राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने किया श्रद्धेय जयदेव पाठक जन्म शताब्दी समारोह संगोष्ठी का आयोजन

Rajasthan Teachers Association (National) organized Revered Jaydev Pathak Birth Centenary Celebration Seminar

  • जयदेव पाठक राष्ट्रीय विचारों के शिल्पकार- श्री देवनानी
  • श्री देवनानी ने कहा – चरित्र, समाज और राष्ट्र निर्माण का सशक्त माध्यम है शिक्षा

रविवार दिल्ली नेटवर्क

जयपुर : राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने रविवार को राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) द्वारा राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी सभागार में आयोजित श्रद्धेय श्री जयदेव पाठक जन्म शताब्दी समारोह में कहा कि श्रद्धेय जयदेव पाठक के साथ उनका बहुत लंबा सफर रहा, वे उनके आदर्श है। शिक्षक संघ में कार्य करते हुए उनका सानिध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने हमेशा स्वयं पर कम से कम खर्चा करते हुए, बहुत मित्तव्ययता से रहते हुए समाज को अधिक से अधिक देने का प्रयास किया।

श्री देवनानी ने कहा कि उन्हीं के दिए संस्कारों के कारण जीवन यात्रा में वे ऊंचाइयों तक पहुंच सके हैं। श्री पाठक का जीवन राष्ट्र उत्थान को समर्पित रहा। वे समाज के आदर्श हैं। उनका संपूर्ण जीवन शिक्षा और राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित रहा। वे जीवन में स्वयं के प्रति बहुत कठोर थे लेकिन लोगों के लिए वे स्नेह और प्रेम की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने कहा की शिक्षा केवल रोजगार का माध्यम ही नहीं है बल्कि यह बालक के चरित्र निर्माण, समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण का माध्यम है।

श्री देवनानी ने शिक्षक संघ राष्ट्रीय का उल्लेख करते हुए कहा कि इस विशाल संगठन से जुड़े कार्यकर्ता सदैव राष्ट्र प्रथम की भावना को मन में रखते हुए बालक को शिक्षा के साथ नैतिकता, ईमानदारी और चरित्र का पाठ भी पढ़ाते हैं। उन्होंने सभी शिक्षकों से पाठक जी के आदर्शों को जीवन में अपनाने का आव्हान करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।

कार्यक्रम का आरंभ मां सरस्वती और श्रद्धेय जयदेव पाठक के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन, माल्यार्पण एवं सरस्वती वंदना से हुआ।

प्रदेश महामंत्री श्री महेंद्र कुमार लखारा ने बताया कि संगठन द्वारा सभी अतिथियों के स्वागत के पश्चात प्रदेश अतिरिक्त महामंत्री बसंत जिंदल ने सभी अतिथियों का परिचय कराया। उन्होंने संगठन की रीति- नीति, कार्यशैली पर प्रकाश डाला। उन्होंने संगठन द्वारा किए जाने वाले कार्यक्रमों कर्तव्य बोध संगोष्ठी, नववर्ष कार्यक्रम, सामाजिक समरसता कार्यक्रम, गुरु वंदन कार्यक्रम, विमर्श कार्यशाला, संभाग विकास वर्ग एवं आगामी कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आवाहन पर राजस्थान के 50 जिलों एवं 400 उपशाखाओ के सभी विद्यालयों में 1 सितंबर 2025 को मेरा विद्यालय मेरा स्वाभिमान कार्यक्रम आयोजित कर सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को राष्ट्र निर्माण से संबंधित पांच संकल्प दिलाएगा। संपूर्ण देश में यह कार्यक्रम 5 लाख से अधिक विद्यालयों में होगा। यह कार्यक्रम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज होने जा रहा है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री शिवप्रसाद अखिल भारतीय मंत्री विद्या भारती ने श्रद्धेय जयदेव पाठक के जीवन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मैट्रिक परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद 1942 में वे अंग्रेजो के विरुद्ध भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े। उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया। भोजन कभी मिला तो कर लिया नहीं तो चने चबाकर समय गुजारा, कभी सोने को जगह नहीं मिली तो रेल्वे प्लेट फार्म पर ही सो गए लेकिन देशभक्ति की चिंगारी को बुझने नहीं दिया। उन्होंने राजस्थान शिक्षक संघ को राज्य का सबसे बड़ा और प्रभावी संघठन बनाया। राष्ट्र के लिए सर्वस्व समर्पण और अपने लिए कुछ न लेने का उत्कृष्ट उदाहरण पाठक जी में ही देखा जा सकता है। अपने श्रेष्ठ और कर्म मय जीवन से अनगिनत कार्यकर्ताओ को प्रेरणा देकर उस महापुरुष ने उनके जीवन को संस्कारित कर दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री विमल प्रसाद अग्रवाल पूर्व अध्यक्ष राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर ने गुरु के महत्व को गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय, दोहे से प्रारंभ कर बताया कि पाठक जी ने राष्ट्रीय मूल्यों की स्थापना, संस्कृति की रक्षा, विश्व शांति, वसुधैव कुटुंबकम्, समाज के कल्याण, शिक्षको और विद्यार्थियों के हित के लिए अपना तन, मन, धन सब कुछ अर्पण कर दिया। उन्होंने कहा कि हमे व्यक्ति की पूजा नहीं, बल्कि उसके गुणों की पूजा करनी चाहिए, पाठक जी जैसे महापुरुषों के सद्गुणों को जीवन में उतारना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्य की सिद्धि के लिए उपकरणों का महत्व नहीं है, बल्कि व्यक्ति की साधना ही उसे परिणाम तक पहुंचाती हैं। अपने मन, बुद्धि और आत्मा को शुद्ध करके व्यष्टि, सृष्टि, समष्टि और परमेष्ठी चारो का एक दूसरे के साथ समन्वय कर व्यक्ति अपना सर्वांग विकास कर परम् वैभव की स्थिति तक पहुंच सकता है। उन्होंने श्रद्धेय जयदेव जी पाठक को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कार्यकर्ताओ से कहा की पाठक जी के जीवन से हमें सदैव विद्यार्थी हित, त्याग, मितव्ययता, पद प्रशंसा सम्मान का त्याग, राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ कार्य करना चाहिए। शिक्षक समाज एवं राष्ट्र की दशा एवं दिशा दोनों को बदलने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और यह शताब्दी भारतवर्ष की होगी ,इस यज्ञ में अपना योगदान कर सकता है। उसकी सोच, व्यवहार एवं कर्म श्रेष्ठतम होने चाहिए क्योंकि समाज उसका अनुसरण करता है।

संगठन के जयपुर संभाग उपाध्यक्ष जयराम जाट ने पधारे सभी अतिथियों शिक्षकों एवं कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का संचालन प्रदेश महिला मंत्री गीता जैलिया ने किया। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।