को बशीर और परवेज़ की पहचान की गई जिन्होंने पहलगाम हमले के अगले दिन आतंकियों को शरण दी थी। बशीर और परवेज़ को गिरफ्तार किया गया और इन्होंने खुलासा किया कि 21 अप्रैल, 2025 की रात को 8 बजे तीन आतंकी इनके पास आए थे और उनके पास दो ए के 47 और एक कार्बाइन थी।

बशीर और परवेज़ की मां ने भी तीनों मारे गए आतंकियों को पहचान लिया। फोरेंसिक से भी इस बात की पुष्टि हो गई कि यही तीनों पहलगाम हमले में शामिल आतंकी थे। इस हमले में इनके पास से मिली 2 ए के 47 और एक कार्बाइन का उपयोग हुआ था।