स्वतंत्र भारत का नया युग : ना झुकेगा, ना रुकेगा भारत

New era of independent India: India will neither bow down nor stop

डॉ. संजय कुमार श्रीवास्तव

आज का भारत एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। यह वही भारत है जिसकी कल्पना स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने संघर्ष और बलिदान के दिनों में की थी। 15 अगस्त 1947 को मिली स्वतंत्रता केवल एक राजनीतिक उपलब्धि नहीं थी, बल्कि यह एक ऐसी चिंगारी थी जिसने करोड़ों भारतीयों के दिलों में आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता और विकास की आग जला दी। आज, 21वीं सदी के इस दौर में, भारत अपनी उसी ऊर्जा, साहस और आत्मविश्वास के साथ विश्व मंच पर खड़ा है। यह नया भारत न झुकने वाला है, न रुकने वाला। यह वह भारत है जो चुनौतियों को अवसरों में बदलना जानता है और हर परिस्थिति में आगे बढ़ने की क्षमता रखता है। स्वतंत्रता के शुरुआती वर्षों में भारत के सामने अनेक चुनौतियाँ थीं—गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, कमजोर बुनियादी ढाँचा, और विभाजन के कारण उत्पन्न सामाजिक तनाव। लेकिन इन मुश्किलों को पार करते हुए देश ने धीरे-धीरे विकास की राह पकड़ी। यह सफर आसान नहीं था, मगर भारतीयों की दृढ़ इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयासों ने असंभव को संभव कर दिखाया। आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र के रूप में स्थापित है और उसकी आवाज़ वैश्विक मंचों पर गूंजती है।
नया भारत केवल भौतिक प्रगति पर ही नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक बदलाव पर भी जोर देता है। पहले जहां हम पश्चिमी देशों की तकनीक और ज्ञान पर निर्भर थे, वहीं अब भारत खुद नवाचार, अनुसंधान और विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। डिजिटल इंडिया अभियान ने देश के गाँव-गाँव तक तकनीक की पहुँच सुनिश्चित की है। आज भारत के युवा स्टार्टअप संस्कृति को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहे हैं। कृषि से लेकर अंतरिक्ष विज्ञान तक, हर क्षेत्र में भारत ने अपनी मौजूदगी मजबूती से दर्ज कराई है। स्वतंत्र भारत का नया युग आत्मनिर्भरता के सिद्धांत पर आधारित है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहल ने देश को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख भागीदार बना दिया है। विदेशी निवेश बढ़ा है, उत्पादन क्षमता में विस्तार हुआ है, और भारतीय उद्यमियों ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। यह वह दौर है जब भारत केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता के रूप में उभर रहा है।

इसके साथ ही, भारत ने वैश्विक राजनीति में भी अपनी सशक्त भूमिका निभाई है। चाहे जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता हो, या जी20 जैसी प्रमुख बैठकों में सक्रिय भागीदारी, भारत ने अपने रुख से दुनिया को प्रभावित किया है। आज भारत केवल एक विकासशील देश नहीं, बल्कि एक ऐसी शक्ति है जो विश्व की नीतियों और भविष्य को प्रभावित कर सकती है। यह बदलाव केवल आर्थिक ताकत से नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों, शांति और सहयोग के संदेश से भी आया है। नए भारत की पहचान उसकी युवा शक्ति है। भारत की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। यह ऊर्जा, नवाचार और उद्यमशीलता का सबसे बड़ा स्रोत है। ये युवा न केवल अपने करियर के लिए सोचते हैं, बल्कि देश की प्रगति के लिए भी काम कर रहे हैं। खेल के मैदान से लेकर शोध प्रयोगशालाओं तक, और सिलिकॉन वैली से लेकर गाँव की पंचायतों तक, भारतीय युवाओं ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से एक नया इतिहास रचा है।

