“पत्थरों का सौदा”

The Deal of Stones

कितने ज़ख़्म लगे एक फल के लिए,
ऐसे पत्थर नहीं फेंकना चाहिए।

लाभ हो बूँद-सा, पर नुक़सान समंदर-सा,
ऐसा सौदा नहीं करना चाहिए।

जो दिलों की चाशनी छीन ले हसरत,
वो मिठास नहीं चखना चाहिए।

राह में कोई अगर काँटा भी बने,
उसको फूलों से मनाना चाहिए।

दिल अगर टूटे तो, चुपचाप सँभलने दे,
उसको तानों से न चुभाना चाहिए।

नफ़रतों की आँच में जलकर भी,
प्यार का दीप नहीं बुझना चाहिए।

“दिल” अगर दर्द में डूबा हो कभी,
उसको चुपचाप ही सुनना चाहिए।

— डॉ. सत्यवान सौरभ