
रविवार दिल्ली नेटवर्क
दुनिया जल्द सुनेगी टीएमयू डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर की अद्वितीय सफलता की कहानी, चीन और नेपाल के बाद यह दुनिया में दुर्लभ सर्जरी का चौथा रेयर केस, बहुप्रतिष्ठित इंटरनेशनल जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक डेंटिस्ट्री में प्रकाशित होगी टीएमयू डेंटल की यह केस स्टडी
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर की झोली में एक ओर बड़ी उपलब्धि आई है। डेंटल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ पीडियाट्रिक एंड प्रीवेंटिव डेंटिस्ट्री की ओर से 12 बरस के बच्चे के तालू में फंसे दांत की सफल दुर्लभ सर्जरी की गई। यह ऑपरेशन चार घंटे तक चला। टीएमयू के पीडियाट्रिक डेंटिस्ट्री डिपार्टमेंट का यह दावा है, यह भारत का दूसरा और दुनिया में इस तरह की दुर्लभ सर्जरी का चौथा रेयर केस है। इससे पूर्व ऐसे दुर्लभ केस 2011 में चीन, 2014 में भारत-चेन्नई और 2024 में नेपाल में सामने आए हैं। इस उपलब्धि को केस स्टडी के लिए बहुप्रतिष्ठित इंटरनेशनल जर्नल- इंटरनेशनल जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक डेंटिस्ट्री में प्रकाशित करने के लिए भेज दिया गया है। इसका प्रकाशन दिसंबर तक संभव है। यह भी किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। इस उपलब्धि से गदगद टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन कहते हैं, टीएमयू कें डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टर्स अनुभवी हैं। डेंटल हॉस्पिटल के इक्यूपमेंट्स भी अति आधुनिक हैं। उन्होंने इस दुर्लभ सर्जरी करने वाली टीम को हार्दिक बधाई देते हुए, पेशेंट के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की मंगलकामना की है।
जनपद अमरोहा के जलालपुर कलां गांव के 12 बरस के आरव यादव के तालू में एक अतिरिक्त दांत, जबकि ऊपरी जबड़े के पीछे भी एक दांत उग आए थे। इस एनोमली को मेडिकल साइंस में सुपर न्यूमेररी टीथ कहते हैं। इस कारण आरव के मुंह में अत्याधिक सूजन हो गई थी, जिससे खाने-पानी में दुश्वारी हो रही थी। जब आरव को पेरेंट्स टीएमयू में लाए तो डॉक्टर्स की टीम ने सबसे पहले सीबीसीटी जांच कराई। जांच में पता चला कि पेशेंट के तालू में एक अतिरिक्त दांत है। यह अपने आप में रेयर केस था, क्योंकि इसके ऑपरेशन की टीम के सामने बड़ी चुनौती थी। डॉक्टरों की टीम ने पेशेंट के पेरेंट्स को ऑपरेशन कराने का सुझाव दिया। पीडियाट्रिक एंड प्रीवेंटिव डेंटिस्ट्री विभाग की डॉ. दीपशिखा बताती हैं, यदि समय रहते इसका ऑपरेशन नहीं किया जाता तो पेशेंट के मुंह में गंभीर संक्रमण होने का अंदेशा था। साथ ही उसके चेहरे की बनावट भी बिगड़ सकती थी। पेशेंट के पैरेंट्स की सहमति के बाद टीएमयू के डॉक्टर्स ने आरव का ऑपरेशन किया। अमूमन ऐसे ऑपरेशन बेहोशी की हालत में किए जाते हैं, लेकिन टीएमयू के डॉर्क्ट्स की सूझबूझ के चलते इस ऑपरेशन को बिना एन्सथीसिया के चार घंटे में अंजाम दिया गया। डॉक्टर्स की टीम के लिए इस ऑपरेशन में बहुत-सी चुनौतियां थीं। ऊपरी जबड़े के पीछे वाला का दांत उलटा था, जिसे पकड़ने में परेशानी हो रही थी। जरा-सी चूक होने से इस दांत के पेट में जाने या नाक में फंस जाने का अंदेशा था। ऑपरेशन के दौरान यदि नाक की हड्डी टूट जाती तो, मुंह और नाक का एक ही रास्ता बन जाता और पेशेंट असामान्य हो जाता। अब पेशेंट पूरी तरह से स्वस्थ है। डॉ. दीपशिखा के नेतृत्व में चले इस ऑपरेशन की टीम में डॉ. समन सिराज, डॉ. वजाहत अली, डॉ. अंबुज माथुर आदि शामिल रहे। इस दुर्लभ सर्जरी के लिए प्रिंसिपल प्रो. प्रदीप तांगड़े, वाइस प्रिंसिपल डॉ. अंकिता जैन और पीडियाट्रिक एंड प्रीवेंटिव डेंटिस्ट्री विभाग की एचओडी प्रो. रचना बहुगुणा ने इस दुर्लभ सर्जरी को दुर्लभतम सफलता बताते हुए कहा, जल्द ही दुनिया को पता चल जाएगा, टीएमयू के डेंटल डॉक्टर्स की स्किल्स अद्वितीय है।