
सुनील कुमार महला
20 अगस्त 2025 को भारत ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया है। वास्तव में यह भारत की एक बड़ी उपलब्धि है। कहना ग़लत नहीं होगा कि इस परीक्षण ने भारत की सामरिक क्षमता में वृद्धि और विश्वसनीय न्यूनतम निरोध (क्रेडिबल मिनिमम डेटेरेंस) बनाए रखने के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है। पाठकों को बताता चलूं कि एमआईआरवी तकनीक(मल्टी अड्डे क्षमता) वाली अग्नि-5 मिसाइल कई ठिकानों पर हमला करने के साथ ही उसे पलक झपकते ही तबाह कर सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो एमआईआरवी क्षमता एक ही मिसाइल से एक से अधिक लक्ष्यों पर प्रभाव डालने की क्षमता है, जिससे दुश्मन की विरोधी रणनीतियों का मुकाबला कारगर ढंग से किया जा सकता है। यह मिसाइल आईसीबीएम / इंटर-मीडियाट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल श्रेणी की है,जिसकी रेंज 5,000–8,000 किमी तक; हालिया वेरिएंट लगभग 7,000 किमी क्षमता के साथ भी रिपोर्ट की गई है।सरल शब्दों में कहें तो इस मिसाइल की मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर से अधिक है तथा इसे 8,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। अमेरिका को छोड़कर पूरे एशिया, अफ्रीका और यूरोप को निशाना बनाया जा सकता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की भारत के इस मिसाइल परीक्षण ने नींद उड़ाई दी है।पश्चिमी देशों की रणनीतिक नज़र भी इस पर है, क्योंकि भारत के पास अब अपनी आईसीबीएम क्षमता है।इसकी प्रणाली की यदि हम यहां पर बात करें तो इसमें तीन-स्तरीय ठोस ईंधन, सड़क-मोबाइल, कैनिस्टर आधारित लॉन्चर मौजूद है तथा वारहेड क्षमता लगभग 1,500–1,650 किलोग्राम है।सरल शब्दों में कहें तो रोड-मोबाइल लॉन्चर से इसका(अग्नि-5) का प्रक्षेपण आसानी से हो सकता है तथा यह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। पाठकों को बताता चलूं कि परीक्षण के दौरान समुद्र में तैनात जहाजों, राडारों ने मिसाइल की उड़ान का वास्तविक समय में आकलन किया है।एमआईआरवी तकनीक समर्थित एक मिसाइल से कई स्वतंत्र लक्ष्य निशान किए जा सकते हैं।इसकी गति या स्पीड लगभग मैक 24 (~29,400 किमी/घंटा) है, यानी कि आवाज की गति से 24 गुना ज्यादा। इसमें आरएलजी-आइएनएस यानी कि रिंग लेजर जिनरोस्कोप–इर्शियल नेविगेशन सिस्टम तथा मल्टी जीएनएसएस यानी कि ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम लगा है। अग्नि-5 मिसाइल के वज़न और आकार की यदि हम यहां पर बात करें तो अग्नि-5 मिसाइल की लंबाई 17 मीटर और चौड़ाई 2 मीटर है तथा इसका वजन करीब 50 टन है। कहना ग़लत नहीं होगा कि इस मिसाइल के परीक्षण के साथ ही भारत अब उनसे देशों की सूची में शामिल हो गया है जिनके पास एमआईआरवी-युक्त आईसीबीएम है, जैसे कि अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस आदि। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अग्नि-5 के परीक्षण से भारत अब उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है, जिनके पास आईसीबीएम क्षमता है। आईसीबीएम का मतलब है अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल(इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल)। पाठकों को बताता चलूं कि इनकी रेंज 5000 किलोमीटर से अधिक होती है। डीआरडीओ द्वारा विकसित यह मिसाइल भारत की रक्षा अनुसंधान ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। पाठकों को बताता चलूं कि इस मिसाइल (अग्नि-5) के सफल परीक्षण के साथ ही अब भारत की जद में पाक-चीन के साथ आधी दुनिया आ गई है और भारत की यह सबसे लंबी दूरी की मिसाइल है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह मिसाइल अधिकतम 600 किमी. की ऊंचाई पर जा सकती है। अंत में यही कहूंगा कि अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण ने न सिर्फ़ भारत की रक्षा क्षमता को नई ऊँचाई दी है, बल्कि कई देशों की नींद उड़ा दी है। वास्तव में यह हमारे देश की वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता का प्रतीक है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) और ‘सस्ता, टिकाऊ, शक्तिशाली’ उत्पाद —’दाम कम, दम ज्यादा’ — के सिद्धांत पर जोर देते आए हैं, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ को और मजबूती मिले।अग्नि-5 का परीक्षण इसी दिशा में भारत का एक बड़ा,सफल व सशक्त व विकसित भारत का प्रयास है।