देश की महिलाओं ने भी इस नए युग में अपनी अहम भूमिका निभाई है। पहले जहां उन्हें सीमित अवसर मिलते थे, आज वे सेना, विज्ञान, राजनीति, खेल, और कॉर्पोरेट दुनिया में अपने झंडे गाड़ रही हैं। यह बदलाव केवल कानून या नीतियों से नहीं, बल्कि समाज की सोच में आए परिवर्तन से संभव हुआ है। स्वतंत्र भारत का नया युग लैंगिक समानता, सम्मान और अवसरों की समानता पर आधारित है। भारत की ताकत केवल उसकी अर्थव्यवस्था या तकनीकी प्रगति में नहीं, बल्कि उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर में भी है। योग, आयुर्वेद, शास्त्रीय कला, संगीत और साहित्य—ये सभी हमारी पहचान का हिस्सा हैं। नए भारत ने आधुनिकता को अपनाते हुए भी अपनी जड़ों को नहीं छोड़ा है। यह संतुलन ही हमारी असली शक्ति है। दुनिया आज योग दिवस मनाती है, आयुर्वेद पर शोध करती है और भारतीय संस्कृति को आत्मसात करती है। “ना झुकेगा, ना रुकेगा भारत” केवल एक नारा नहीं, बल्कि यह हमारे सामूहिक संकल्प का प्रतीक है। सीमाओं पर तैनात हमारे वीर सैनिक इस भावना को प्रत्यक्ष रूप से जीते हैं। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी वे देश की रक्षा करते हैं और हमें यह भरोसा दिलाते हैं कि भारत की स्वतंत्रता और सम्मान अडिग है। आतंकवाद, सीमा विवाद, या किसी भी प्रकार का बाहरी दबाव—कुछ भी भारत की दृढ़ता को नहीं तोड़ सकता।

आर्थिक मोर्चे पर भारत ने कोविड-19 जैसी वैश्विक आपदा से भी तेजी से उबरने की मिसाल पेश की है। न केवल हमने अपनी जनता के लिए वैक्सीन तैयार की, बल्कि दुनिया के कई देशों को भी मदद पहुंचाई। यह केवल मानवीय दृष्टिकोण ही नहीं, बल्कि भारत की क्षमताओं का प्रमाण भी है। इसने दुनिया को दिखा दिया कि भारत संकट के समय केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए सोचता है। नए भारत की एक और विशेषता है—पर्यावरण और सतत विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश ने भारत को भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के लिए तैयार किया है। ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ की सोच के साथ भारत विश्व में एक उदाहरण पेश कर रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में भी परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। नई शिक्षा नीति ने कौशल विकास, तकनीकी प्रशिक्षण और अनुसंधान को प्राथमिकता दी है। अब शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करने का माध्यम बन रही है। यही वजह है कि भारतीय छात्र वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। स्वतंत्र भारत का यह नया युग उस सपने की पूर्ति का समय है, जो 1947 में देखा गया था। यह केवल अतीत की उपलब्धियों पर गर्व करने का समय नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने का अवसर भी है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि विकास का लाभ हर वर्ग, हर क्षेत्र और हर नागरिक तक पहुंचे।

आज जब हम कहते हैं “ना झुकेगा, ना रुकेगा भारत”, तो इसका अर्थ है कि हम किसी भी चुनौती के सामने हार नहीं मानेंगे, हम अपने विकास की गति को रुकने नहीं देंगे, और हम अपने मूल्यों, संस्कृति और संप्रभुता से कभी समझौता नहीं करेंगे। यह संकल्प हमें न केवल दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र बनाए रखेगा, बल्कि इसे सबसे मजबूत और सबसे प्रेरणादायक राष्ट्र भी बनाएगा। स्वतंत्रता सेनानियों ने जो मशाल हमें सौंपी थी, वह आज भी उतनी ही उज्ज्वल है। फर्क केवल इतना है कि अब यह मशाल विकास, नवाचार और वैश्विक नेतृत्व के मार्ग को रोशन कर रही है। यह नया युग भारत के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है—एक ऐसा अध्याय जिसे आने वाली पीढ़ियाँ गर्व के साथ पढ़ेंगी और कहेंगी कि यह वह दौर था जब भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि वह न झुकेगा, न रुकेगा।