
बालेश्वर त्यागी
पूर्व मंत्री,
उत्तर प्रदेश सरकार
राहुल गांधी को सच में लगता है कि उनके आरोपों में सत्यता है तो उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए. केवल प्रेस वार्ता से या भाषण से या भाषण से समाधान नहीं हो सकता है. अगर समाधान चाहते हो तो न्यायालय के अलावा कोई विकल्प नहीं है . अगर न्यायालय के विकल्प को नहीं अपनाते हैं तो फिर उद्देश्य निराकरण नहीं अव्यवस्था फैलाना है. संवैधानिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा को धूमिल करना है.
वर्तमान में 543 लोक सभा संसद हैं . इनके निर्वाचन में भारत देश में लगभग 97करोड़ मत दाता भाग लेते हैं जो देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हैं.इन के निर्वाचन का मुख्य दायित्व चुनाव आयोग में वर्तमान में वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार मुख्य चुनाव आयुक्त और डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी चुनाव आयुक्त पर है.तीन आदमी इतनी बड़ी व्यवस्था का संचालन नहीं करते. इस दायित्व का निर्वाह करने के लिए प्रत्येक प्रदेश में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी चुनाव अधिकारी है जिसका नामांकन प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित तीन नामों में से चुनाव आयोग द्वारा किया जाता है. देश में लगभग 800जनपद हैं प्रत्येक जनपद के जिलाधिकारी उस जनपद के चुनाव संबंधी सभी दायित्वों का निर्वाह कराते हैं. लोक सभा चुनाव में प्रत्येक जिले का जिलाधिकारी निर्वाचन अधिकारी होता है और अतिरिक्त जिलाधिकारी सहायक निर्वाचन अधिकारी होते हैं. देशभर में पांच हजार से अधिक तहसील हैं . प्रत्येक तहसील का तहसील दार उस क्षेत्र का मतदाता पंजीकरण अधिकारी होता है. नया मतदाता बनाना , नया नाम जोड़ना या नाम हटाना उनके ही निर्देशन में होता है. पूरे देश में लगभग 10,50,000 मतदान केंद्र हैं. प्रत्येक मतदान केंद्र पर एक बूथ लेवल ऑफिसर ( बीएलओ) होता है जो अक्सर कोई सरकारी स्कूल का टीचर होता है. चुनाव आयोग के निर्देश पर प्रत्येक राजनैतिक दल प्रत्येक बूथ पर एक बूथ लेवल एजेंट (बीएलओ)नियुक्त करता है .
मतदाता सूची का प्रकाशन , मतदाता का पुनर्निरीक्षण एक सतत् प्रक्रिया है. वर्ष भर में एक बार प्रत्येक बूथ पर बीएलओ बैठते हैं जिसकी सूचना पूर्व में समाचार पत्रों में प्रकाशित की जाती है. अपना नाम मतदाता सूची में नाम अंकित कराने और मतदाता सूची से नाम कटाने का काम बारहों महीने होता है केवल उस समय को छोड़कर जब चुनाव के लिए नोटिफिकेशन हो जाता है और चुनाव परिणाम का नोटिफिकेशन होने तक.
राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष ने वोट चोरी करने का जो आरोप लगाया है, उस संबंध में इस पूरे लंबे चौड़े पूरे देश में फैले चुनावी ढांचे में क्या कोई एक व्यक्ति या तीनों चुनाव आयुक्त कोई नियम विरुद्ध कार्य करा सकते हैं ? वोट बनाना और वोट कटना तहसीलदार के द्वारा होता है. उसके लिए भी मतदाता पंजीकरण अधिनियम है , जिसमें आपत्ति और अपील तक का अधिकार है.इस वोट बनाने और वोट काटने में बीएलओ की भूमिका महत्वपूर्ण है. वही मौके की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं. राजनैतिक दलों के बीएलए ( बूथ लेवल एजेंट )निगरानी के लिए उपलब्ध है. दस लाख पचास हजार से अधिक बूथों तो फैले मतदान केंद्रों तक आयोग चाहकर भी कोई मनमानी नहीं कर सकता है.
अगर सच में राहुल गांधी को सच में लगता है कि उनके आरोपों में सत्यता है तो उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए. केवल प्रेस वार्ता से या भाषण से या भाषण से समाधान नहीं हो सकता है. अगर समाधान चाहते हो तो न्यायालय के अलावा कोई विकल्प नहीं है . अगर न्यायालय के विकल्प को नहीं अपनाते हैं तो फिर उद्देश्य निराकरण नहीं अव्यवस्था फैलाना है. संवैधानिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा को धूमिल करना है. संविधान को हवा में लहराने वालों को संविधान में बताए गए रास्ते को अपनाने से परहेज क्यों है ??